अब लैब में तैयार होंगे स्पर्म, पुरुषों के बांझपन का हो सकेगा इलाज, दुनिया भर के निसंतान दंपतियों को मिलेगी राहत

punjabkesari.in Sunday, Jun 01, 2025 - 12:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क। पुरुषों में इन्फर्टिलिटी (बांझपन) की समस्या अब बीते जमाने की बात हो सकती है। आयरलैंड के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा क्रांतिकारी शोध किया है जिससे भविष्य में लाखों निसंतान दंपतियों की जिंदगी बदल सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ लिमरिक (यूएल) के शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में पुरुष प्रजनन अंग की कोशिकाओं से शुक्राणु (स्पर्म) बनाने की तकनीक विकसित की है। यह तकनीक प्राकृतिक रूप से संतान प्राप्ति की दिशा में एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है।

लैब में बने शुक्राणु: शोध की बड़ी सफलता

यूएल की रिसर्च टीम ने इस शोध में प्रजनन अंग के प्रीक्लिनिकल मॉडल का उपयोग करते हुए चूहे की कोशिकाओं से सफलतापूर्वक शुक्राणु तैयार किए हैं। यह एक बड़ी वैज्ञानिक सफलता है। हालांकि मानव कोशिकाओं से स्पर्म बनाना अभी बाकी है लेकिन वैज्ञानिक इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि यह तकनीकी बाधा भी जल्द ही पार कर ली जाएगी। इस प्रक्रिया में मैकेनिकल इंजीनियरिंग और मटेरियल साइंस की भूमिका अहम रहने वाली है।

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पुरुषों में क्यों बढ़ रही है इन्फर्टिलिटी?

शोधकर्ताओं का कहना है कि पिछले सात दशकों में पुरुषों में प्रजनन क्षमता में भारी गिरावट देखी गई है। इसके पीछे कई मुख्य कारण हैं:

➤ जीवनशैली में बदलाव
➤ तनाव

 

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➤ हार्मोनल असंतुलन
➤ प्लास्टिक और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग

➤ दर्द निवारक दवाएं और सौंदर्य प्रसाधन

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मौजूदा इलाज की सीमाएं और नई तकनीक की उम्मीद

वर्तमान में पुरुषों की इन्फर्टिलिटी का इलाज या तो सर्जरी होता है या स्पर्म डोनेशन। सर्जरी में सफलता की दर बेहद कम होती है और स्पर्म डोनेशन एक भावनात्मक रूप से जटिल और संवेदनशील फैसला होता है। ऐसे में लैब में तैयार किए गए शुक्राणु एक सुलभ और स्वाभाविक विकल्प प्रदान कर सकते हैं जिससे कई दंपतियों को संतान सुख मिल सकेगा।

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लाखों लोगों को मिलेगी राहत 

अगर यह तकनीक इंसानों पर सफल होती है तो यह वैश्विक स्तर पर इन्फर्टिलिटी की समस्या को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखती है। इससे न केवल लाखों दंपतियों में संतान प्राप्ति की उम्मीद जगेगी बल्कि इससे जुड़ा सामाजिक और मानसिक तनाव भी कम होगा। यह शोध चिकित्सा विज्ञान और मानव कल्याण के लिए एक बड़ी छलांग है।

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी भी क्वालीफाइड मेडिकल ओपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से न आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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