युवाओं में तेजी से बढ़ रहा डायबिटीज का खतरा, स्टडी में हुआ डराने वाला खुलासा

punjabkesari.in Friday, Aug 08, 2025 - 09:10 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में मधुमेह (डायबिटीज) अब केवल बुजुर्गों की बीमारी नहीं रह गई है। एक समय था जब डायबिटीज को 70-80 वर्ष के बुजुर्गों से जोड़ा जाता था, लेकिन अब यह स्थिति तेजी से बदल रही है। आज के समय में यदि किसी सामाजिक समारोह में मीठा परोसा जाए, तो कई लोग इसे यह कहकर मना कर देते हैं कि उन्हें डायबिटीज है या वे इस बीमारी से बचने के लिए एहतियात बरत रहे हैं।

देश में डायबिटीज के चौंकाने वाले आंकड़े
हाल ही में भारत में बढ़ती डायबिटीज को लेकर एक गंभीर रिपोर्ट सामने आई है। द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, वर्ष 2019 में 45 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लगभग हर पांचवें भारतीय वयस्क को डायबिटीज थी। हैरानी की बात यह है कि इनमें से दो में से एक व्यक्ति को यह जानकारी ही नहीं थी कि वह इस बीमारी से पीड़ित है।

मिडिल एज में बढ़ रहा खतरा
यह अध्ययन ‘भारत में लॉन्गिट्यूडिनल एजिंग स्टडी इन इंडिया (LASI)’ के अंतर्गत किया गया था, जिसमें 2017-2019 के बीच 45 साल से अधिक उम्र के लगभग 60,000 वयस्कों का सर्वे किया गया। स्टडी में पाया गया कि डायबिटीज पुरुषों और महिलाओं में लगभग समान रूप से (20%) पाई गई, लेकिन शहरी क्षेत्रों में यह दर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में दोगुनी थी।

रिसर्च टीम, जिसमें भारत और अमेरिका के विशेषज्ञ शामिल थे, ने यह भी बताया कि 46% लोगों ने अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित किया था, वहीं 60% लोगों ने ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में सफलता पाई। हालांकि, केवल 6% लोग ही हृदय रोग के जोखिम को कम करने के लिए लिपिड-घटाने वाली दवा ले रहे थे।

आर्थिक रूप से विकसित राज्यों में ज्यादा केस
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आर्थिक रूप से समृद्ध राज्यों में डायबिटीज का प्रचलन अधिक है। इसके अलावा, यह बीमारी अमीर और उच्च सामाजिक वर्ग के लोगों में ज्यादा पाई जा रही है — जो इंगित करता है कि भारत अभी भी पोषण परिवर्तन (Nutrition Transition) के उस दौर से गुजर रहा है, जहां गलत खानपान और जीवनशैली से संबंधित बीमारियों का प्रभाव उच्च वर्ग पर पहले पड़ रहा है।

आने वाले सालों में और बढ़ेगा खतरा
रिसर्चर्स का मानना है कि जैसे-जैसे भारत की आबादी तेजी से उम्रदराज हो रही है, वैसे-वैसे मिडिल एज और बुजुर्गों में डायबिटीज के मामले बढ़ते जाएंगे। यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि इससे जुड़ी स्वास्थ्य प्रणाली पर भी बोझ बढ़ेगा। रिपोर्ट यह संकेत देती है कि यदि डायबिटीज की दर हर उम्र में स्थिर भी रह जाए, तब भी मरीजों की संख्या में इज़ाफा होना तय है।


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Content Editor

Shubham Anand

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