भगवान पुरूषों-महिलाओं में भेदभाव नहीं करता, तो मंदिरों में क्यों?: SC

punjabkesari.in Saturday, Feb 13, 2016 - 01:40 PM (IST)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि भगवान पुरूषों और महिलाओं के बीच भेदभाव नहीं करते हैं तो फिर मंदिरों में भेदभाव क्यों? कोर्ट ने कहा कि वह ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर में एक खास आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध के ‘संवैधानिक मानदंडों’ पर पड़ताल करेगा।

कोर्ट ने सती अनुसुईया की पौराणिक कथा का हवाला देते हुए कहा कि आप माताओं को मंदिर में प्रवेश करने से कैसे रोक सकते हैं। भगवत गीता का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा कि ना तो वेद ना ही उपनिषद लिंग के आधार पर भेदभाव करता है। फिर मंदिर परिसरों में लैंगिक भेदभाव क्यों?

कोर्ट ने केरल सरकार के हालिया रूख को पैंतरेबाजी करार देते हुए कहा कि आपने एक उल्टा रूख अख्तियार करते हुए हलफनामा दाखिल किया। हम इस बात की भी पड़ताल करेंगे। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने अपने हालिया हलफनामे में कहा था कि महिलाओं के प्रवेश पर निषेध धर्म का मामला है और यह इन श्रद्धालुओं की धर्म का अनुसरण करने के अधिकार की रक्षा करने के लिए कर्तव्यबद्ध है। पीठ ने मामले की सुनवाई अप्रैल के लिए मुल्तवी कर दी और वकीलों से कहा कि यह किसी भावनात्मक तर्क की इजाजत नहीं देगा। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News