‘वाटर टेररिज्म’का सच जानना चाहता है देश
punjabkesari.in Tuesday, Jan 28, 2025 - 03:03 PM (IST)
नेशनल डेस्क: दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब तक का सबसे संगीन आरोप या कहें सबसे संगीन मुद्दा सामने आया है। वाटर टेररिज्म के रूप में यह मुद्दा सामने है। दिल्ली की 35 लाख आबादी इस वक्त पानी के संकट से गुजर रही है क्योंकि दिल्ली सरकार वाटर ट्रीटमेंट करने के बाद उपयोग के लायक जलापूर्ति नहीं कर पा रही है। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने चुनाव आयोग से तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए लगातार बीते दो दिन में दो चिट्ठियां लिखी हैं और इन चिट्ठियों का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है, जिस पर दिल्ली के जहरीला पानी छोड़ने और दिल्ली के चुनाव को प्रभावित करने के गंभीर आरोप हैं। खुद मुख्यमंत्री के शब्द में यह लापरवाही नहीं वाटर टेररिज्म है।
दिल्ली की सियासत गरम है। हरियाणा में बीजेपी की सरकार है और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की। दिल्ली चुनाव में बीजेपी और आम आदमी पार्टी आमने-सामने हैं। अरविन्द केजरीवाल ने साफ तौर पर कहा है कि अगर दिल्ली के अफसरों ने समय रहते जहरीला पानी की आपूर्ति को नहीं रोका होता तो दिल्ली में ‘नरसंहार’ हो जाता। बीजेपी केजरीवाल के इस बयान को ‘ओछी राजनीति’ बता रही है। बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने तो यहां तक कहा है कि पाकिस्तान ने युद्ध के समय में भी भारत पर ऐसे आरोप नहीं लगाए कि भारत नदी के पानी में ऐसा कुछ कर रहा है। बड़ा सवाल यह है कि क्या आम आदमी पार्टी की सरकार की चिंता की तुलना पाकिस्तान से करके बीजेपी क्या ‘वाटर टेररिज्म’ के आरोप को मिटा सकेगी?
जल बोर्ड की चिट्ठी से बोर्ड ही ‘एक्सपोज’
मुख्यमंत्री आतिशी ने 28 जनवरी को जो चिट्ठी चुनाव आयोग को लिखी है उसमें दिल्ली जल बोर्ड के सीईए को हवाले से साफ तौर पर कहा गया है कि आमोनिया युक्त पानी की आपूर्ति के जहरीले प्रभाव को जानते-समझते हुए भीअनट्रीटेड सीवेज और औद्योगिक कचरों से युक्त जल को हरियाणा ने छोड़ा है जिस कारण दिल्ली में जल संकट पैदा हुआ है। मुख्यमंत्री आगे लिखती हैं, “यह न सिर्फ आपराधिक कृत्य है, बल्कि यह वाटर टेररिज्म है जिसका मकसद दिल्ली में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करना है।”
हालांकि मुख्यमंत्री आतिशी ने दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ की ओर से दिल्ली के मुख्य सचिव को लिखी गयी जिस चिट्ठी का हवाला दिया है उसका मजमून यह कहता है कि स्वयं मुख्यमंत्री आतिशी और आप संयोजक अरविन्द केजरीवाल आधारहीन और गलत तथ्यों के साथ आरोप लगा रहे हैं। मगर, दिल्ली जल बोर्ड के हवाले से ही जो बात मुख्यमंत्री आतिशी ने चुनाव आयोग को बतलायी है वह महत्वपूर्ण और गंभीर है। इससे यह भी प्रश्न उठता है कि दिल्ली जल बोर्ड भी राजनीतिक रूप से कहीं इस्तेमाल तो नहीं हो रहा है? दिल्ली जल बोर्ड अपनी चिट्ठी में यह स्वीकार कर रहा है कि बोर्ड का ट्रीटमेंट प्लांट 2 से 2.5 पीपीएम आमोनिया का ही ट्रीटमेंट कर सकता है। जल बोर्ड यह भी मान रहा है कि यमुना नदी में आमोनिया के बढ़ने की वजह बगैर ट्रीटमेंट के सीवेज या इंडस्ट्रियल वेस्ट का मिक्स किया जाना है। जल बोर्ड की चिट्ठी यह भी कह रही है, “वर्तमान में यमुना नदी में वजीराबाद पोंड के पास आमोनिया 6.5 पीपीएम है।” और, तमाम क्षमताओं का इस्तेमाल करने के बावजूद वह इस पानी का ट्रीटमेंट नहीं कर सकता।
ताज्जुब है कि दिल्ली जल बोर्ड के तथ्य तो अरविन्द केजरीवाल और मुख्यमंत्री आतिशी के आरोपों की पुष्टि कर रहे हैं लेकिन चिट्ठी का मकसद बिल्कुल इसके उलट है। चिट्ठी का मकसद अरविन्द केजरीवाल और मुख्यमंत्री आतिशी के आरोपों को तथ्यहीन और निराधार बताना है। यह कैसे संभव है? मगर, हिन्दुस्तान की राजनीति में सबकुछ संभव है। यहां संस्थानें वही बोलती हैं जो राजनीतिक सत्ता की चाहत होती है।
जल संकट में दिल्ली
फिलहाल दिल्ली पानी के संकट से गुजर रही है। हरियाणा से आ रहा पानी इतना प्रदूषित है कि उसका ट्रीटमेंट या उपचार भी नहीं हो सकता। मुख्यमंत्री आतिशी ने दो उपाय बताए हैं- एक बिना ट्रीटमेंट वाला सीवेज और इंडस्ट्रियल वेस्ट युक्त पानी दिल्ली के लिए नहीं छोड़ना, और दूसरा अतिरिक्त साफ पानी दिल्ली को देना ताकि ‘जहरीला पानी’ डाइल्यूट हो सके।चुनाव आयोग इस पूरे मामले में क्या और कैसे कदम उठाता है इस पर देश की नज़र है।
बड़ा सवाल यह है कि हरियाणा ने 6.5 पीपीएम के स्तर तक आमोनिया की मौजूदगी वाला ‘जहरीला’ पानी दिल्ली के लिए क्यों छोड़ा? अरविन्द केजरीवाल जो सवाल उठा रहे हैं कि अगर दिल्ली के अफसरों ने इस पर ध्यान नहीं दिया होता या फिर लापरवाही की होती या किसी भी तरीके से ‘जहरीला पानी’ दिल्ली पहुंच जाता तो दिल्ली के लाखों लोगों का क्या होता? चुनाव के समय में आम आदमी पार्टी को ‘बलि का बकरा’ बनाया जाता और इस डैमेज का कंट्रोल शायद आम आदमी पार्टी और उसकी सरकार नहीं कर पाती। क्या सत्ता पाने के मकसद से या कहें कि चुनाव को प्रभावित करने के मकसद से यह कृत्य किया गया है? अगर इसका उत्तर ‘हां’ में आता है तो निश्चित रूप से यह ‘वाटर टेररिज्म’ ही कहा जाएगा। अगर उत्तर ‘ना’ में आता है तब भी यह अक्षम्य लापरवाही की घटना तो अवश्य है।
वोटर से वोट लेने के लिए खुलेआम नोट बांटते तो सबने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान देखा है, साड़ियां और सोने की चेन बंटने का दावा भी किया जाता रहा है। मगर, वोटर की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ की घटना न किसी ने देखी, सुनी है और न ही किसी ने इसकी कल्पना भी की है। सीएम आतिशी और पूर्व सीएम अरविन्द केजरीवाल ने जिस ‘वाटर टेररिज्म’ का सवाल उठाया है वह निश्चित रूप से राजनीति में पैदा हो रही जनविरोधी क्रूरता और जनविरोधी सत्ता लोलुपता की पराकाष्ठा कही जा सकती है।
प्रेम कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
(Disclaimer : ये पत्रकार के निजी विचार हैं।)