SC ने पूछा, राहुल गांधी मानहानि मामले में पुलिस का क्या काम

punjabkesari.in Wednesday, Jul 27, 2016 - 05:26 PM (IST)

नई दिल्ली: राहुल गांधी के खि‍लाफ आपराधि‍क मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज निचली अदालत द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने पूछा कि मजिस्ट्रैट ने मामले की खुद जांच करने की बजाए पुलिस को जांच के लिए क्यों भेजा? कोर्ट ने कहा कि मानहानि के मामलों में पुलिस का कोई रोल नहीं है। अदालत ने कहा कि मजिस्ट्रैट को खुद शिकायतकर्त्ता राजेश महादेव कुंटे द्वारा मुहैया करवाए गए सबूतों के आधार पर निर्णय लेना चाहिए था। शिकायत को जांच के लिए पुलिस के पास नहीं भेजना चाहिए था, क्योंकि आपराधिक मानहानि से जुड़े मामले में पुलिस का कोई रोल नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमें लगता है कि मामले को दोबारा मजिस्ट्रेट के पास भेजा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाल ही उनके द्वारा सुब्रमण्यम स्वामी के मामले में की गई टिप्पणि‍यों में भी यह बात साफ की जा चुकी है। धारा 499/500 के लिए प्रक्रिया को विस्तृत तौर पर समझाया जा चुका है। भिवंडी, महाराष्ट्र के मजिस्ट्रेट ने इस मामले को जांच के लिए भेज दिया था और पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर मजिस्ट्रेट ने राहुल गांधी को समन जारी किया था। राहुल ने उसी समन के आदेश को चुनौती दी है। राहुल गांधी के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से गुहार लगाई कि 12 अगस्त के बाद इस मामले की तारीख रखी जाए, क्योंकि संसद सत्र 12 अगस्त तक है।

जज ने कहा- सिब्बल जी आप बैठ जाइए
सुनवाई के दौरान कपिल की दलीलों को जस्टिस दीपक मिश्रा काफी तवज्जो दे रहे थे जबकि दूसरी तरफ शिकायतकर्त्ता राजेश महादेव कुंटे की तरफ से वकील यूआर ललित पेश हुए। वे काफी उम्रदराज हैं। जस्टिस दीपक मिश्रा को यह नहीं पता था कि ललित, सुप्रीम कोर्ट के ही न्यायाधीश यूयू ललित के पिता हैं। जब जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने  जस्टिस दीपक मिश्रा को इस बारे में अवगत करवाया तो जस्टिस मिश्रा ने कहा कि उनको ये बात पता नहीं थी। इसके बाद उनका अंदाज भी थोड़ा बदल गया और उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ''अब मैं कपिल सिब्बल से कहता हूं कि वे बैठ जाएं और ललित साहब को बोलने दें। इसके बाद वकील यूआर ललित ने अपना पक्ष रखा।


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