BJP President: बीजेपी ने खेला नया सियासी पासा, इस नए चेहरे को सौंपी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी
punjabkesari.in Friday, Apr 11, 2025 - 04:27 PM (IST)

नेशनल डेस्क: तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी ने नेतृत्व में बड़ा बदलाव करते हुए नए चेहरे को जिम्मेदारी सौंपी है। संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने और आगामी चुनावों की रणनीति को धार देने के मकसद से पार्टी ने नयनार नागेन्द्रन को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है।
बिना विरोध, सर्वसम्मति से बने प्रदेश अध्यक्ष
बीजेपी की ओर से जारी आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, अध्यक्ष पद के लिए केवल नयनार नागेन्द्रन ने ही नामांकन दाखिल किया था। किसी अन्य दावेदार के न होने के चलते उन्हें सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद के लिए चुना गया।
कौन हैं नयनार नागेन्द्रन? जानिए तमिलनाडु बीजेपी के नए अध्यक्ष का सियासी सफर
भारतीय जनता पार्टी ने तमिलनाडु में एक अहम बदलाव करते हुए नयनार नागेन्द्रन को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। लेकिन सवाल उठता है - आखिर कौन हैं नयनार नागेन्द्रन, और क्या है उनका राजनीतिक सफर?
अन्नाद्रमुक से बीजेपी तक का सफर
नयनार नागेन्द्रन राजनीति में कोई नया नाम नहीं हैं। एक समय वे अन्नाद्रमुक (AIADMK) के कद्दावर नेता रह चुके हैं और मंत्री पद भी संभाल चुके हैं। लेकिन 2017 में उन्होंने अन्नाद्रमुक को अलविदा कहकर बीजेपी का दामन थाम लिया। यही कदम उनके सियासी करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।
चुनावी मैदान में मिले मिले-जुले अनुभव
बीजेपी में आने के बाद 2019 में उन्होंने रामनाथपुरम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद पार्टी ने उनके ऊपर भरोसा बनाए रखा और 2021 में उन्हें तिरुनेलवेली विधानसभा सीट से मैदान में उतारा। इस बार वे जीत दर्ज करने में सफल रहे और विधानसभा पहुंचे। 2024 में उन्होंने एक बार फिर तिरुनेलवेली से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार किस्मत ने साथ नहीं दिया और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। हालांकि, उनके संगठनात्मक अनुभव और जनाधार को देखते हुए पार्टी ने अब उन्हें तमिलनाडु बीजेपी की कमान सौंप दी है।
अन्नामलाई के बाद अब नागेन्द्रन की बारी
गौरतलब है कि 2021 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने पूर्व आईपीएस अधिकारी के. अन्नामलाई को तमिलनाडु इकाई का अध्यक्ष बनाया था। अन्नामलाई के नेतृत्व में भले ही पार्टी को बड़ी चुनावी सफलता नहीं मिली, लेकिन राज्य में वोट प्रतिशत में इज़ाफा जरूर देखने को मिला।