कनाडा में खालिस्तानियों का बढ़ा आंतकः पंजाबी व्यवसायी की हत्या, खतरे में सिख कारोबारियों की जान
punjabkesari.in Saturday, Jun 07, 2025 - 02:28 PM (IST)

International Desk: कनाडा ने वर्षों से कथित "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" और "शरण नीति" के नाम पर भारत विरोधी तत्वों और खालिस्तान समर्थकों को खुली छूट दी है। लेकिन अब उसी नीति का खामियाजा कनाडा के आम पंजाबी नागरिक भुगत रहे हैं। जिन लोगों को कभी “राजनैतिक शरणार्थी” मानकर जगह दी गई, अब वही चरमपंथी तत्व कनाडा में बसे पंजाबी कारोबारियों से रंगदारी वसूलने, धमकाने और हत्या करने में लगे हैं। कनाडा के एक प्रसिद्ध पंजाबी व्यवसायी हरजीत सिंह ढड्डा की हाल ही में दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। अब उनकी बेटी गुरलीन कौर ढड्डा ने खुलासा किया है कि उनके पिता से 5 लाख डॉलर (लगभग 4 करोड़ रुपये) की रंगदारी मांगी जा रही थी। गुरलीन के अनुसार, उनके परिवार ने पहले ही धमकियों की सूचना कनाडाई पुलिस को दी थी, लेकिन अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने कहा, “मेरे पिता मेहनत की कमाई को किसी को नहीं देने वाले थे, उन्होंने झुकने से साफ मना कर दिया था।”
खालिस्तानियों का अपने ही समुदाय पर वार
हरजीत ढड्डा की हत्या कोई अकेला मामला नहीं है। ब्रैम्पटन, वैंकूवर, एडमोंटन, ओकविले, कैलगरी और सरी (BC) जैसे इलाकों में पंजाबी कारोबारियों को धमकियां, जबरन वसूली की कॉल, गोलीबारी और आगजनी की कई घटनाएं दर्ज हुई हैं।जिन संगठनों पर पहले भारत ने आरोप लगाए थे, अब उनके नाम कनाडा की जांच एजेंसियों की रिपोर्ट में भी सामने आ रहे हैं।
गिरफ्तारियां और साजिश की पुष्टि
ब्रैम्पटन में हाल ही में रंगदारी के लिए गोली चलाने के आरोप में हरपाल सिंह (34), राजनूर सिंह (20) और एकनूर सिंह (22) को गिरफ्तार किया गया। यह तीनों ब्रैम्पटन के ही निवासी हैं और सीधे तौर पर खालिस्तानी नेटवर्क से जुड़े गिरोहों के संपर्क में थे।व्यापारियों ने बताया कि जब वे धमकियों की शिकायत लेकर पुलिस के पास गए, तो उन्हें "देखते हैं" कहकर लौटा दिया गया। बाद में, जब धमकियां सच्चाई में बदल गईं । दुकानों में गोलीबारी, ट्रकिंग कंपनियों पर हमले और परिवारों को धमकियों की बौछार हुई तब जाकर जांच शुरू हुई।
भारत ने पहले ही दी थी चेतावनी
भारत ने पहले ही कनाडा को आगाह किया था कि वह अपनी भूमि का इस्तेमाल खालिस्तान जैसे अलगाववादी आंदोलन और आतंकवाद के लिए न होने दे। लेकिन कनाडा की सरकार, खासकर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस चेतावनी को ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के नाम पर नज़रअंदाज़ किया।अब कनाडा में बसे आम सिख और पंजाबी नागरिक खुद खतरे में हैं। यह सवाल अब कनाडा की संसद और जनता में गूंज रहा है “क्या खालिस्तानी आतंकियों को शरण देकर हमने खुद को ही कमजोर कर लिया है?”