मिनरल वॉटर से भी सस्ता होने जा रहा पैट्रोल, 1 लीटर कच्चा तेल ≈ 17.90 रुपये, JP Morgan की चौंकाने वाली भविष्यवाणी
punjabkesari.in Friday, Nov 28, 2025 - 10:15 AM (IST)
दिल्ली: पेट्रोल-डीजल की संभावित सस्ती कीमतों की चर्चा तो अक्सर सुनने को मिलती है, लेकिन क्या आपने कभी कल्पना की है कि कच्चा तेल पीने के पानी से भी कम कीमत पर बिक सकता है? सुनने में जितना अविश्वसनीय लगता है, उतनी ही गंभीर यह भविष्यवाणी है—और यह कोई सामान्य अनुमान नहीं, बल्कि वैश्विक ब्रोकरेज दिग्गज जेपी मॉर्गन का आकलन है।
इसके मुताबिक आने वाले वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमतें इतनी नीचे जा सकती हैं कि एक लीटर कच्चा तेल एक बोतल मिनरल वॉटर से भी सस्ता पड़ने लगेगा।
2027 तक ब्रेंट 30 डॉलर! - जेपी मॉर्गन का बड़ा दावा
जेपी मॉर्गन का अनुमान है कि मार्च 2027 तक ब्रेंट क्रूड की कीमत 30 डॉलर प्रति बैरल तक गिर सकती है।
अगर इसे भारतीय मुद्रा में परिवर्तित करें (लगभग 95 रुपये प्रति डॉलर की दर से), तो एक बैरल की कीमत करीब 2,850 रुपये बैठेगी।
एक बैरल में 159 लीटर होने के कारण,
1 लीटर कच्चा तेल ≈ 17.90 रुपये
यानी दिल्ली में बिकने वाले मिनरल वॉटर (18–20 रुपये) से भी सस्ता!
भारत जैसे आयातक देशों के लिए बड़ी राहत
भारत अपनी जरूरत का लगभग 86% कच्चा तेल विदेशों से आयात करता है। इस लिहाज से यदि ब्रेंट क्रूड वास्तव में आधे से भी कम भाव पर आ जाए, तो
-
पेट्रोल-डीजल के दाम
-
सरकार का आयात बिल
-
महंगाई के दबाव
-तीनों पर गहरा असर पड़ सकता है।
जेपी मॉर्गन का मानना है कि मौजूदा स्तर (करीब 62 डॉलर प्रति बैरल) से कीमतों में 50% से अधिक गिरावट देखने को मिल सकती है।
क्यों गिरेंगे दाम?—आपूर्ति मांग से तीन गुना तेज
रिपोर्ट के अनुसार, कच्चे तेल की खपत भले ही बढ़ेगी, लेकिन सप्लाई उससे कहीं अधिक गति से बढ़ रही है, खासकर नॉन-OPEC+ देशों में। इनमें शामिल हैं:
रूस, मेक्सिको, कजाकिस्तान, ओमान, मलेशिया, सूडान, दक्षिण सूडान, अजरबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, सिंगापुर आदि।
जैसे-जैसे ये देश उत्पादन बढ़ाएंगे, वैश्विक बाजार में तेल की भरमार होगी और दाम लुढ़केंगे।
डिमांड–सप्लाई का अनुमानित समीकरण
-
2025: खपत बढ़कर 105.5 mbpd (0.9 mbpd वृद्धि)
-
2026: मांग में कोई खास बदलाव नहीं
-
2027: लगभग 1.2 mbpd की बढ़ोतरी
लेकिन JP Morgan का अनुमान है कि आने वाले दो वर्षों (2025–26) में सप्लाई की गति मांग से तीन गुना ज्यादा होगी।
2027 तक उत्पादन खपत से ऊपर रहेगा, जिससे ओवरसप्लाई बनेगी, और अंतरराष्ट्रीय दाम नीचे आएंगे।
क्या वाकई तेल पानी से सस्ता हो जाएगा?
अगर JP Morgan का यह आकलन सही साबित होता है, तो आने वाले वर्षों में ऊर्जा बाजार में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
-
जलवायु नीतियों का प्रभाव
-
नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार
-
वैश्विक उत्पादन में तेजी
-इन सभी पहलुओं का असर मिलकर तेल की कीमतों को अप्रत्याशित स्तर तक नीचे ला सकता है।
अब बाजार की नजर इस बात पर है कि आने वाले वर्षों में डिमांड–सप्लाई की यह खाई वाकई इतनी बढ़ती है या नहीं, क्योंकि इसका असर दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर सीधा पड़ने वाला है।
