ऑफ द रिकॉर्डः सर्वे कंपनी ने दी भाजपा को सलाह, इस बार बिहार में अकेले लड़ो चुनाव

punjabkesari.in Wednesday, Sep 02, 2020 - 11:58 AM (IST)

नई दिल्लीः बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। सभी दल अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। भाजपा-जनता दल (यू) तथा लोक जनशक्ति पार्टी (एल.जे.पी.) के बारे में यद्यपि ये घोषणाएं की जा रही हैं कि तीनों मिलकर चुनाव लड़ेंगे परंतु अभी कुछ भी पक्का नहीं है। यदि भाजपा हाईकमान के करीबी सूत्रों की मानें तो पूरे बिहार के लिए एक व्यापक सर्वे कराया गया था। यह सर्वे एक नामी एजैंसी ने किया। 

एजैंसी ने भाजपा हाईकमान को बताया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोविड तथा बाढ़ से निपटने के दौरान जनता में अपना विश्वास खो चुके हैं। ऐसे में भाजपा को जोखिम उठाकर बिहार में चुनाव अकेले लडऩा चाहिए तथा यह भाजपा के लिए राज्य में आगे बढऩे का स्वर्णिम अवसर है। 

यही कारण है कि भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के साथ बैठक में बिहार के सांसदों ने विधानसभा चुनाव बराबर सीटों पर लडऩे पर जोर दिया। इसका अर्थ हुआ कि 100-100 सीटों पर भाजपा व जद (यू) लड़ें तथा बाकी 43 सीटें एल.जे.पी. व अन्य सहयोगियों के लिए छोड़ी जाएं। नीतीश कुमार भाजपा को 100 सीटें देने को तैयार नहीं हैं। वह 243 सीटों में से कम से कम 115 सीटों पर चुनाव लडऩा चाहते हैं। 

नीतीश जानते हैं कि यदि वह 115 से कम सीटों से लड़े तो चुनाव के बाद भाजपा उन्हें दबाव में रखेगी। चूंकि कांग्रेस-राजद गठबंधन छिन्न-भिन्न है इसलिए यह तय है कि चुनाव में भाजपा-जद (यू)-एल.जे.पी. गठबंधन जीतेगा। पिछले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद  100-100 सीटों पर लड़े थे तथा उन्होंने 43 सीटें छोटे सहयोगियों के लिए छोड़ी थीं। उनका गठबंधन चुनाव में विजयी रहा परंतु नीतीश लालू का साथ छोड़कर भाजपा के साथ आ मिले। 

2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने नीतीश को 17 लोकसभा सीटें देकर उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। तब एल.जे.पी. को 6 सीटें दी गई थीं परंतु अब समय बदल गया है। भाजपा को लगता है कि बिहार में अपना हाथ ऊपर रखने का उसके पास मौका आ गया है क्योंकि इस समय नीतीश कुमार  बैकफुट  पर  हैं।  देखना होगा कि भाजपा को इसका कितना लाभ मिलता है?


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Pardeep

Recommended News

Related News