चुनावी चक्रव्यूह मेें फंसी AAP

punjabkesari.in Monday, Jan 22, 2018 - 10:37 AM (IST)

नई दिल्ली,(रमेश कुमार): राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के साथ ही पार्टी दबाव में आ गई है।  अगर अदालत ने राष्ट्रपति के निर्णय पर ब्रेक नहीं लगाया, तो छह महीने के भीतर अयोग्य ठहराए गए इन 20 विधायकों की सीटों पर उप-चुनाव होंगे। यानि 19 जून से पहले इन विधानसभा के उप-चुनाव होंगे। लिहाजा इस चुनाव में आप पार्टी पर ही अधिक दबाव होगा। आप पार्टी के लिए जहां इस उप-चुनाव में सभी 20 सीटों को जीतना मुश्किल भरा कार्य होगा। अगर आप पार्टी सभी सीटें जीत भी जाती है तो भी डेढ़ वर्ष बाद फिर से दिल्ली विधानसभा के चुनाव होंगे। लिहाजा पार्टी की तिजोरी पर भी असर पड़ेगा। 

आप की दिल्ली सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य समेत अन्य विकास कार्यों का बढ़चढ़कर बखान कर रही है। ऐसे में सरकार की विकास कार्यों की भी धरातल पर अग्निपरीक्षा होगी।  भाजपा, कांग्रेस के लिए चूंकि इन उप-चुनावों में खोने के लिए कुछ भी नहीं है, लिहाजा दोनों ही पार्टियां उप-चुनावों में आप से सीटें झटकने की कोशिश करेंगी। और अगर ऐसा हुआ तो आप पार्टी चौतरफा दबाव में पड़ेगी। 

आप पार्टी के लिए सबसे अधिक परेशानी पुराने चेहरों यानि इन्हीं अयोग्य विधायकों के सहारे इन उप-चुनावों में उतरने की होगी। क्योंकि पार्टी उम्मीदवार बदलती है तो और भी दबाव बढ़ेगा। आम आदमी पार्टी अभी राज्यसभा में पार्टी सिद्वांतों से इतर दो गुप्ता बंधुओं को उम्मीदवार बनाकर काफी फजीहत कराई है। पार्टी के स्टार प्रचारक कुमार विश्वास के बागी सुरों ने भी पार्टी को अच्छा खासा परेशान कर रखा है। 

 कई विधानसभा इलाकों में जमीनी वालंटियरों में भी नाराजगी है। पार्टी के वालंटियर ही रीढ़ की हड्डी मानें जाते हैं, ऐसे में इन सभी दबावों के बीच पार्टी के लिए इस उप-चुनाव को जीतना काफी मुश्किल भरा होगा। आप की दिल्ली इकाई के प्रमुख गोपाल राय का कहना है कि उप-चुनाव में पार्टी फिर से जीतकर आएगी। बवाना में भी कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थी। बावजूद इसके पार्टी बवाना सीट भारी मतों से जीतने में कामयाब रही।
 


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