तीन तलाक को राजनीतिक मुद्दा बनाने की तैयारी, सरकार फिर लाएगी अध्यादेश

punjabkesari.in Saturday, Dec 29, 2018 - 06:34 PM (IST)

नेशनल डेस्कः भाजपा और विपक्ष दोनों ने तीन तलाक को राजनीतिक मुद्दा बनाने की तैयारी पूरी कर ली है। जहां विपक्ष इसे राज्यसभा की प्रवर समिति में भेजने पर उतारू है, वहीं सरकार दोबारा अध्यादेश लाकर पांच महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में मुस्लिम महिलाओं की एकमात्र हितैषी पार्टी उभरना चाहती है।
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राज्यसभा में विपक्षी दलों ने तीन तलाक बिल को पारित न होने देने की रणनीति तैयार कर ली है। विधेयक के खिलाफ विपक्ष को 130 सांसदों का समर्थन है। यानी 243 सदस्यों वाली राज्यसभा में 113 सदस्य विधेयक के पक्ष में हैं। वह इसे प्रवर परीक्षण के लिए प्रवर समिति के हवाले करने के पक्ष में है।
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लेकिन विधेयक को खारिज कर विपक्ष मुस्लिम महिलाओं के हितों के खिलाफ खड़ा नहीं दिखना चाहता है। यही वजह है कि लोकसभा में भी महज 11 सांसदों को छोड़कर अन्य सभी विपक्षी सांसदों ने वोटिंग के समय खिलाफ मत देने के बजाए सदन से वॉक आउट कर दिया था। विधेयक के खिलाप वोट देने वालो में सीपीएम के 9 सांसदों के अलावा आरएसपी के प्रेमचंद्रन और एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी थे।
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जाहिर है कि मौजूदा लोकसभा के कार्यकाल के दौरान प्रवर समिति की रिपोर्ट नहीं आ पाएगी। यानी गुरुवार को लोकसभा में पारित हुआ विधेयक चुनाव के बाद बेमानी हो जाएगा। उसके साथ ही राज्यसभा की प्रवर समिति के सामने लंबित बिल का भी यही हश्र होगा। नई लोकसभा के सामने नई सरकार यदि चाहेगी, तो नया बिल लेकर आएगी।
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मतलब यह कि प्रवर समिति के हवाले करने से विपक्ष बिल के खिलाफ न दिखते हुए भी उसे निष्प्रभावी बना देगा। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस,सपा, बसपा, सीपीआई, सीपीएम, एआईएमआईएम जैसे अधिकतर दल मुस्लिम समुदाय में एक साथ तीन बार तलाक बोलने के जरिए दांपत्य संबंधों को खत्म किए जाने तौर तरीके को उचित नहीं मान रहे हैं, लेकिन उसे अपराध की श्रेणी में रखे जाने का खुलकर विरोध भी कर रहे हैं।
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विपक्षी दल राज्यसभा में अपने संख्या बल के आधार पर इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के बारे में निश्चिंत हैं। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता का कहना था कि राज्यसभा के कार्य करने के नियम संख्या 125 के मुताबिक यदि कोई सदस्य एक प्रस्ताव लाता है, तो बहुमत के आधार पर उसे पारित किया जा सकता है।
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आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह का कहना था कि जब सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैर-कानूनी करार दे दिया है तो भाजपा उसे आपराधिक कार्य बनाने पर क्यों तुली है। क्या वह दूसरे धर्मों के तलाक को भी आपराधिक श्रेणी में लाएगी? तलाक को अपराध बनाने के बाद पति-पत्नी का दोबारा साथ आना असंभव हो जाएगा। 


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Yaspal

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