प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और PM-EAC के अध्यक्ष बिबेक देबरोय का 69 वर्ष की आयु में निधन
punjabkesari.in Friday, Nov 01, 2024 - 12:37 PM (IST)
नेशनल डेस्क: भारत के प्रमुख अर्थशास्त्रियों में से एक, बिबेक देबरॉय, का 69 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका निधन भारतीय अर्थव्यवस्था और नीति निर्माण के लिए एक गहरा धक्का है। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन के रूप में कार्यरत थे, जहां उन्होंने विभिन्न आर्थिक नीतियों और सुधारों पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
बिबेक देबरॉय का जीवन और करियर
बिबेक देबरॉय का जन्म 1954 में हुआ था और उन्होंने अपनी शिक्षा प्रतिष्ठित संस्थानों से प्राप्त की। वे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण विचारक रहे हैं और उनके विचारों का व्यापक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने न केवल आर्थिक नीतियों को विकसित करने में योगदान दिया, बल्कि विभिन्न विषयों पर शोध और लेखन भी किया। उनकी प्रमुख कृतियों में कई पुस्तकें और शोध पत्र शामिल हैं, जिनमें भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की गई है। देबरॉय ने पुणे के गोखले राजनीति एवं अर्थशास्त्र संस्थान में कुलाधिपति के रूप में भी कार्य किया। इसके अलावा, वे नीति आयोग के सदस्य के रूप में 5 जून 2019 तक सक्रिय रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों में योगदान दिया और भारत की आर्थिक नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शोक संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिबेक देबरॉय के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, "मैं डॉ. देबरॉय को कई सालों से जानता हूं। मैं उनकी अंतर्दृष्टि और अकादमिक चर्चा के प्रति उनके जुनून को हमेशा याद रखूंगा। उनके निधन से मुझे दुख हुआ है, और इस दुख की घड़ी में उनके परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।" पीएम मोदी ने आगे कहा, "डॉ. बिबेक देबरॉय एक महान विद्वान थे। वे न केवल अर्थशास्त्र में बल्कि इतिहास, संस्कृति, राजनीति और अध्यात्म जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भी पारंगत थे। उन्होंने अपने कार्यों के जरिए भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है। इसके अलावा, उन्हें प्राचीन ग्रंथों पर काम करना बहुत पसंद था और उन्होंने इसे युवाओं के लिए सुलभ बनाने का प्रयास किया।"
कांग्रेस नेता जयराम रमेश का दुख
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी बिबेक देबरॉय के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "बिबेक देबरॉय सबसे पहले और सबसे अहम सैद्धांतिक और अनुभवी अर्थशास्त्री थे। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर काम किया और कई लेख और किताबें लिखीं। उनके पास जटिल आर्थिक मुद्दों को सरलता से समझाने का विशेष कौशल था, जिससे आम लोग भी इन विषयों को आसानी से समझ पाते थे।" रमेश ने आगे कहा कि देबरॉय ने विभिन्न संस्थानों से जुड़े रहकर अपनी छाप छोड़ी है और उनके विचार हमेशा हमारे साथ रहेंगे।
बिबेक देबरॉय का प्रभाव
बिबेक देबरॉय का कार्य केवल एक अर्थशास्त्री के रूप में सीमित नहीं था; वे एक विचारक, लेखक और शिक्षक भी थे। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय अर्थव्यवस्था के मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। उनकी विशेषज्ञता ने न केवल नीति निर्माताओं को प्रभावित किया, बल्कि आम जनता को भी आर्थिक मुद्दों के प्रति जागरूक किया। बिबेक देबरॉय का निधन भारतीय अर्थशास्त्र और नीति निर्माण के लिए एक बड़ा नुकसान है। उनके विचार और कार्य निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा, और उनकी कमी को भरा नहीं जा सकेगा। उनका जीवन और कार्य भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, और उनके योगदान को सदैव सराहा जाएगा।