शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने किस पर लगाया गंभीर आरोप, जान से मारने की धमकी का दावा!

punjabkesari.in Monday, Feb 03, 2025 - 04:14 PM (IST)

नेशनल डेस्क: प्रयागराज में मौनी अमावस्या के दिन हुए अमृत स्नान के दौरान हुई भगदड़ पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने उत्तर प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शंकराचार्य का कहना है कि उन्हें इस हादसे को लेकर सरकार की ओर से दबाव डाला जा रहा है और जान से मारने की धमकी मिल रही है। उन्होंने इस बारे में खुलकर बयान देते हुए कहा कि सरकार ने हादसे में हुई मौतों की असली संख्या छिपाई है और इस संबंध में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है। 

शंकराचार्य ने आरोप लगाया कि जब प्रशासन यह आंकड़ा देने के लिए तैयार नहीं है, तो यह सरकार की व्यवस्था में गंभीर खामी का संकेत है। उन्होंने कहा, “जब इतने लाख लोग स्नान करने के लिए आते हैं, तो हर घंटे की रिपोर्ट होती है कि कितने लोग स्नान कर चुके हैं, लेकिन मृतकों की संख्या तक सही से नहीं बताई जा रही है। यह किस तरह की व्यवस्था है?” उन्होंने यह भी कहा कि हादसे में मारे गए लोगों के वास्तविक आंकड़े को दबाया जा रहा है, ताकि सरकार की छवि को नुकसान न हो।

इस पर एक सवाल पूछे जाने पर कि क्या सत्ता पक्ष ने उन्हें इस तरह के बयान न देने के लिए कहा है, तो शंकराचार्य ने कहा कि अगर वे उनसे मिलने आते तो बेहतर होता। वे कहते, “अगर उनके लोग आते और हमसे कहते कि आपकी बात तथ्यों के खिलाफ है, तो हमें अच्छा लगता कि कम से कम वे सच्चाई हमारे सामने रखते, लेकिन वे तो संवाद करने के बजाय धमकियां दे रहे हैं।”  शंकराचार्य ने यह भी बताया कि उन्हें और उनके समर्थकों को खुलेआम जान से मारने की धमकी मिल रही है। उन्होंने कहा, “कुछ लोग मुझे लिखकर कहते हैं कि हम आपको जान से मार देंगे। मैं एक संन्यासी हूं, मुझे मरने से डर नहीं लगता। हमें सांसारिक सुख नहीं चाहिए, हमारी तो केवल आध्यात्मिक यात्रा है।”

इसके अलावा, शंकराचार्य ने यह भी बताया कि मीडिया को घटना की रिपोर्टिंग करने के दौरान पुलिस द्वारा परेशान किया जा रहा था। वे कहते हैं, “मीडिया जब घटना को कवर करने के लिए जाती है, तो पुलिस उन्हें डंडे से भगा देती है। क्या यह सरकार का रवैया है?” शंकराचार्य ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य सत्ता पक्ष के पक्ष में खड़ा होना नहीं है। उनका कहना था, “हम सत्ता से नहीं, बल्कि हिंदू समाज से जुड़े हैं। हम उनकी आवाज उठाने के लिए खड़े हैं, राजनीति के लिए नहीं।” अंत में, शंकराचार्य ने यह कहा कि उन्होंने यह कदम केवल हिंदू समाज के हित में उठाया है, और वे उनके अधिकारों और सुरक्षा के लिए लगातार आवाज उठाते रहेंगे। उनका उद्देश्य राजनीति में शामिल होना नहीं, बल्कि समाज के लिए कार्य करना है। 


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Content Editor

Mahima

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