Capt. Sumit Sabharwal: वो अंतिम सफर… जब बेटा ताबूत में लौटा, रुला रहा पिता का यह वीडियो
punjabkesari.in Tuesday, Jun 17, 2025 - 12:43 PM (IST)

मुंबई – पवई की एक इमारत की खिड़की अब उस बेटे की राह नहीं देखती, जो हर छुट्टी पर अपने पिता का हाथ थामकर टहलने निकलता था। जहां एक समय कैप्टन सुमित सभरवाल की आवाज़ और जीवन की रौनक गूंजा करती थी, वहीं आज मातम पसरा है। अहमदाबाद विमान हादसे ने सिर्फ एक अनुभवी पायलट की जान नहीं ली, बल्कि एक पिता से उसका इकलौता सहारा भी छीन लिया।
वो अंतिम सफर… जब बेटा ताबूत में लौटा
12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुई एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, उड़ान भरने के चंद मिनटों बाद ही एक रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस भयावह हादसे में सवार 242 लोगों में से केवल एक व्यक्ति – विश्वास कुमार रमेश – जीवित बच पाए। बाकी सभी की जान चली गई, जिनमें कैप्टन सुमित सभरवाल, सह-पायलट क्लाइव कुंदर और 10 अन्य केबिन क्रू शामिल थे।
हादसे के पांच दिन बाद, कैप्टन सुमित का पार्थिव शरीर जब उनके पवई स्थित घर पहुंचा, तो 82 वर्षीय पिता की आंखों में आंसुओं से ज्यादा खामोशी थी – एक ऐसी चुप्पी, जो हर रिश्ते को झकझोर देती है। अंतिम दर्शन करते समय जब उन्होंने हाथ जोड़कर बेटे को विदाई दी, तो वहां मौजूद हर आंख भर आई।
#WATCH | #AirIndiaPlaneCrash | Maharashtra: Father of Captain Sumeet Sabharwal, Pushkaraj pays emotional tribute to his son outside their residence in Powai, Mumbai.
— ANI (@ANI) June 17, 2025
Captain Sabharwal was flying the ill-fated London-bound Air India flight that crashed soon after take off in… pic.twitter.com/NStRiMM6BY
कैप्टन सभरवाल – एक ज़िम्मेदार बेटा, समर्पित पायलट
सुमित सभरवाल ना सिर्फ एक बेहतरीन पायलट थे, बल्कि अपने परिवार के लिए भी उतने ही समर्पित। उनकी मां का निधन तीन साल पहले हुआ था, जिसके बाद वे और उनके पिता ही घर में रहते थे। अब अकेले रह गए पिता को देखना किसी के लिए भी आसान नहीं।
सुमित के पिता के एक पुराने मित्र ने बताया कि चाहे सुमित कितने भी व्यस्त क्यों न हों, जब भी मुंबई आते, हर शाम पिता को वॉक पर ज़रूर ले जाते। विमान हादसे से दो दिन पहले भी उन्होंने ऐसा ही किया था। अगली सुबह जब उनके पिता अकेले टहलते दिखे और किसी ने पूछा, “सुमित नहीं दिखे?”, तो उन्होंने मुस्कुराकर जवाब दिया, “वो ड्यूटी पर गया है, जल्दी लौट आएगा…”
कंधों पर अनुभव, दिल में ज़मीन से जुड़ाव
सुमित सभरवाल 8200 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव रखते थे। वे 2012 से ड्रीमलाइनर विमान उड़ा रहे थे और कई पायलटों को ट्रेनिंग भी दे चुके थे। उनका स्वभाव विनम्र था, और उन्होंने कभी भी अपनी वरिष्ठता को अपने व्यवहार में हावी नहीं होने दिया।
इस दुखद हादसे के बाद उनके करीबी दोस्त और पड़ोसी यही कहते पाए गए कि सुमित जैसा बेटा, साथी और पायलट मिलना मुश्किल है। वे नौकरी छोड़ने का विचार भी कर रहे थे ताकि अपने पिता की पूरी देखभाल कर सकें।
अब अकेले हैं पिता… लेकिन हिम्मत अब भी कायम
सुमित की एक बहन है जो दिल्ली में रहती हैं, पर पवई के इस घर में अब सिर्फ उनके पिता रह गए हैं। अपनों को खोकर भी वे जिस शांति और संयम से बेटे को अंतिम विदाई दे रहे थे, वह हर किसी को अंदर तक हिला गया।
एक बेटा चला गया… लेकिन पीछे छोड़ गया एक मिसाल
कैप्टन सुमित सभरवाल अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके जीवन की कहानियां, उनके संस्कार और उनका सेवा भाव हर उस इंसान के दिल में जिंदा रहेंगे, जो उन्हें जानता था। उनकी उड़ान अब हमेशा के लिए अमर हो गई है – एक ऐसी उड़ान, जो दर्द में लिपटी है, पर सम्मान से भरी है।