चिट्ठी तो है महज एक बहाना: बड़ा पुराना है सेना और सियासत का याराना

punjabkesari.in Saturday, Apr 13, 2019 - 12:20 PM (IST)

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा ): कुछ पूर्व सेनाध्यक्षों और अफसरों की एक चिट्ठी के बाद आजकल हिंदुस्तान की सियासत गरमाई है।  चिट्ठी के मुताबिक मोदी सेना का सियासीकरणकर  रहे हैं जिसे रोका जाना चाहिए। हालांकि अब इस चिट्ठी पर भी वाद-विवाद शुरू हो गया है, लेकिन हकीकत यह है कि सेना और सियासत का याराना काफी पुराना है। दर्जनों ऐसे सेनानायक हैं जिन्होंने सेना के बाद सियासत में भी खूब धाक जमाई। लम्बी फेरहिस्त है। तो आज इस बहाने चर्चा उन प्रमुख   फौजी सूरमाओं की जिन्होंने सियासत में भी मुकाम हासिल किया ।  

PunjabKesari

राजीव गांधी ने दिया था बढ़ावा 
सियासत में सैन्य अफसरों को लाने की आधिकारिक शुरुआत राजीव गांधी ने की थी। उनके कहने पर कुछ बड़े सैन्य अफसर 1980 लोकसभा चुनाव में उतरे थे। बाद  में 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव ने अपने इर्द गिर्द  सैनिक अफसरों ,जो उनके दोस्त थे, और  भी बड़ा  "सुरक्षा चक्र " स्थापित किया।  राजीव मंत्रिमंडल में ही पहलीबार किसी पूर्व सैनिक को मंत्री भी बनाया गया था।  बाद  में कुछ को राजयपाल भी बनाया गया।और इस तरह से सियासत में सेना  के लिए पूरा  कॉरिडोर बन गया।  दिलचस्प ढंग से बीजेपी में भी यह शुरुआत उसकी स्थापना के साथ ही हो गयी थी।  

PunjabKesari

अयूब खान 
कैप्टन अयूब खान 1965 के युद्ध के  नायकों में से एक थे।  सियालकोट सेक्टर में चार पाकिस्तानी टैंकों  को नष्ट करने और एक को कब्जे में लेने के लिए वीरचक्र से नवाजे गए कैप्टन अयूब खान ने राजीव गांधी के आग्रह  पर  राजस्थान के झुंझनू से 1984 में लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता।  वे 1991 में भी जीते और  केंद्र में कृषि राजयमंत्री बने।  

PunjabKesari

राजेश पायलट 
भारतीय वायुसेना में स्क्वाड्र्न लीडर रहे राजेश पायलट  भी राजीव के ख़ास दोस्त थे ।  उन्होंने  1980 में पहला लोकसभा चुनाव जीता था और कुल आठ बार सांसद  रहे। वे केंद्रीय मंत्री भी रहे और आजकल उनके बेटे सचिन पायलट राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री हैं।  अपने पहले ही चुनाव में  राजेश पायलट ने भरतपुर की महारानी को हराया था।  बाद में वे दौसा से चुनाव लड़ने लगे।  

PunjabKesari

जसवंत सिंह और जगतवीर 
राजीव गांधी ने जब 1980 में इंदिरा गांधी को सैन्य अफसरों को टिकट देने के लिए मनाया तो विपक्ष ने भी इसकी काट तभी से शुरू कर दी थी। भैरों सिंह शेखावत ने उसी साल जसवंत सिंह को राज्यसभा भिजवाया था जो  फ़ौज से अफसर रिटायर होने के बाद स्थानीय स्तर पर सियासत में सक्रिय थे। जसवंत सिंह केंद्र में रक्षा और विदेश मंत्री भी रहे। उनके  नाम अब भी सबसे ज्यादा समय तक सांसद रहने का रिकार्ड है।  वे 1980 से 2014 तक सांसद रहे। इस दौरने वे पांच बार राजयसभा तो चार बार लोकसभा पहुंचे। जसवंत सिंह की ही तरह बीजेपी से जगतवीर सिंह ड्रोन भी लम्बे समय तक सांसद रहे। कानपूर सीट से वे दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं लोकसभा के लिए चुने गए।

PunjabKesari

मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी बैठे फौजी 
वर्ष 2002 में पूर्व सैनिकों के लिए सियासत में एक और  बड़ा सम्मान  आया जब कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री बने। हालांकि  वे 1980  में ही लोकसभा सांसद बन गए थे। वर्तमान में  वह दूसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। अमरिंदर सिंह 1965 के भारत-पाक युद्ध में सेना का हिस्सा रहे हैं। हालाँकि उन्होंने 1965 के शुरू में ही सेना छोड़ दी थी लेकिन जब युद्ध शुरू हुआ तो उन्होंने त्यागपत्र वापस लेकर युद्ध में जाने का फैसला लिया था। उधर अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित मेजर जनरल बीसी खंडूरी भी 2007 और 2011 में उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बने। मेजर जनरल  भुवन चंद्र खंडूरी उससे पहले अटल मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं।    

PunjabKesari

मौजूदा मंत्रिमंडल में भी धाक
फौजियों की सियासत की धाक मौजूदा मंत्रिमंडल में भी देखी  जा सकती है। मोदी सरकार में पूर्व सेनाध्यक्ष  वी के सिंह के पास विदेश मंत्रालय का प्रभार है।  देश के 24 वें  थलसेना प्रमुख रहे वी के सिंह ने 2014 में चुनाव लड़ा था। उधर मशहूर शूटर कर्नल राजयवर्धन सिंह राठौर ने भी सेना से ऐच्छिक सेवानिवृति लेकर पिछले चुनाव में  राजस्थान से  संसद में एंट्री मारी थी ।  वे भी केंद्रीय वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं।

PunjabKesari


राजभवन में फौजी (फोटो सहित rks गांधी और jj सिंह  ) 
फौजियों ने देश के राजभवनो में भी  सफल दस्तक दी है।  अति विशिष्ट सेवा मेडल से अलंकृत वाईस एडमिरल रुस्तम खुसरो शपूरजी उर्फ़ आर. के. एस. गाँधी 1986 में हिमाचल के  राज्यपाल बनाये गए थे। देश के पहले सिख जनरल जोगिन्दर जसवंत सिंह उर्फ़ जे.जे. सिंह भी राजयपाल रहे हैं।  सेना से सेवानिवृति के बाद उन्होंने 2008 में अरुणाचल के राजभवन में एंट्री मारी थी। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Anil dev

Recommended News

Related News