Film Kantara: ₹500 करोड़ कमा चुकी फिल्म 'कांतारा' का रहस्य! क्या है रोंगटे खड़े करने वाला भूत कोला?

punjabkesari.in Monday, Oct 13, 2025 - 09:40 AM (IST)

नेशनल डेस्क। कन्नड़ फिल्म कांतारा ने बॉक्स ऑफिस पर ₹500 करोड़ का जादुई आंकड़ा पार करके इतिहास रच दिया है और यह साल 2025 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बन गई है। इस फिल्म की सफलता का श्रेय न सिर्फ इसकी दमदार कहानी को जाता है बल्कि कर्नाटक की सैकड़ों साल पुरानी लोक कथाओं और पवित्र प्रथाओं को भी जाता है। खासतौर से फिल्म का क्लाइमेक्स जब हीरो 'पंजुरली देवता' के रूप में भूत कोला (Bhoota Kola) करता है तो दर्शकों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। फिल्मी पर्दे पर जादू सा कर रहा यह नृत्य, कर्नाटक के तुलुनाडु क्षेत्र की एक जीवंत और पूजनीय परंपरा है जिसकी जड़ों को 'कांतारा चैप्टर-1' ने गहराई से दुनिया के सामने रखा है।

PunjabKesari

क्या है 'भूत कोला' परंपरा?

भूत कोला (या दैव कोला) तुलु संस्कृति का एक पवित्र अनुष्ठान (Sacred Ritual) है जिसमें स्थानीय लोग मानते हैं कि स्थानीय देवता या आत्माएं (भूत) नर्तक के शरीर में प्रवेश करती हैं। नृत्य, पूजा, न्याय और सामुदायिक एकता का एक अनूठा मिश्रण है। रिपोर्ट के अनुसार इसकी उत्पत्ति तकरीबन 700 से 800 साल पुरानी है। 12वीं शताब्दी के करकला शिव मंदिर में भी इसके शिलालेख मिलते हैं। यह मुख्य रूप से कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़, उडुपी और केरल के कासरगोड क्षेत्र (तुलु नाडु) में प्रचलित है।

PunjabKesari

नाम का अर्थ:

भूत (Bhoota): आत्मा, स्थानीय नेता या पूर्वज।

कोला (Kola): खेल या प्रदर्शन।

भूत कोला के प्रमुख चरण

यह परंपरा हर साल नवंबर से मई तक तुलु नाडु के गांवों में आयोजित की जाती है और मुख्य रूप से तीन चरणों में पूरी होती है:

1. तैयारी (The Preparation)

रस्म की तैयारी हफ्तों पहले शुरू होती है जिसमें पहले नाग ब्रह्मा (सर्प देवता) की पूजा की जाती है।प्रदर्शन करने वाला कलाकार (जो नालिके, पंबाड़ा या परावा जैसी अनुसूचित जातियों से होता है) व्रत रखता है और सख्त नियमों का पालन करता है। वह अपने चेहरे को रंगता है नारियल के पत्तों की स्कर्ट और चांदी के आभूषण पहनकर सजता है।

2. प्रदर्शन (The Performance)

रात होने पर कोला शुरू होता है। पात्री पाद्दाण (मौखिक महाकाव्य) गाता है जो तुलु इतिहास और कथाओं को सुनाता है। धीरे-धीरे कलाकार ट्रांस में चला जाता है उसकी आंखें फड़कती हैं और आवाज़ बदल जाती है। माना जाता है कि देवता या 'भूत' का शरीर में प्रवेश हो चुका है। रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान भूत गांव के विवाद सुलझाता है (जमीन, विवाह आदि) भविष्य बताता है आशीर्वाद देता है और बीमारियों का उपचार करता है। यह प्रदर्शन सुबह तक चलता है।

PunjabKesari

3. समापन (The Conclusion)

भूत को विदा करने के लिए तेज संगीत की धुनें बजाई जाती हैं। गांव वाले सामूहिक भोज करते हैं। लोग चावल, नारियल और फल चढ़ाते हैं जिन्हें बाद में जरूरतमंदों में बांट दिया जाता है। यह रस्म सामाजिक एकता को मजबूत करती है।

प्रमुख स्थानीय देवता

तुलु समुदाय के ये देवता हिंदू पुराणों के बड़े देवताओं से अलग हैं जो स्थानीय नायक, पूर्वज या प्रकृति की आत्माएं हैं।

पंजुरली: सूअर का रूप। शिव का गण, जो जंगल की रक्षा करता है।

जुमादी: माता देवी, जो स्वास्थ्य और समृद्धि लाती हैं।

यह भी पढ़ें: YouTube: वायरल वीडियो से 1000 व्यूज आने पर कितने रुपये मिलते हैं? जानिए YouTube का पेमेंट सीक्रेट

गुलिगा: पंजुरली का योद्धा साथी, जो विवाद सुलझाता है।

कोरागज्जा: सबसे लोकप्रिय देवता जो समस्याओं का हल करने के लिए जाने जाते हैं।

कांतारा से जुड़ाव

फिल्म के लेखक और मुख्य अभिनेता ऋषभ शेट्टी जो स्वयं तुलु नाडु के केराड़ी गांव से हैं ने कहा कि उन्होंने यह फिल्म जंगल विवाद से प्रेरित होकर बनाई। रिपोर्ट के मुताबिक क्लाइमेक्स में पंजुरली का नृत्य वास्तविक था। ऋषभ शेट्टी ने इसके लिए उपवास रखा और विशेषज्ञों से प्रशिक्षण लिया। उन्होंने प्राकृतिक रोशनी में शूटिंग की और चोटिल होने के बावजूद इसे पूरा किया। फिल्म ने इस सैकड़ों पुरानी परंपरा को दुनिया भर में एक अभूतपूर्व पहचान दिलाई है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Rohini Oberoi

Related News