RBI Repo Rate Cut: ब्याज दरों पर RBI का बड़ा तोहफा- रेपो रेट में 0.50% की कटौती, Home Loans की EMI हुई कम

punjabkesari.in Friday, Jun 06, 2025 - 10:28 AM (IST)

नेशनल डेस्क: देश की अर्थव्यवस्था को गति देने और महंगाई को संतुलित बनाए रखने के प्रयासों के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अहम बैठक में ब्याज दरों को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। 6 जून 2025 को समाप्त हुई तीन दिवसीय बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने रेपो रेट को लेकर ताजा ऐलान किया।

क्या रहा फैसला?

आरबीआई ने लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती का फैसला लिया है। इस बार भी रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट (bps) की कमी की गई है। अब रेपो रेट घटकर 5.50% हो गया है, जो पहले 6.00% था।  इस कदम का सीधा असर लोन लेने वाले उपभोक्ताओं पर पड़ेगा — खासकर होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की EMI कम होने की संभावना है।

पिछली दो कटौतियां

  • फरवरी 2025: रेपो रेट 6.50% से घटाकर 6.25% किया गया

  • अप्रैल 2025: 6.25% से घटकर 6.00% किया गया

  • जून 2025: 6.00% से घटकर 5.50% कर दिया गया

इन तीन बैठकों में कुल 75 बेसिस प्वाइंट की कटौती की जा चुकी है।

SDF और MSF रेट में भी बदलाव

रेपो रेट के साथ-साथ अन्य प्रमुख नीतिगत दरों में भी कटौती की गई है:

  • SDF (स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी) रेट को 5.75% से घटाकर 5.25% किया गया है।

  • MSF (मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी) रेट को 6.25% से घटाकर 5.75% कर दिया गया है।

ये दोनों दरें बैंकों की लिक्विडिटी और शॉर्ट टर्म फंडिंग कॉस्ट को प्रभावित करती हैं।

 CRR में बड़ी राहत, अब बैंकों के पास ज्यादा पैसा
RBI ने कैश रिजर्व रेशियो (CRR) को भी 4% से घटाकर 3% करने का एलान किया है, यानी अब बैंकों को अपने पास कम कैश रिजर्व रखना होगा। इसका मतलब है कि वे ज्यादा पैसा कर्ज देने के लिए इस्तेमाल कर सकेंगे, जिससे मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ेगी।

अब क्या है RBI का पॉलिसी स्टांस?

आरबीआई ने अपने नीतिगत रुख को फिर से 'अकोमोडेटिव' बनाए रखा है। यानी आने वाले समय में जरूरत पड़ी तो और कटौती के लिए रास्ता खुला रहेगा। इसका उद्देश्य आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देना और ग्रोथ को मजबूत करना है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक मंदी के संकेत, घरेलू मांग में सुस्ती और कंज्यूमर सेंटिमेंट को बढ़ाने के लिए यह कदम जरूरी था। हालांकि, कुछ विश्लेषकों को उम्मीद थी कि आरबीआई इस बार 50 bps की कटौती कर सकता है, जोकि आज मीटिंग में RBI गर्वनर  ने सच कर दिखाया।


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Content Writer

Anu Malhotra

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