"मैं नाबालिग हूं साहिब!" पहले लॉकअप में किया जमकर टॉर्चर, फिर मेरे प्राइवेट पार्ट के...

punjabkesari.in Wednesday, Jul 16, 2025 - 04:00 PM (IST)

नेशनल डेस्क। राजस्थान के अलवर के शिवा पार्क थाना इलाके में अमित सैनी नाम के युवक की आत्महत्या मामले में कई नए मोड़ सामने आए हैं जिसने पुलिस पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। युवक को चोरी के एक मामले में पुलिस ने हिरासत में लिया था। उस दौरान अमित सैनी के साथ एक 16 साल के नाबालिग को भी हिरासत में लिया गया था जिसने अब पुलिस पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। उसने आरोप लगाया कि, पुलिस ने पहले टॉर्चर किया और उसके प्राइवेट पार्ट के बाल तक उखाड़ डाले फिर दूसरे कमरे में लिजाकर जमकर पीटा।   

सनसनीखेज दावा: "पुलिस ने अमित को टॉर्चर किया, उखाड़े प्राइवेट पार्ट के बाल"

अमित सैनी के साथ हिरासत में लिए गए नाबालिग का कहना है कि पुलिस ने अमित को लॉकअप में बहुत टॉर्चर किया। उसने दावा किया कि पुलिस ने अमित को दूसरे कमरे में ले जाकर 4 बार पीटा। नाबालिग ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनसे 16 केस कबूल करने का दबाव बनाया। सबसे चौंकाने वाला आरोप यह है कि पुलिसकर्मियों ने अमित के प्राइवेट पार्ट के बाल तक उखाड़े।

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नाबालिग ने आगे बताया, "मैंने उन्हें बताया कि मैं नाबालिग हूँ। फिर भी पुलिस ने मेरी उम्र 19 लिखी और लॉकअप में रखकर पीटा।" उसने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने अमित के पर्स और मोबाइल भी नहीं लौटाए। 9 जुलाई को लॉकअप से बाहर आने के बाद अमित ने ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली। अमित के पास से मिले सुसाइड नोट में उसने 3 पुलिसकर्मियों के नाम लिखे हैं।

बारी-बारी से कमरे में बुलाकर किया टॉर्चर

नाबालिग ने घटनाक्रम बताते हुए कहा कि 5 जुलाई को उसने अमित सैनी के कहने पर कबाड़ का सामान उठाया था जिसे चिकानी (अलवर) में एक कबाड़ी को बेच दिया। फिर पुलिस उसे उस कबाड़ी की दुकान पर लेकर गई वहाँ से चोरी का माल बरामद कर उसे थाने ले गई और लॉकअप में बंद कर दिया। उसने बताया कि उसे तीन घंटे लॉकअप में बंद रखा गया और करीब तीन घंटे बाद अमित को भी लाकर बंद कर दिया गया। नाबालिग के अनुसार पुलिस उन्हें बारी-बारी से दूसरे कमरे में बुलाकर टॉर्चर करती रही। 8 जुलाई को उसकी नानी ने उन दोनों की ज़मानत दिलवाई।

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परिजनों का आरोप: झूठे केस में फंसाया

मृतक अमित सैनी के पिता लक्ष्मण सैनी के मुताबिक 7 जुलाई को सदर थाना पुलिस ने चोरी के झूठे आरोप में उसके बेटे को पकड़ा और थाने ले जाकर शांति भंग की कार्रवाई में बंद कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि वहाँ उसके साथ रातभर मारपीट की गई और जान से मारने की धमकी दी गई।

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परिजनों ने वकील की मदद से उसे थाने से छुड़वाया लेकिन उसका मोबाइल, पर्स और मोटरसाइकिल पुलिस और अन्य लोगों के पास ही रह गए जिन्हें वापस न मिलने और थाने में हुए अपमान के कारण अमित मानसिक रूप से टूट गया। अमित पहले एक निजी अस्पताल में काम करता था लेकिन कुछ समय से बेरोजगार था। एक साल पहले ही उसकी शादी हुई थी। अमित के पास से मिला सुसाइड नोट दो पेज का है जिसमें सभी आरोपियों के नाम स्पष्ट रूप से दर्ज हैं।

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पुलिस का बयान: कोई मारपीट नहीं हुई

शिवाजी पार्क थानाधिकारी विनोद सामरिया ने बताया कि परिवार के लोगों के बयान दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी और मामले में सभी तथ्य जुटाए जा रहे हैं। वहीं अमित सैनी के सुसाइड के बाद नाबालिग के आरोप पर सदर थाना पुलिस के थानाधिकारी रमेश सैनी का कहना है कि युवक को शांति भंग में गिरफ्तार किया था और उपखंड अधिकारी के समक्ष पेश कर ज़मानत पर छोड़ दिया था। उन्होंने थाने में किसी भी तरह की मारपीट से इनकार किया है।

यह मामला पुलिस हिरासत में हुई मौतों और मानवाधिकारों के उल्लंघन पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े करता है।  


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Content Editor

Rohini Oberoi

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