Tea Price : चाय पीने वालों के लिए आई बुरी खबर! देश के बड़े ब्रांड्स को इस वजह से बढ़ाने पड़ेंगे दाम
punjabkesari.in Friday, Sep 06, 2024 - 02:46 PM (IST)
नेशनल डेस्क: भारत में चाय एक अत्यंत लोकप्रिय पेय है, जिसे हर उम्र और वर्ग के लोग पसंद करते हैं। हाल ही में, देश की दो प्रमुख पैकेज्ड चाय कंपनियां—हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (TCPL)—ने चाय की कीमतों में वृद्धि की संभावना को लेकर संकेत दिए हैं। बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, चाय के घटते भंडार और बढ़ती लागत के कारण यह वृद्धि हो सकती है। यह वृद्धि सुपरमार्केट में बिक रही चाय की कीमतों को प्रभावित करेगी, जिससे ग्राहकों को अधिक पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं।
चाय की कीमतों में वृद्धि का कारण
HUL के प्रवक्ता ने बिजनेस टुडे को बताया कि इस सीजन में चाय की लागत में वृद्धि हुई है और इसका सीधा असर चाय की खरीद मूल्य पर पड़ा है। चाय एक कमोडिटी लिंक्ड श्रेणी की वस्तु है, इसलिए इसकी कीमतों को ठीक से मॉनिटर करना कंपनियों के लिए आवश्यक हो गया है। HUL ने इस मुद्दे पर कहा कि वे अपने ग्राहकों और मुनाफे दोनों को ध्यान में रखते हुए ही कीमतों में बदलाव पर विचार करेंगे। हालांकि, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
चाय की बिक्री में कंपनियों की भूमिका
हिंदुस्तान यूनिलीवर और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स का चाय की बिक्री में महत्वपूर्ण हिस्सा है। आंकड़ों के अनुसार, चाय HUL की कुल कमाई का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा है। वहीं, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के पेय पदार्थों के बिजनेस का 58 प्रतिशत हिस्सा चाय के व्यापार से प्राप्त होता है। हालांकि, दोनों कंपनियों ने अपनी चाय से होने वाली आय के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए हैं, जिससे यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि कीमतों में वृद्धि का चाय के व्यापार पर कितना प्रभाव पड़ेगा। टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स टाटा टी, Tetley, Teapigs और Tata Starbucks जैसे कई तरह के ब्रांड अपरेट करते हैं। वहीं लिप्टन, ताज महल, Brooke Bond और Bru जैसे ब्रांड्स HUL के अंतर्गत आते हैं।
चाय के उत्पादन में कमी
असम और पश्चिम बंगाल, जो भारत के प्रमुख चाय उत्पादन राज्य हैं, में इस साल चाय का उत्पादन घट गया है। जनवरी से लेकर जुलाई तक, देश में कुल चाय का उत्पादन 13 प्रतिशत घटकर 5.53 लाख टन पर आ गया है। इस कमी का असर चाय की कीमतों पर देखा जा सकता है। भारतीय चाय संघ के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर भारत में चाय की नीलामी कीमतों में 21 प्रतिशत और दक्षिण भारत में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उत्तर भारत में चाय की कीमत 255 रुपये प्रति किलो और दक्षिण भारत में 118 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। इस कारण, टाटा और HUL जैसी कंपनियों ने अपनी चाय खरीदने की मात्रा में कटौती की है। इसके साथ ही, इन कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन पर भी इसका असर पड़ा है। अधिकारियों के अनुसार, टाटा अब नीलामी केंद्र के बजाय सीधे खेतों से चाय खरीदना पसंद कर रही है।
कंपनियों की दाम बढ़ाने की मजबूरी
चाय की बढ़ती कीमतों को देखते हुए, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स अब चाय खरीदने के लिए पहले की तुलना में 23 प्रतिशत और HUL 45 प्रतिशत अधिक खर्च कर रही है। इससे कंपनियों को अपने प्रॉफिट मार्जिन को बनाए रखने के लिए चाय की कीमतों में वृद्धि करनी पड़ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कीमतों में 1 से 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है, तो ग्राहकों पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन अगर बढ़ोतरी अधिक होगी, तो यह चाय की डिमांड को प्रभावित कर सकती है। कई प्रीमियम ब्रांड्स ने पहले ही अपनी चाय की कीमतों में इजाफा कर दिया है। कंपनियों को चाय की कीमतों में वृद्धि करते समय अपने मुनाफे और ग्राहकों की जेब दोनों का ध्यान रखना होगा।
चाय की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना ने भारतीय बाजार में हलचल मचा दी है। चाय की बढ़ती लागत और उत्पादन में कमी के चलते कंपनियों को दाम बढ़ाने की मजबूरी का सामना करना पड़ रहा है। ग्राहक अब सुपरमार्केट में चाय खरीदते समय अधिक पैसे खर्च करने के लिए तैयार रहें। यह स्थिति आने वाले दिनों में चाय के बाजार में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है और कंपनियों को अपने मूल्य निर्धारण रणनीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।