Video: 52 गज के ध्वज ने अपने में समेट ली आकाशीय बिजली, द्वारकाधीश मंदिर के झंडे का है खास महत्व
punjabkesari.in Thursday, Jul 15, 2021 - 03:15 PM (IST)

नेशनल डेस्क: गुजरात के देवभूमि-द्वारका जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर पर मंगलवार शाम को आकाशीय बिजली गिर गई जिससे मंदिर के शिखर पर पताका को नुकसान पहुंचा। हालांकि मंदिर भवन को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है और इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ। इस घटना की काफी चर्चा हो रही है। लोग इसे भगवान श्रीकृष्ण का चमत्कार ही मान रहे हैं कि उन्होंने अपने ऊपर संकट को ले लिया। द्वारकाधीश मंदिर पर आकाशीय बिजली गिरने का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है।
Jay Dwarkadhish 🛕 🙏🚩
— Vशुद्धि (@V_Shuddhi) July 14, 2021
The 52 Gaj flag of the Dwarkadhish temple was damaged due to lightning on Tuesday afternoon. However, no damage was done to the temple,only the walls of the temple turned black.
The people of Dwarka said - God saved us pic.twitter.com/779S4hpvFF
मंदिर के शिरख पर लहरा रहे ध्वज में सारी आकाशीय बिजली समा गई। अगर यह बिजली किसी आबादी वाले क्षेत्र पर गिरती तो बहुत बड़ा जानमाल का नुकसान हो सकता था। लेकिन ध्वज पर बिजली गिरी और ध्वज दंड को ही नुकसान पहुंचा। यहां आपको बता दें कि द्वारकाधीश मंदिर के ध्वज का भी अपना खास महत्व हैं। मंदिर के ध्वज को दिन में पांच बार बदला जाता है। यह ध्वज 52 गज का होता है। द्वारकापुरू पहुंचते ही दूर से मंदिर का ध्वज नजर आने लगता है।
द्वारकाधीश मंदिर के ध्वज से जुड़ी खास बातें
- द्वारकाधीश की मंगला आरती सुबह 7.30 बजे, श्रृंगार सुबह 10.30 बजे, इसके बाद सुबह 11.30 बजे फिर श्रृंगार, संध्या आरती 7.45 बजे और शयन आरती 8.30 बजे होती है। इसी दौरान मंदिर पर नया ध्वज चढ़ाया जाता है।
- मंदिर की पूजा आरती गुगली ब्राह्मण करवाते हैं। पूजा के बाद ध्वज द्वारका के अबोटी ब्राह्मण चढ़ाते हैं। अबोटी ब्राह्मणों का ही ध्वज पर अधिकार होता है। ध्वज के कपड़े से भगवान के वस्त्र वगैरह बनाए जाते हैं।
- भक्त भगवान द्वारकाधीश के मंदिर में ध्वज अर्पण करते हैं। ध्वज अर्पित करने के लिए एडवांस बुकिंग की जाती है। द्वारका मंदिर के पुरोहित के मुताबकि ध्वज चढ़ाने की बुकिंग अगले दो साल यानि कि 2023 तक हो चुकी है। फिलहाल बुकिंग छह महीनों के लिए बंद है।
- द्वारकाधीश मंदिर के ऊपर फहराए गए झंडे में सूर्य और चंद्रमा के प्रतीक हैं। मान्यता है कि जब तक सूर्य और चंद्रमा रहेंगे तब तक द्वारकाधीश का नाम रहेगा।
- इस झंडे की खासियत यह कि हवा की दिशा कोई भी हो, चाहे वो कितनी ही तेज गति से चले लेकिन यह झंडा हमेशा पश्चिम से पूर्व की ओर लहराता है।
- 52 गज के इस झंडे के पीछे के कई मिथक हैं। कईयों का कहना है कि द्वारकानगरी पर 56 प्रकार के यादवों का शासन था।
- एक अन्य मान्यता है कि 12 राशि, 27 नक्षत्र, 10 दिशाएं, सूर्य, चंद्र और श्री द्वारकाधीश मिलकर 52 होते हैं।
- एक और मान्यता है कि द्वारका में एक वक्त 52 द्वार थे। ये उसी का प्रतीक है।
- मंदिर के इस ध्वज को एक खास दर्जी ही सिलता है।
- जब ध्वज बदलने की प्रक्रिया होती है तो उस तरफ देखने की मनाही होती है।
#Lightningstrikes 13 july 202, Dwarkadhish temple Gujarat, india #UFO cylindrical shape on top of the flag before the lightning. Identified by @karpurgouram. #spacewar #WeatherManipulation hidden truth. pic.twitter.com/HdoS3vvYjJ
— Asha (@Asha56367774) July 15, 2021