AIIMS Study on COVID vaccine: स्टडी में बड़ा खुलासा- सेफ है COVID वैक्सीन, अचानक मौतों का इससे कोई लेना-देना नहीं!
punjabkesari.in Monday, Dec 15, 2025 - 03:26 PM (IST)
नेशनल डेस्क: देश में अचानक हो रही युवा मौतों को लेकर फैली चिंताओं और कोविड-19 वैक्सीन पर उठ रहे सवालों पर दिल्ली के AIIMS ने एक बड़ी राहत भरी रिपोर्ट जारी की है। AIIMS में एक साल की डिटेल स्टडी (ऑटोप्सी-बेस्ड ऑब्ज़र्वेशनल स्टडी) पूरी हुई है, जिसमें यह साफ हो गया है कि युवा वयस्कों की अचानक होने वाली मौतों का COVID-19 वैक्सीनेशन से कोई संबंध नहीं है। इस रिपोर्ट ने वैक्सीन की सुरक्षा की पुष्टि की है।
Indian Council of Medical Research (ICMR) के मुख्य जर्नल इंडियन जर्नल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (IJMR) में प्रकाशित इस स्टडी का शीर्षक है, ‘युवा वयस्कों में अचानक मौत का बोझ: भारत में एक टर्शियरी केयर सेंटर में एक साल की ऑब्ज़र्वेशनल स्टडी’।

मौत का मुख्य कारण क्या है?
रिसर्च में युवा वयस्कों की अचानक मौत की घटनाओं की विस्तृत जांच की गई। एक्सपर्ट्स की एक मल्टीडिसिप्लिनरी टीम ने वर्बल ऑटोप्सी, पोस्ट-मॉर्टम इमेजिंग और हिस्टोपैथोलॉजिकल जांच जैसे तरीकों का इस्तेमाल किया।
स्टडी के अनुसार युवा आबादी में अचानक मौत का सबसे आम कारण Cardiovascular system से जुड़ा हुआ पाया गया, जिसमें अंदरूनी Coronary artery disease (CAD) मुख्य है। इसके बाद सांस से जुड़े कारण और अन्य Non-cardiac स्वास्थ्य समस्याएं थीं।
स्टडी ने साफ तौर पर कहा कि COVID-19 वैक्सीनेशन की स्थिति और युवा आबादी में अचानक होने वाली मौतों के बीच कोई सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण संबंध नहीं मिला। कोविड-19 बीमारी का इतिहास और वैक्सीनेशन की स्थिति युवाओं और बुजुर्गों, दोनों ग्रुपों में समान पाई गई, जिससे कोई कारण-संबंध साबित नहीं हुआ।
भ्रामक दावों को मार्गदर्शन नहीं मिलना चाहिए
नई दिल्ली के AIIMS के प्रोफेसर डॉ. सुधीर अरावा ने इस स्टडी के प्रकाशन को बेहद महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि कई भ्रामक दावे और अपुष्ट रिपोर्टें COVID-19 वैक्सीनेशन को अचानक होने वाली मौतों से जोड़ रही थीं, लेकिन AIIMS के नतीजे इन दावों का समर्थन नहीं करते हैं। डॉ. अरावा ने जोर दिया कि सार्वजनिक समझ और बातचीत को वैज्ञानिक और सबूतों पर आधारित रिसर्च से निर्देशित किया जाना चाहिए।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि युवाओं में अचानक होने वाली मौतें, दुखद होने के बावजूद अक्सर अंदरूनी और कभी-कभी बिना डायग्नोस की गई मेडिकल कंडीशंस, खासकर हृदय रोगों से जुड़ी होती हैं। इन मौतों को रोकने के लिए शुरुआती स्क्रीनिंग, लाइफस्टाइल में बदलाव और समय पर मेडिकल केयर जैसे फोकस्ड पब्लिक हेल्थ हस्तक्षेप की ज़रूरत है।

आंकड़ों में सामने आई बात
स्टडी के दौरान कुल 2,214 केसों में से 180 केस अचानक मौत के क्राइटेरिया को पूरा करते थे।
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इन अचानक मौतों में 18-45 साल के युवाओं की हिस्सेदारी 57.2 % (103) थी।
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46-65 साल के वृद्धों की हिस्सेदारी 42.8%(77) थी।
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कुल ऑटोप्सी किए गए केसों में युवा लोगों में अचानक मौत की घटना 4.7% थी।
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युवा मामलों की औसत उम्र 33.6 साल थी, जिसमें पुरुष-महिला अनुपात 4.5:1 था।
स्टडी में कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ (CAD) से होने वाली मौतों के ज़्यादा मामले युवाओं में देखे गए हैं।
