चीन दौरे पर गए एस. जयशंकर पर कांग्रेस का वार, राहुल गांधी बोले- ''विदेश नीति तबाह कर रहे''
punjabkesari.in Tuesday, Jul 15, 2025 - 09:22 PM (IST)

नेशनल डेस्क : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के हालिया चीन दौरे और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एक “बड़ा सर्कस” चला रहे हैं, जिसका उद्देश्य भारत की विदेश नीति को खत्म करना है। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए लिखा, "मुझे लगता है कि चीनी विदेश मंत्री आएंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चीन-भारत संबंधों में हालिया घटनाक्रमों से अवगत कराएंगे। विदेश मंत्री अब भारत की विदेश नीति को बर्बाद करने के उद्देश्य से एक बड़ा सर्कस चला रहे हैं।" विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के अपने समकक्षों से मुलाकात की। यह दौरा जून 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई सैन्य झड़पों के बाद पहली बार हुआ है जब जयशंकर चीन गए हैं।
कांग्रेस ने उठाए गंभीर सवाल
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने विदेश मंत्री के इस दौरे को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने भारतीय सेना के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ, लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह के बयान का हवाला देते हुए कहा कि चीन ने पाकिस्तान को एक "लाइव लैब" की तरह इस्तेमाल किया और भारत के सैन्य अभियानों की वास्तविक समय की खुफिया जानकारी पाकिस्तान को दी। जयराम रमेश ने कहा, "शायद हमें विदेश मंत्री को राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली मुलाकात के बाद द्विपक्षीय संबंधों में हुए हालिया घटनाक्रमों की याद दिलानी चाहिए। चीन ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान को पूरा समर्थन दिया था।"
शी जिनपिंग का बयान: 'सुरक्षा कवच की आवश्यकता'
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एससीओ के विदेश मंत्रियों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए समूह को एक मजबूत सुरक्षा तंत्र विकसित करना चाहिए। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि "एससीओ को मौजूदा अंतरराष्ट्रीय अस्थिरता के बीच केंद्रित और आश्वस्त रहना चाहिए और कुशलतापूर्वक कार्य करना चाहिए।" जयशंकर की चीन यात्रा ऐसे समय में हुई है जब भारत और चीन के संबंध अभी भी तनावपूर्ण बने हुए हैं। कांग्रेस इस दौरे पर सवाल उठाकर यह स्पष्ट करना चाह रही है कि सरकार को चीन की रणनीतिक चालों के प्रति अधिक सजग रहने की आवश्यकता है।