RBI रिपोर्ट में तीसरी तिमाही में आर्थिक सुधार की उम्मीद, जीडीपी वृद्धि दर 6.8% तक पहुंचने का अनुमान
punjabkesari.in Wednesday, Dec 25, 2024 - 03:56 PM (IST)
नेशनल डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था ने जुलाई-सितंबर तिमाही में आई गिरावट से उबरते हुए अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में रफ्तार पकड़ी है। इस तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.8% तक पहुंचने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण मांग और त्योहारों की गतिविधियों ने अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है।
ग्रामीण मांग और सरकारी खर्च ने दिया सहारा
रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है जिससे ग्रामीण मांग में तेजी आई है। साथ ही बुनियादी ढांचे पर सरकारी खर्च बढ़ने से आर्थिक गतिविधियों और निवेश को प्रोत्साहन मिला है।
ग्लोबल चुनौतियां बनीं जोखिम
हालांकि वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां भारत की विकास गति और मुद्रास्फीति के लिए खतरा बनी हुई हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सर्दियों में खाद्य कीमतों में नरमी और निजी खपत व निर्यात में सुधार की संभावना से स्थिति और बेहतर हो सकती है।
खाद्य कीमतों में मिला-जुला असर
खाद्य वस्तुओं की कीमतों में मिलाजुला प्रभाव देखने को मिला। नवंबर 2024 में महंगाई दर 5.5% तक घट गई जो अक्टूबर में 6.2% थी।
: चावल और प्रमुख सब्जियों जैसे प्याज व टमाटर की कीमतों में गिरावट आई।
: गेहूं, आटा और खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि जारी रही।
: दालों की कीमतों में व्यापक गिरावट दर्ज की गई।
एफपीआई निवेश में सुधार
रिपोर्ट में बताया गया कि घरेलू ऋण बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) दिसंबर 2024 में सकारात्मक हो गया।
: नवंबर 2024 में $2.4 बिलियन का शुद्ध बहिर्वाह दर्ज किया गया।
: दिसंबर में यह सकारात्मक होकर $3.6 बिलियन तक पहुंच गया।
: तेल, गैस और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में सबसे अधिक बहिर्वाह हुआ जबकि आईटी और वित्तीय सेवाओं में निवेश बढ़ा।
भविष्य में विकास की उम्मीद
आरबीआई ने कहा कि 2024-25 की दूसरी छमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था और मजबूत होने की उम्मीद है। सरकारी नीतियां, घरेलू मांग और बुनियादी ढांचा विकास इस वृद्धि को गति देंगे।
बता दें कि आरबीआई की रिपोर्ट ने स्पष्ट किया है कि भारत की अर्थव्यवस्था, त्योहारी सीजन और ग्रामीण मांग के दम पर बेहतर स्थिति में पहुंच रही है। हालांकि वैश्विक जोखिमों को ध्यान में रखते हुए महंगाई को नियंत्रित करने और निवेश बढ़ाने के लिए सरकार और नीतिगत प्रयास जरूरी हैं।