सबरीमला फैसला: केरल में संगठनों और श्रद्धालुओं की धड़कने बढ़ीं

punjabkesari.in Wednesday, Nov 13, 2019 - 07:42 PM (IST)

तिरुवनंतपुरम: उच्चतम न्यायालय द्वारा सबरीमला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश की इजाजत के अपने फैसले की समीक्षा के मामले में गुरुवार को फैसला सुनाए जाने से पूर्व केरल में राजनीतिक दलों, दक्षिणपंथी संगठनों और श्रद्धालुओं की धड़कनें तेज हो गई हैं। केरल में पिछले साल शीर्ष अदालत के आदेश को लागू करने के माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार के फैसले को लेकर श्रद्धालुओं और दक्षिणपंथी संगठनों के विरोध प्रदर्शन से माहौल गर्मा गया था। 

PunjabKesari
उच्चतम न्यायालय का फैसला मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की अगुवाई वाली एलडीएफ सरकार के लिए भी अहम है क्योंकि बस तीन दिन बाद सबरीमला में वार्षिक तीर्थयात्रा शुरू होने जा रही है। केरल में पथनमथिट्टा जिले के पश्चिमी घाटी पर संरक्षित वनक्षेत्र में स्थित इस पहाड़ी धार्मिक स्थल के द्वार 16 नवंबर की शाम को दो महीने तक चलने वाले मंडलम मकराविलाक्कू के लिए खोले जाएगे। विजयन ने निर्बाध तीर्थयात्रा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विभागों द्वारा की जा रही तैयारियों का शनिवार को जायजा लिया था। 

PunjabKesari
पुलिस महानिदेशक लोकनाथ बेहरा ने कहा है कि इस तीर्थयात्रा मौसम के दौरान कड़ी सुरक्षा होगी। दो महीने की तीर्थयात्रा के दौरान सबरीमला में भगवान अयप्पा के मंदिर और उसके आसपास 10,हजार से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे। प्रदेश भाजपा ने बुधवार को उम्मीद जताई कि समीक्षा याचिकाओं पर आदेश श्रद्धालुओं के पक्ष में आएगा जबकि मंदिर का प्रबंधन संभालने वाले स्वायत्त निकाय त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड ने लोगों से फैसले को स्वीकार करने की अपील की है, चाहे यह (फैसला) जो भी हो। 

PunjabKesari
शीर्ष अदालत ने 28 सितंबर, 2018 को उस पाबंदी को हटा लिया था जिसमें 10 से 50 साल तक की उम्र की महिलाओं के अयप्पा मंदिर में प्रवेश पर रोक थी और सदियों पुरानी इस धार्मिक परंपरा को अवैध और असंवैधानिक करार दिया था।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

shukdev

Recommended News

Related News