घर जला, मंदिर फूंका, अब स्कूल में शरण… मुर्शिदाबाद हिंसा ने छीन लिया सबकुछ, हजारों हिंदू परिवारों का दर्द छलका

punjabkesari.in Tuesday, Apr 15, 2025 - 11:08 AM (IST)

नेशलन डेस्क: पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला इन दिनों हिंसा की आग में जल रहा है। वक्फ कानून के विरोध में शुरू हुआ प्रदर्शन अब बेकाबू हो चुका है। शुक्रवार को भड़की हिंसा ने धुलियान इलाके में डर और दहशत का ऐसा माहौल बना दिया है कि लोग अपने घरों को छोड़कर भागने को मजबूर हो गए हैं। खासकर हिंदू समुदाय के लोग दंगाइयों के खौफ से गांव छोड़कर मालदा के राहत शिविरों में शरण ले चुके हैं। धुलियान में दंगाइयों ने किसी को नहीं बख्शा। घर, मंदिर और दुकानें… सभी को आग के हवाले कर दिया गया। जो सामने आया, उसे तबाह कर दिया गया। कई मेडिकल स्टोर और सालों से चल रही दुकानें जलकर राख हो गईं। दुकानों के शटर तोड़कर लूटपाट की गई और फिर आग लगा दी गई। भीड़ का हिंसक चेहरा देखकर लोग अपनी जान बचाकर भागने लगे।

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कैसे घर छोड़कर पहुँचे मालदा
हिंसा से डरकर करीब 1000 हिंदू परिवार मालदा जिले के लालपुर हाई स्कूल में शरण लेने पहुंचे हैं। लेकिन यहां भी हालात बेहतर नहीं हैं। स्कूल को पुलिस ने सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया है और किसी को बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। नतीजतन राहत कैंप में रह रहे लोग भोजन और दवाईयों की कमी से परेशान हैं। पीने का पानी तक ठीक से नहीं मिल पा रहा है। पीड़ितों की हालत एक तरह से कैदी जैसी हो गई है।

पीड़ितों की दर्दभरी दास्तान
हिंसा झेल चुके लोगों का दर्द सुनकर रूह कांप जाती है। किसी का घर राख हो गया तो किसी की जिंदगी भर की कमाई लूट ली गई। एक मेडिकल स्टोर मालिक ने बताया, "भीड़ ने मेरी दुकान का ताला तोड़ा और सारा सामान लूट लिया। पुलिस आती इससे पहले सब खाक हो चुका था।"

सड़क पर उपद्रव, सिस्टम बना मूकदर्शक
हिंसा सिर्फ मुर्शिदाबाद तक सीमित नहीं रही। सोमवार को साउथ 24 परगना के भांगरा इलाके में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के कार्यकर्ताओं ने जमकर उत्पात मचाया। पुलिस की गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया गया, हाईवे जाम कर दिया गया, बाइकों में आग लगा दी गई। पुलिस की बैरिकेडिंग भी तोड़ दी गई। पूर्वी बर्धमान में भी ऐसी ही हिंसा की घटनाएं दर्ज हुईं।

फ्लैग मार्च और सेंट्रल फोर्स का पहरा
अब हालात को काबू में लाने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं। मुर्शिदाबाद में सीआरपीएफ की 4 कंपनियां, बीएसएफ की 9 कंपनियां और आरएएफ की 4 कंपनियां तैनात की गई हैं। हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च हो रहा है और पुलिस लगातार गश्त कर रही है। प्रशासन का दावा है कि हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं लेकिन डर का माहौल अभी बरकरार है।

भाईचारे की बात, ज़मीनी हकीकत अलग
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बार-बार सांप्रदायिक सौहार्द की बात करती हैं लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। एक तरफ सड़क पर एक समुदाय के लोग उत्पात मचा रहे हैं तो दूसरी तरफ हिंदू समुदाय अपने ही राज्य में सुरक्षित नहीं महसूस कर रहा। राहत कैंपों में बंद हिंदू परिवार आज यही सवाल पूछ रहे हैं—क्या हम अब भी अपने ही देश में सुरक्षित हैं?

 


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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