कोविड, अर्थव्यवस्था, महंगाई और चीन सीमा का मुद्दा छाया रहेगा संसद सत्र में

punjabkesari.in Sunday, Sep 13, 2020 - 09:22 PM (IST)

नई दिल्लीः कोविड महामारी की विकट चुनौती के बीच हो रहे संसद सत्र में अर्थव्यवस्था की खस्ताहाल स्थिति , कोविड महामारी के दिनों- दिन बढ रहे प्रकोप, चीन सीमा पर गतिरोध और आसमान छू रही महंगाई जैसे मुद्दे छाये रहेंगे। करीब छह माह के अंतराल पर विशेष परिस्थितियों और विशेष इंतजामों तथा नियमों कायदों के बीच सोमवार से शुरू हो रहे सत्र के दौरान सरकार कोविड महामारी के कारण निर्धारित समय से पहले स्थगित किये गये बजट सत्र में हुए कामकाज के नुकसान की भरपायी करना चाहेगी। सरकार का लक्ष्य लंबित विधेयकों को पारित कराना और अधिक से अधिक विधायी कामकाज निपटाना होगा। कोविड के कारण इस बार का सत्र विशेष परिस्थितियों में हो रहा है और सरकार ने इसे देखते हुए विपक्ष को कई तरह के नियमों में बांध दिया है। इस बार प्रश्नकाल का नहीं होना विपक्ष के लिए सबसे विकट स्थिति है और वह सरकार से सवालों का जवाब नहीं पूछ सकेगा।

विपक्ष की सरकार को घेरने की तैयारी
विशेष परिस्थितियों का हवाला देते हुए सरकार ने इस बार सत्र शुरू होने से पहले हर बार होने वाली सर्वदलीय बैठकों का आयोजन नहीं किया और सदन की कार्यमंत्रणा समितियों की बैठक ही बुलायी गयी। विपक्ष के पुरजोर विरोध के बावजूद सरकार अपने ऐजेन्डे पर आगे बढ रही है। विपक्ष विशेष रूप से खस्ताहाल अर्थव्यवस्था , कोरोना महामारी से निपटने की सरकार की नीति , चीन के साथ सीमा पर टकराव और महंगाई के मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। उधर सरकार का कहना है कि वह सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है लेकिन दोनों सदनों में लंबित विधायी कामकाज निपटाना उसकी प्राथमिकता है। अनेक विपक्षी सदस्यों ने इन मुद्दों पर चर्चा कराने के लिए नोटिस भी दिये हैं। हालाकि सरकार ने कोविड के मद्देनजर बनाये नये नियमों का हवाला देकर विपक्ष के मुद्दों पर विरोध जताने के काम को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी स्वास्थ्य जांच के कारण विदेश गयी हुई हैं और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी उनके साथ होने के कारण सत्र के दौरान उपस्थित नहीं रहेंगे। हालाकि पार्टी ने कहा है कि वह कृषि एवं बैंकिंग अधिनियम में बदलाव संबंधी विधेयकों का कड़ा विरोध कर अर्थव्यवस्था, कोरोना तथा सीमा पर चीनी घुसपैठ के मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी। पार्टी ने कहा है कि संसद में इन विधेयकों के खिलाफ विपक्ष को एकजुट किया जा रहा है। वह राज्यसभा में इन विधेयकों को पारित नहीं होने देने के लिए विपक्षी दलों के संपर्क में है। पार्टी प्रधानमंत्री केयर फंड में पारदर्शिता और इसकी कैग से लेखा जांच की मांग कर रही है।

चर्चा के लिए तैयार सरकार
सरकार ने संकेत दिया है कि वह अर्थव्यवस्था, कोविड और चीन के साथ टकराव जैसे सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। यह भी कहा जा रहा है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री कोविड पर विस्तार से वक्तव्य देंगे जबकि रक्षा मंत्री चीन के साथ गतिरोध के कारण सीमा पर उत्पन्न स्थिति से सदन को अवगत करायेंगे। हालाकि चीन मुद्दे पर सरकार का कहना है कि वह सदस्यों को उतनी ही जानकारी देगी जितना राष्ट्रहित में जरूरी है। विपक्षी सदस्यों के लिए किसी मुद्दे पर विरोध दर्ज कराना इस बार आसान नहीं होगा क्योंकि इस बार कार्यवाही के दौरान के नियम बदल दिये गये हैं।

कोरोना काल में पहली बार नहीं होगा प्रश्नकाल
संसद भवन परिसर में किसी प्रकार के पैम्फ्लेट, पोस्टर, बैनर आदि ले जाने की अनुमति नहीं होगी और न ही परिसर के भीतर विरोध प्रदर्शन की अनुमति होगी। पिछले कई वर्षों से सदन की कार्यवाही का नियमित हिस्सा बन चुका विपक्ष का प्रदर्शन भी इस बार सदन के भीतर नहीं दिखेगा। सदस्य अपनी सीट छोड़कर अध्यक्ष के आसन के पास या किसी दूसरे सदस्य की सीट पर भी नहीं जा सकेंगे। सदस्यों को सिर्फ अतारांकित प्रश्नों से ही संतोष करना पड़ेगा जिनके उत्तर सभापटल पर रख दिये जायेंगे। लोक महत्व के मुद्दे उठाने के लिए निर्धारित शून्यकाल का समय भी एक घंटे से घटाकर आधा घंटा कर दिया गया है।

सरकार पेश करेगी 12 विधेयक
सरकार की ओर से मानसून सत्र के दौरान 11 अध्यादेशों से संबंधित विधेयक लाये जा रहे हैं जो किसानों तथा कृषि उपज से संबंधित तथा होम्योपैथी केंद्रीय परिषद्, भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद्, मंत्रियों और सांसदों के वेतन एवं भत्तों, अनिवार्य वस्तु अधिनियम, दिवाला कानून, बैंकिंग नियमन अधिनियम, कराधान अधिनियम और महामारी अधिनियम से संबंधित हैं। द्विपक्षीय वित्तीय अनुबंध, पेंशन कोष विनियमन एवं विकास प्राधिकरण, हाथ से मैला साफ करने की प्रथा पर रोक, बाल अपराध न्याय कानून और जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषा से संबंधित विधेयकों समेत कुल 12 नये विधेयक पेश किये जायेंगे। संसद में लंबित जिन विधेयकों को पारित कराया जाना है उनमें सरोगेसी, औद्योगिक संबंध संहिता और सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण संहिता महत्वपूर्ण हैं।

कंपनी कानून, गर्भपात और विमानन अधिनियमों में संशोधन संबंधित लंबित विधेयकों को भी सरकार पारित कराने का प्रयास करेगी। महामारी के कारण संसद का पिछला बजट सत्र निर्धारित समय से पहले समाप्त करना पड़ा था। बजट सत्र की अंतिम बैठक 23 मार्च को हुई थी। नियमों के मुताबिक संसद के दो सत्र के बीच छह महीने से अधिक का अंतराल नहीं हो सकता। इसलिए कोविड-19 की परिस्थितियों के बावजूद मानसून सत्र बुलाना सरकार की मजबूरी थी। आम तौर पर मानसून सत्र जुलाई में शुरू होता है। इस बार यह दो महीने की देरी से हो रहा है। 


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Yaspal

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