मुस्लिम संगठन ने ISIS को लेकर किया चौंकाने वाला दावा

punjabkesari.in Monday, Feb 08, 2016 - 09:05 PM (IST)

नई दिल्ली: सूफी-सुन्नी मुस्लिमों के एक संगठन ने आज दावा किया कि खतरनाक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस देश में अलग अलग नामों से ‘‘सक्रिय’’ है और राष्ट्रीय सुरक्षा को होने वाले खतरों की रोकथाम के लिए इस तरह के समूहोंं की नुमाइंदगी करने वाले संगठनों पर पाबंदी होनी चाहिए।  
 
ऑल इंडिया तंजीम उलेमा-ए-इस्लाम के बयान केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के 27 दिसंबर को दिये बयानों की पृष्ठभूमि में आए हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय संस्कृति के पारिवारिक मूल्यों की वजह से आईएसआईएस देश में अपनी जड़ें नहीं जमा पाया है। एआईटीयूआई ने यहां आयोजित अपने दिनभर चले ‘आतंकवाद विरोधी सम्मेलन’ में देश के विश्वविद्यालयों में इस्लामी शिक्षा की पड़ताल की वकालत की और युवाओं पर ‘आतंकवाद का प्रभाव’ पडऩे से रोकने के लिए सूफी सामग्री को बढ़ावा देने की बात कही।  
 
एआईटीयूआई अध्यक्ष मुफ्ती मोहम्मद अशफाक हुसैन कादरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘दुनिया में आतंकी गतिविधियां बढ़ रहीं हैं। हम इनकी निंदा करते हैं और इस बात पर जोर देते हैं कि सूफी-सुन्नी मुस्लिम किसी भी तरह इन गतिविधियां में संलिप्त नहीं हैं। लेकिन हम इस बात को रेखांकित करना चाहते हैं कि भारत में आईएसआईएस विभिन्न नामों से सक्रिय है।’’  
 
उन्होंने कहा, ‘‘आईएसआईएस के सहयोगी संगठन कांफ्रेंस आयोजित कर रहे हैं और इसके लिए सउदी अरब और कतर से धन प्राप्त कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र एेसे सभी संगठनों पर रोक लगाए।’’ भारत में सूफी-सुन्नी मुस्लिम युवाओं को आतंकवादी तत्वों के झांसे में नहीं पडऩे की अपील करते हुए मुस्लिम विद्वानों ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को उच्च इस्लामी अध्ययन के तहत दी जा रही शिक्षण सामग्री में सूफी विषयवस्तु को बढ़ावा देना चाहिए।  
 
देश के अलग-अलग हिस्सों से यहां एकत्रित हुए मुस्लिम विद्वानों ने केंद्र से यह अनुरोध भी किया कि शिक्षण संस्थानों के अल्पसंख्यक दर्जे को बदलने के प्रयास छोड़ दिये जाएं। उनका इशारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया को लेकर सरकार के रख के संदर्भ में था। 

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