''बस एक ऑलिव दे दो...'', सजा-ए-मौत से पहले कैदी की अनोखी आखिरी इच्छा, वजह कर देगी हैरान

punjabkesari.in Thursday, Sep 19, 2024 - 03:57 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दुनिया भर की जेलों में जब भी किसी कैदी को सजा-ए-मौत दी जाती है, उसकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है। कई लोग अपने प्रियजनों से मिलना चाहते हैं, जबकि कुछ अजीबोगरीब मांगें करते हैं। हालांकि, इनमें से हर इच्छा पूरी नहीं की जाती, लेकिन कैदी को उसके पसंदीदा खाने का आखिरी भोजन जरूर दिया जाता है। ऐसे ही एक मामले ने सभी का ध्यान खींचा, जिसमें एक कैदी ने केवल एक ऑलिव की मांग की।

विक्टर हैरी फ़ेगुएर का मामला
साल 1968 में 28 साल के विक्टर हैरी फ़ेगुएर को एक डॉक्टर की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। जब फ़ेगुएर से उसके आखिरी भोजन की इच्छा पूछी गई, तो उसने केवल एक ऑलिव मांगा, जिसमें एक गुठली हो। इस पर हेनरी हरग्रीव्स, जिसने फ़ेगुएर के भोजन की तस्वीर ली, ने कहा, "यह बहुत ही अजीब था। आमतौर पर लोग भरपेट खाना मांगते हैं, लेकिन उसने सिर्फ एक ऑलिव मांगा।"

ऑलिव का महत्व
ऐसा माना जाता है कि फ़ेगुएर ने केवल एक ऑलिव का चुनाव इसलिए किया क्योंकि वह चाहता था कि उसकी मृत्यु के बाद एक ऑलिव का पेड़ उगे, जो शांति का प्रतीक होगा। उनके अंतिम शब्द थे, "मुझे पूरी उम्मीद है कि मैं जाने वाला आखिरी व्यक्ति हूं।"

हत्या की वारदात
विक्टर फ़ेगुएर ने एक दवा की तलाश में डॉ. एडवर्ड बार्टेल्स का संपर्क किया। उसने फर्जी मरीज बनकर डॉक्टर को फोन किया और उसे एक गुमराह स्थान पर ले जाकर किडनैप कर लिया। जब डॉक्टर ने दवा देने से इनकार किया, तो फ़ेगुएर ने उसकी हत्या कर दी। कुछ दिनों बाद, फ़ेगुएर ने डॉक्टर की कार बेचने की कोशिश की, जिससे FBI ने उसे गिरफ्तार कर लिया। हत्या के सबूतों के बावजूद, फ़ेगुएर ने खुद को बेगुनाह बताया। अंततः, कई अपीलों के बाद उसे दोषी ठहराया गया और मौत की सजा सुनाई गई। यह मामला इस बात का उदाहरण है कि किस तरह आखिरी इच्छा और मानसिकता किसी कैदी के अंतिम क्षणों को परिभाषित कर सकती है। विक्टर हैरी फ़ेगुएर का यह अनोखा मामला न केवल मानव मन की जटिलताओं को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि सजा-ए-मौत के मामले में आखिरी भोजन की अहमियत क्या होती है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Mahima

Related News