ऑनलाइन गेमिंग बिल और आयकर अधिनियम को राष्ट्रपति मुर्मू ने दी मंजूरी, अब बन गया है बिल
punjabkesari.in Saturday, Aug 23, 2025 - 02:39 AM (IST)

नई दिल्लीः भारत में अब ऑनलाइन गेमिंग और आयकर से जुड़ी व्यवस्था में बड़ा बदलाव आने जा रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को दो अहम विधेयकों — ‘ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक, 2025’ और ‘आयकर अधिनियम, 2025’ — को अपनी मंजूरी दे दी, जिसके साथ ही ये दोनों विधेयक अब कानून का रूप ले चुके हैं।
ऑनलाइन गेमिंग कानून 2025: क्या है इसमें खास?
यह कानून भारत में ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया को नियंत्रित और संरचित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
इस विधेयक को इस सप्ताह लोकसभा ने 20 अगस्त और राज्यसभा ने 21 अगस्त को पारित किया था। इसके बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति के साथ यह कानून बन गया है।
क्या कहती है सरकार?
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह कानून संतुलित दृष्टिकोण अपनाता है।"यह विधेयक ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स जैसे सकारात्मक क्षेत्रों को बढ़ावा देता है, लेकिन साथ ही ऑनलाइन मनी गेमिंग जैसे खतरनाक पहलुओं पर सख्त नियंत्रण भी लगाता है," उन्होंने कहा।
उन्होंने इसे जन स्वास्थ्य का मामला बताते हुए इसकी तुलना पुराने समय के चिटफंड घोटालों से की, जिन पर कानून लाकर काबू पाया गया था।
युवाओं और मध्यम वर्ग के हित में फैसला
मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फैसले में युवाओं और मध्यम वर्ग के हितों को प्राथमिकता दी है, क्योंकि ऑनलाइन मनी गेम्स कई बार आर्थिक और मानसिक रूप से हानिकारक साबित हुए हैं।
आयकर अधिनियम, 2025: पुराने टैक्स सिस्टम को मिलेगा नया रूप
राष्ट्रपति मुर्मू ने इसके साथ ही ‘आयकर अधिनियम, 2025’ को भी मंजूरी दे दी है, जो कि 1961 में लागू हुए पुराने आयकर अधिनियम की जगह लेगा। नया कानून अगले वित्त वर्ष (2026-27) से प्रभावी होगा।
क्यों ज़रूरी था नया टैक्स कानून?
नया कानून:
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टैक्स नियमों को सरल और समझने में आसान बनाएगा
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कानूनी शब्दों की संख्या कम करेगा, जिससे जटिलता घटेगी
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करदाताओं को पारदर्शी और अनुपालन-अनुकूल व्यवस्था देगा
आयकर विभाग की सोशल मीडिया पोस्ट
आयकर विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा: “आयकर अधिनियम, 2025 को 21 अगस्त को माननीय राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। यह 1961 के अधिनियम की जगह लेने वाला एक ऐतिहासिक सुधार है जो एक सरल, पारदर्शी और अनुपालन-अनुकूल प्रत्यक्ष कर व्यवस्था की शुरुआत करता है।”