सर्वेः 55% लोगों ने माना नोटबंदी से नहीं पड़ा ब्लैक मनी पर असर

punjabkesari.in Tuesday, Nov 07, 2017 - 03:29 PM (IST)

नई दिल्ली: देश के 33 गैर सरकारी संगठनों द्वारा किए गए सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि 55 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नोटबंदी से काले धन का सफाया नहीं हुआ और 48 प्रतिशत लोगों की राय है कि आतंकवादी हमलों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। गत वर्ष आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के एक साल बाद देश की अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभावों का अध्ययन करने वाले इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट आज यहां जारी की गई जिसमें यह निष्कर्ष सामने आया है।
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लोगों से पूछे गए 96 प्रश्न
सामाजिक संगठन अनहद के नेतृत्व में देश के 21 राज्यों में 3647 लोगों के सर्वेक्षण के दौरान नोटबंदी से जुड़े 96 प्रश्न पूछे गए थे। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्त्ता जान दयाल, गौहर राजा, सुबोध मोहंती और शबनम हाशमी द्वारा आज यहां जारी रिपोर्ट में कहा गया
-26.6 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नोटबंदी से काले धन का सफाया हुआ है
-55.4 प्रतिशत लोग मानते हैं कि काला धन नहीं पकड़ा गया
-17.5 प्रतिशत लोगों ने इस पर जवाब नहीं दिया।
-26.3 प्रतिशत ने माना कि नोटबंदी से आतंकवाद खत्म हो जाएगा
-25.3 प्रतिशत ने कोई जवाब नहीं दिया।
-33.2 प्रतिशत ने माना कि इससे घुसपैठ कम हुई
-45.4 ने माना कि घुसपैठ कम नहीं हुई
-22 प्रतिशत लोगों ने जवाब नहीं दिया।

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क्यों की गई नोटबंदी
-रिपोर्ट के अनुसार 48.6 प्रतिशत लोगों का कहना हा कि कैशलेस समाज बनाने का झांसा देने के लिए नोटबंदी की गई
-34.2 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नकदी रहित अर्थव्यस्था अच्छी बात है और सरकार ने इस दिशा में कदम उठाया है
-17 प्रतिशत लोगों ने माना कि अर्थव्यस्था को नकदी रहित बनाने के लिए ही नोटबंदी की गई।
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किनको हुआ इससे फायदा
-6.7 प्रतिशत लोगों का कहना है कि नोटबंदी से आम जनता को फायदा हुआ
-60 प्रतिशत लोगों ने माना कि इस से कारपोर्रेट जगत को लाभ हुआ
-26.7 प्रतिशत की नकार में नोटबंदी से सरकार को फायदा हुआ। 

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अमीर नहीं गरीब लगे लाइन में
सर्वे में 65 प्रतिशत लोगों ने माना कि नोटबंदी के दौरान अमीर लोग बैंक की लाइन में नहीं लगे जबकि नोटबंदी से 50 प्रतिशत लोगों का भरोसा सरकार पर से खत्म हो गया। सर्वेक्षण को तैयार करने में वादा न तोड़ो, युवा, मजदूर किसान विकास संस्थान, आश्रय, आसरा मंच, नई सोच, पहचान, रचना, अधिकार, अभियान जैसे अनेक संगठनों ने सहयोग किया है। रिपोर्ट में उन 90 मृतक की सूची भी दी गई जो नोटबंदी के दौरान मौत के शिकार बने।


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