Divorce: ''पति को संबंध बनाने में इंट्रस्ट नहीं'', सारा दिन मंदिर में बैठा रहता...कह पत्नी ने लिया तलाक
punjabkesari.in Tuesday, Apr 01, 2025 - 10:24 AM (IST)

नेशनल डेस्क: केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण तलाक मामले में फैसला सुनाते हुए पति द्वारा पत्नी पर आध्यात्मिक जीवन जीने का दबाव डालने को मानसिक क्रूरता माना है। महिला ने कोर्ट में आरोप लगाया था कि उसका पति न केवल शारीरिक संबंध बनाने में दिलचस्पी नहीं रखता था, बल्कि वह अधिकांश समय मंदिरों और आश्रमों में बिताता था। इसके अलावा, वह पत्नी पर भी आध्यात्मिक जीवन अपनाने का दबाव डालता था, जबकि महिला सामान्य विवाहित जीवन चाहती थी।
कोर्ट का बयान: जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस एम.बी. स्नेहलता की पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी को भी अपने जीवनसाथी पर व्यक्तिगत मान्यताएं थोपने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पति द्वारा पत्नी को आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए मजबूर करना और वैवाहिक जिम्मेदारियों को नकारना मानसिक क्रूरता के अंतर्गत आता है। इसके बाद हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए तलाक को मंजूरी दे दी।
महिला का बयान: महिला ने कोर्ट में बताया कि शादी के बाद उसके पति का व्यवहार पूरी तरह से बदल गया। पति ने उसे अपनी पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर किया और शादी को केवल आध्यात्मिक जीवन जीने का माध्यम मान लिया। जबकि महिला का कहना था कि वह सामान्य जीवन चाहती थी। पति ने कोर्ट में यह दावा किया कि पत्नी ने खुद ही पोस्ट-ग्रेजुएशन के बाद बच्चा न पैदा करने का निर्णय लिया था और उस पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डाला। हालांकि, कोर्ट ने पति के इस तर्क को खारिज कर दिया।
पिछली याचिकाएं और कोर्ट का रुख: महिला ने पहले 2019 में तलाक के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन पति द्वारा सुधारने का वादा करने पर उसने याचिका वापस ले ली। लेकिन स्थिति में कोई बदलाव न होने पर महिला ने 2022 में फिर से तलाक की याचिका दायर की, जिसे फैमिली कोर्ट ने मंजूर कर लिया। इसके बाद पति ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसे अब खारिज कर दिया गया।