पाकिस्तान के बाद अब चीन भी सीमा पर एक मिशन के तहत कर रहा है विवाद: राजनाथ सिंह

punjabkesari.in Monday, Oct 12, 2020 - 11:51 AM (IST)

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि पाकिस्तान के बाद अब चीन भी सीमा पर एक मिशन के तहत विवाद पैदा कर रहा है लेकिन देश इस संकट का द्दढता के साथ सामना कर रहा है। सिंह ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा सात राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में बनाये गये 44 पुलों का वीडियों कांफ्रेन्स के माध्यम से सोमवार को उद्घाटन किया और अरुणांचल प्रदेश में नेचिफू सुरंग के काम का शिलान्यास किया।  इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश हर क्षेत्र में कोविड 19 के कारण उपजी अनेक समस्याओं का सामना कर रहा है। वह चाहे कृषि हो या अर्थव्यवस्था, उद्योग हों या सुरक्षा व्यवस्था। सभी इससे गहरे प्रभावित हुए हैं। इस विकट समय में पाकिस्तान के बाद चीन द्वारा सीमा पर एक मिशन के तहत विवाद पैदा किया जा रहा है। 

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उन्होंने कहा ,हमारी उत्तरी और पूर्वी सीमा पर पैदा की गयी स्थितियों से आप भली-भांति अवगत हैं। पहले पाकिस्तान और अब चीन के द्वारा मानो एक मिशन के तहत सीमा पर विवाद पैदा किया जा रहा है। इन देशों के साथ हमारी लगभग 7 हजार किलोमीटर की सीमा मिलती है, जहाँ आए दिन तनाव बना रहता है।   उन्होंने कहा कि समस्याओं के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल, और दूरदर्शी नेतृत्व में यह देश, न केवल इन संकटों का द्दढ़ता से सामना कर रहा है, बल्कि सभी क्षेत्रों में बड़े और ऐतिहासिक बदलाव भी ला रहा है। रक्षा मंत्री ने कहा कि 44 पुलों का एक साथ उद्घाटन किया जाना एक रिकार्ड है और उम्मीद है कि सात राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित ये पुल संपर्क और विकास के एक नये युग की शुरूआत करेंगे। उन्होंने कहा, हाल ही में राष्ट्र को समर्पित अटल टनल, रोहतांग, इसका जीता-जागता उदाहरण है। न केवल भारत, बल्कि विश्व के इतिहास में यह निर्माण अछ्वुत, और अभूतपूर्व है। यह टनल हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और लद्दाखके जनजीवन की बेहतरी में एक नया अध्याय जोड़ेगा।

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उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में सड़कों, सुरंगों और पुलों का लगातार निर्माण, बीआरओ की प्रतिबद्धता, और सरकार के दूर दराज के क्षेत्र में पहुँचने के प्रयास को दर्शाता है। ये सड़कें न केवल सामरिक जरूरतों के लिए होती हैं, बल्कि राष्ट्र के विकास में सभी की बराबर भागीदारी सुनिश्चित करती है। इन पुलों के बनने से हमारे पश्चिमी, उत्तरी और पूर्वोत्तर के दूर-दराज के इलाकों में, सैन्य और सामान्य परिवहन साधनों में बड़ी सुविधा मिलेगी। सशस्त्र बलों के जवान बड़ी संख्या में ऐसे इलाकों में तैनात होते हैं जहाँ पूरे साल परिवहन की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती है अब उन्हें भी इससे मदद मिलेगी। सिंह ने कहा कि इन पुलों में कई छोटे, तो कई बड़े पुल हैं, पर उनकी महत्ता का अंदाजा उनके आकार से नहीं लगाया जा सकता है। शिक्षा हो या स्वास्थ्य, व्यापार हो या खाद्य आपूर्ति, सेना की सामरिक आवश्यकता हो या अन्य विकास के काम, इन्हें पूरा करने में ऐसे पुलों और सड़कों की समान, और अहम भूमिका होती है। इन पुलों में से जम्मू कश्मीर में 10, लद्दाख में 8, हिमाचल प्रदेश में दो, पंजाब में चार, उत्तराखंड में आठ, अरूणाचल प्रदेश में आठ और सिक्किम में चार हैं।     


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Anil dev

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