सैनिटाइजेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अब कोई नहीं कर पाएगा जबरदस्ती
punjabkesari.in Tuesday, Sep 08, 2020 - 02:11 PM (IST)
नेशनल डेस्कः कोरोना महामारी ने जैसे ही भारत में दस्तक दी थी तभी से कई कंपनियों और कई जगह लोगों को संक्रमण से मुक्त करने के लिए सेनेटाइज टनल (Sanitising tunnel) लगाई गई थी। वहीं सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इन टनल के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह मानव शरीर के लिए अच्छी नहीं हैं, इसलिए इनके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। दरअसल सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से सवाल किया कि कोरोना के दौरान रोगाणुओं से मुक्त करने वाले रासायन (sanitizer) का लोगों पर छिड़काव हानिकारक होने के बावजूद अभी तक इसके प्रयोग पर रोक क्यों नहीं लगाई है।
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की पीठ को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सूचित किया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के रोगाणुओं से मुक्त करने के मनुष्य पर पारगामी किरणों (Transverse rays) के इस्तेमाल के बारे में किसी प्रकार की सलाह या दिशानिर्देश जारी नहीं किए हैं। उन्होंने कहा कि रोगाणुओं से मुक्त करने के लिए किसी भी प्रकार के रासायनिक मिश्रण (sanitizer) का छिड़काव भी मनुष्य के शरीर और मनोदशा के लिए हानिकारक है। पीठ ने इस पर सालिसीटर जनरल से जानना चाहा कि अगर रोगाणुओं से मुक्त करने के लिए यह इतने नुकसान देह है तो इन पर बैन क्यों नहीं लगाया गया। इस पर मेहता ने कहा कि इस संबंध में उचित निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
9 जून को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति की बैठक में इस बात को दोहराया गया था कि दरवाजे-चौखट या फिर पूरा एक रूम रसायन (Sanitising tunnel) का छिड़काव के लिए तैयार करना और उसमें से लोगों पर रासायन (sanitizer) का छिड़काव उपयोगी नहीं है और यह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने या संक्रमण की छोटी-छोटी बूंदे वायरस फैसले से नहीं रोकती है। समिति ने यह भी कहा था कि Covid-19 के वायरस या अन्य प्रकार के संक्रमणों पर अंकुश पाने के लिए सड़कों या बाजार या खुले स्थानों पर इस तरह का छिड़काव या रासायनिक धुआं छोड़ने के तरीके अपनाने की भी सिफारिश नहीं की है। बता दें कि विशेषज्ञों ने भी अपने अध्ययन में यह बात कही थी कि इन डिसइंफेक्शन टनल्स में इस्तेमाल होने वाले केमिकल निर्जीव चीजों पर तो वायरस को खत्म कर देते हैं लेकिन सजीव शरीर पर इसका नुकसान ज्यादा होता है।