मनी लांड्रिंग मामले को रद्द करने वाली वाड्रा की याचिका पर ईडी से मांगा जवाब

punjabkesari.in Monday, Mar 25, 2019 - 07:17 PM (IST)

नई दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में रॉबर्ट वाड्रा की उस याचिका का विरोध किया जिसमें उन्होंने उनके खिलाफ धनशोधन मामले को रद्द करने का अनुरोध किया था। जांच एजेन्सी ने इस मामले में वाड्रा से पूछताछ की है। निदेशालय ने वाड्रा की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने अदालत से तथ्यों को जानबूझकर छिपाया है इसलिए उन्हें कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए। निदेशालय ने यह भी दलील दी कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई वाड्रा की याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

मामले में दो मई को होगी अगली सुनवाई
निदेशालय ने कहा कि जब उन्हें आशंका हुयी कि ‘‘कानून उन्हें पकड़ लेगा’’ तो उन्होंने पीएमएलए प्रावधानों को चुनौती दी। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने जांच एजेंसी को दो सप्ताह के अंदर इस बारे में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया कि क्या वाड्रा और उनके सहायक मनोज अरोड़ा की दो अलग-अलग लेकिन एक जैसी याचिकाएं विचारणीय हैं या नहीं। अदालत इस मामले की अब दो मई को सुनवाई करेगी।

सॉलिसिटर तुषार मेहता ने जताई आपत्ति
केंद्र और प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दोनों याचिकाओं की विचारणीयता को लेकर आपत्ति करते हुये कहा कि उन्हें कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने दलील दी कि उन्हें यह दर्शाने के लिए एक हलफनामा दाखिल करना है कि याचिकाकर्ताओं (वाड्रा और अरोड़ा) दिलचस्पी इस मामले की जड़ तक पहुंचने की बजाये इसे दबाने में है। निदेशालय का मामला लंदन में 12, ब्रायनस्टन स्क्वायर में स्थित, 19 लाख पाउंड मूल्य की एक संपत्ति खरीदने में धन शोधन के आरोपों से संबंधित है। इस संपत्ति का कथित स्वामित्व वाड्रा के पास है। इस मामले में वाड्रा का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट में भी हैं मामले लंबित
वाड्रा ने धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) 2002 के कुछ प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग भी की है। पीठ ने पूछा कि उन्होंने उच्च न्यायालय का रूख क्यों किया जबकि उच्चतम न्यायालय के पास पीएमएलए के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाएं विचाराधीन है। इस पर सिंघवी ने कहा कि उन्होंने यहां पीएमएलए के तहत छह प्रावधानों को चुनौती दी है जबकि इस कानून के तहत गिरफ्तारी और साबित करने की जिम्मेदारी सहित इसके कई प्रावधानों को चुनौती देने वाली कई याचिकायें पहले से ही उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं।

अंतरिम जमानत 27 मार्च तक बढ़ी
वाड्रा ने पीएमएलए कानून की धारा तीन (धनशोधन का अपराध), 17 (तलाशी एवं जब्ती), 19 (गिरफ्तारी का अधिकार), 24 (सबूतों का जिम्मा), 44 (विशेष अदालत में सुनवाई वाले अपराध) और 50 (समन जारी करने, दस्तावेज पेश करने और सबूत देने आदि के बारे में अधिकारियों की शक्तियों) को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है। सुनवाई के दौरान अदालत को सूचित किया गया कि वाड्रा और अरोड़ा की अग्रिम जमानत के आवेदन सुनवाई के लिए सोमवार को एक निचली अदालत में लंबित हैं। इसके बाद अदालत ने वाड्रा को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण की अवधि को 27 मार्च तक बढ़ा दिया गया।

पीठ ने प्राथमिकी की एक प्रति वाड्रा और अरोड़ा के वकीलों को सौंपने का निर्देश भी प्रवर्तन निदेशालय को दिया। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने दावा किया था कि उन्हें दस्तावेज नहीं दिये गये थे। हालांकि, निदेशालय ने पीठ को बताया कि प्राथमिकी की प्रति पहले से ही निचली अदालत रिकॉर्ड का हिस्सा है और इसलिए याचिकाकर्ता इसे प्राप्त कर सकते है।

 


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Yaspal

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