Exclusive Interview- बदल चुकी है देश की राजनीति: शाह

punjabkesari.in Wednesday, May 15, 2019 - 03:22 PM (IST)

नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 के छह चरणों के बाद भारतीय जनता पार्टी जीत के लिए आश्वस्त है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एन.डी.ए. ही दोबारा सता में आएगी। गांधी परिवार पर हमने कोई आरोप नहीं लगाए हैं पर उनके कार्यकाल दौरान जो गलत कार्य हुए उन पर बात तो करेंगे ही। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पंजाब केसरी ग्रुप के साथ खास बातचीत में कहा कि 2022 में हम आजादी का 75वां साल मनाने जा रहे हैं और हमने 75 संकल्प लिए हैं। देश को 75 चीजें हम 75 साल की आजादी होने से पहले दे देंगे।
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9 अगस्त-2014 को जब पार्टी ने मुझे अध्यक्ष बनाया तो पहली राष्ट्रीय परिषद में मैंने कहा था कि नॉर्थ-ईस्ट में विस्तार करना है। मुझे खुशी है कि नॉर्थ-ईस्ट में भाजपा का काम बढ़ा है। बंगाल, उड़ीसा में हमारा काम बढ़ा है। केरल, तमिलनाडु के अंदर भी अपनी नींव डाल पाए हैं। आंध्र के अंदर थोड़ा कमजोर हैं। भाजपा का विस्तार हम हर राज्य में तेजी से कर रहे हैं। झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र में पूर्ण बहुमत की सरकारें बनाईं। असम, त्रिपुरा, मणिपुर में पहली बार हमारा मुख्यमंत्री बना। मैं मानता हूं कि 5 साल में मोदी जी के नेतृत्व में पार्टी बहुत विस्तृत हुई है।
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दो योजनाओं से बदला महिलाओं का जीवन
2022 तक हर व्यक्ति के घर में रसोई गैस पहुंचा देंगे। 5 साल में 13 करोड़ से ज्यादा लोगों के घरों में रसोई गैस पहुंचा दी है। इसमें 7 करोड़ गरीब लोग हैं। उनका समय जो कंडे और लकड़ी लाने में लगता था, वह बच गया है। महिलाओं व बच्चों का स्वास्थ्य भी इससे अच्छा होगा। धुएं के कारण हर रोज जो कार्बन फेफड़ों में जाता है, वह खतरनाक होता है। उससे आंखों की रोशनी तक चली जाती है। हमने गरीब के घर में भी अच्छा जीवन जीने, स्वच्छ वातावरण देने का प्रयास किया है। ऐसे ही शौचालय के कारण भी ग्रामीण गरीबों के स्वास्थ्य में परिवर्तन आया है। महिला सशक्तिकरण का पूरी दुनिया में इससे बड़ा कोई प्रयोग नहीं हो सकता है। 8 करोड़ परिवारों की महिलाओं के लिए खुले में शौच शर्म और आत्मसम्मान गिराने की बात थी। अब 8 करोड़ परिवारों को शौचालय दिया है। आलोचना होती है कि लोग प्रयोग नहीं करते हैं, पानी नहीं है, लेकिन जब चीज है तो यूटिलाइजेशन भी बढ़ेगा। महिला तो करेगी ही करेगी। इसके अलावा काऊंसलिंग करने के लिए एन.जी.ओ. की मदद भी ली है। लगभग ढाई करोड़ लोगों को घर दिया है। आजादी के 70 साल साल बाद भी अगर कोई घर के बगैर जीवन व्यतीत करता है तो आजाद भारत के लिए ठीक चीज नहीं है। लक्ष्य रखा है कि 2022 से पहले हर नागरिक के पास घर होगा।

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पेश हैं मुख्य अंश...
ज्यादातर सीटों पर मतदान हो चुका है, आपका आकलन क्या है?

  • देखिए, चुनाव के नतीजे आने के बाद आप एनालसिस कर लीजिएगा। हमारी सीटें भी बढ़ेंगी और जीत का माॢजन भी। भाजपा का पार्लियामैंट में एरिया भी बहुत बढ़ने जा रहा है। लिहाजा, तीनों दृष्टि से चुनाव में यशस्वी होकर बाहर आएंगे और 2014 से अच्छी स्थिति होगी। भाजपा की अपनी मैजॉरिटी 282 से ज्यादा होगी। मैं 300 से ज्यादा लोकसभा क्षेत्र में गया हूं और हर रोज वर्करों का फीडबैक भी आ रहा है। मेरी बात मानकर चलना, 282 से ज्यादा सीटें ही होंगी, कम नहीं होंगी।


उत्तर प्रदेश में भाजपा की क्या स्थिति रहेगी?

  • राजनेता अभी भी 1980 के दशक में जी रहे हैं। अब वो समय चला गया है कि दो नेता दिल्ली के ट्रोल में हाथ मिलाएंगे तो वोटर इनके पीछे चला जाएगा। दो नेताओं के हाथ मिलाने से वोटर पीछे नहीं जाता है। वोटर अपना मत स्वत: तय करता है। यू.पी. में भी हमारी स्थिति बहुत बेहतर होगी।

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यू.पी. में गठबंधन को आप चैलेंज के तौर पर देख रहे हैं क्या?

  • चैलेंज मैं तो मानता ही नहीं। विधानसभा चुनाव के लिए भी यू.पी. के दो लड़के इकट्ठा हुए थे। कांग्रेस और सपा के वोटबैंक का योग भी लोगों ने बना दिया था। बता भी दिया था कि 270 विधानसभा सीटें सपा और कांग्रेस जीतेगी। परिणाम क्या आया, भाजपा की 325 सीटें आईं। अगर कास्ट अप्लाई करती तो ये असंभव था। यू.पी. में हमारी स्थिति बहुत अच्छी है। 72 सीटों का रिकार्ड हमारा कायम रहेगा।


1984 सिख दंगों को लेकर सैम पित्रोदा ने विवादास्पद बयान दिया है, हालांकि बाद में माफी भी मांग ली है। क्या इसका चुनाव पर असर पड़ेगा?

  • देखिए माफी मांगने से क्या होता है। इनके मन की बात बाहर आई है। मैं सैम पित्रोदा और राहुल गांधी को अलग करके नहीं देखता हूं। इनके गुरु हैं, सारी चीजें इनसे सीखते हैं। और इनके मन में पड़ा हुआ है कि हुआ तो हुआ...। वो बात बाहर आ गई है। अब शब्दों की माफी से क्या होता है?

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पश्चिम बंगाल में पूरा माहौल बदल गया है। हिंसा भी हो रही है। क्या भाजपा को सीटें मिलेंगी?

  • बिल्कुल, सीटें मिलेंगी। जो माहौल दिख रहा है, वह भाजपा के हक में है। वहां पंचायत चुनाव के परिणाम देख लीजिए। हम दो नंबर की पार्टी बन चुके हैं। बंगाल में सीटें बढ़ेंगी और वोट प्रतिशत में भी इजाफा होगा। जनता चाहती है कि विकास हो, घुसपैठ रुके, घुसपैठियों को निकाला जाए। वोटबैंक की सियासत के कारण बंगाल के कल्चर को जैसे दबाया जा रहा है, उसके खिलाफ भी लोगों में गुस्सा है। वहां दुर्गा पूजा नहीं कर सकते, सरस्वती पूजा नहीं कर सकते, जय श्रीराम नहीं बोल सकते...क्यों? यह सवाल बंगाल के मतदाता पूछ रहे हैं।


ममता सरकार ने आरोपों का खंडन किया है। वो पूजा के लिए पैसा भी देती हैं?

  • अरे, ये तो पंचायत चुनाव में हारने के बाद किया होगा। आप चार साल की सरकार का रिकार्ड पलटकर देख लीजिए, भाजपा कार्यकत्र्ताओं की पी.आई.एल. पड़ी है। कोर्ट के आर्डर पर परमिशन मिली। ममता दीदी अगर ऐसा कह रही हैं तो वो झूठ बोल रही हैं।

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उड़ीसा और केरल में भाजपा की क्या स्थिति होगी?

  • दोनों राज्यों में भाजपा के लिए अच्छा होगा। उड़ीसा में हम 13 से 15 लोकसभा सीटें जीतेंगे। हमारा प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है, जबकि केरल में खाता खुलने जा रहा है। 2 सीटों पर हमारी जीत सुनिश्चित मानी जा रही है। एक अन्य सीट पर हम टक्कर दे रहे हैं।


राष्ट्रवाद का मुद्दा तेजी से उठा है। दूसरा, आप पॉलिटिक्स और परफॉर्मैंस की बात करते हैं। बैलेंस कैसे करते हैं?

  • बैलेंस करने की जरूरत ही नहीं है। दोनों के बीच अंतरविरोध है ही नहीं। कोई देश अपने आप को सुरक्षित करे और कोई अपने आप को डिवैल्प करे, दोनों में कहां कोई कंट्राडिक्शन है। आजादी के बाद पहली बार नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक, देश की रक्षा नीति अलग से स्पष्ट हुई। अब तक हमारी डिफैंस पॉलिसी विदेश नीति में मर्ज कर दी गई थी। पहली बार डिफैंस पॉलिसी का एक अलग अस्तित्व आया है और डिफैंस पॉलिसी की प्रॉयरिटी विदेश नीति पर प्रस्तावित है, यह बड़ा परिवर्तन हुआ है।

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आगे डिफैंस पॉलिसी पहली प्रमुखता रहेगी?

  • जी, स्वाभाविक रूप से। जब तक भारतीय जनता पार्टी की सरकारें रहेंगी, आप मानकर चलिए कि देश की सुरक्षा टॉप मोस्ट प्रियॉरिटी में रहेगी।


पंजाब में आम आदमी पार्टी ने गत चुनाव में कुछ गलत लोगों से मदद ली। अभी भी उनकी पार्टी चुनाव लड़ रही है, इसे कैसे देखते हैं?

  • देखिए, राजनीति के अंदर वैचारिक आंदोलन के रूप में काम करना एक बात है और आम आदमी पार्टी तात्कालिक माहौल में खड़ी हुई है। जनता में एक गुस्सा खड़ा हुआ था। इसको भुनाकर पद प्राप्त कर लेना अलग बात है। मुझे लगता है कि अरविंद केजरीवाल ने अन्ना आंदोलन में जो गुस्सा जनता में पैदा हुआ था, उसे भुनाने का काम किया है मगर जब पार्टी चलाने के लिए आइडियोलॉजी नहीं होती है तो बाद में पार्टी को अलग-अलग प्रकार के ऐसे मिंस को पकडऩा पड़ता है। केजरीवाल यही हैं।

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राफेल को लेकर राहुल गांधी एवं विपक्ष बीच-बीच में अटैक करता है। इसका चुनाव में कुछ असर पड़ेगा?

  • देखिए, कोई भी आरोप चुनाव पर असर तब डालता है जब उसके पीछे तथ्य हो और जिन पर आरोप लगा है, उनका चरित्र किस प्रकार का है। इसमें दोनों चीजें नदारद हैं। राफेल के आरोप के समर्थन में राहुल गांधी कोई डाटा नहीं दे रहे हैं। डेढ़ साल से कह रहा हूं कि जितना भी डाटा है, आप चले जाओ सुप्रीम कोर्ट में। सुप्रीम कोर्ट को असिस्ट करो सत्य निकालने के लिए, मगर वो हिम्मत उनमें नहीं है। दूसरा, नरेंद्र मोदी का चरित्र निष्कलंक, पारदर्शी है। प्रामाणिक चरित्र है। इन पर ऐसे आरोप चिपकाना बड़ी सरल बात है।

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कांग्रेस की न्याय योजना क्या है, इसका क्या असर पड़ेगा?

  • न्याय पर कोई टिप्पणी करना नहीं चाहता। भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार ने जितनी भी योजनाएं बनाई हैं, वो वोट बैंक जैनरेशन की योजनाएं नहीं हैं, न वोटर को कंसल्टैंट करने की योजना है। वह हर नागरिक को सम्मान के साथ जीने का अधिकार देना चाहती है। हर नागरिक को संविधान ने अच्छा जीवन जीने का हक दिया है। मेरा मानना है कि देश में 50 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनके जीवन स्तर को उठाने के लिए अब तक सही तरीके से काम नहीं हुआ था। नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के 50 करोड़ लोगों के जीवन स्तर को उठाने के लिए साइंटिफिक तरीके से काम किया है।


उज्जवला स्कीम में रीफिलिंग की समस्या है?

  • जी, सही बात है। हमारे सर्वे में भी आया है। रीफिलिंग की समस्या इसलिए आई है कि उनके पास पूरा पैसा नहीं है। रोज कमाकर रोज खाने वाले लोग हैं। इसको देखते हुए अब 5 किलो वाले गैस सिलैंडर भी बना लिए हैं। एक साल के अंदर उज्जवला के जितने लाभार्थी हैं, उन्हें 5 किलो का सिलैंडर देंगे। इससे वह कम रुपया देकर सिलैंडर ले पाएंगे। लकड़ी और कंडों की लागत गैस से ज्यादा है। इसका भी साइंटिफिक इनालिसिस करने के बाद ही योजना को जमीन पर उतारा है।

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योजनाओं से महिला सशक्तिकरण हुआ है तो राजनीतिक फायदा भी मिलेगा?

  • जरूर होगा, मगर मकसद वोट बैंक पॉलिटिक्स नहीं है। यदि गरीब लोग सोचते हैं कि 70 साल बाद कोई सरकार आई है जिसने उनके बारे में सोचा है, देश का पहला प्रधानमंत्री आया है जो उनके लिए सोचता है तो हमें वोट जरूर देगा और क्लेम भी करेंगे, मांगने भी जाएंगे परंतु योजनाओं का उद्देश्य उनके जीवन स्तर को उठाना है। रुपया देते तो वोट बैंक की पॉलिटिक्स होती। हमने चीजें दी हैं, जो जीवन शैली को बदल देंगी।


इस आधार पर हो रहा है मतदान

  • देश की पॉलिटिक्स अब बदल चुकी है। जातिवाद, परिवारवाद, और एपिसमैंट। ऐसा भी कह सकते हैं कि माइनॉरिटी एपिसमैंट से बाहर आ चुकी है। इसलिए अब पॉलिटिक्स एवं परफार्मैंस का अनुभव भी हुआ है। शुरूआत भी हुई है और मतदाताओं ने पॉलिटिक्स एवं परफार्मैंस को स्वीकार भी कर लिया है। तीन नासूर, जो डसकर बैठे थे, जातिवाद, परिवारवाद और एपिसमैंट। इन तीनों से पॉलिटिक्स अब ऊपर उठी है। पॉलिटिक्स और परफॉर्मैंस की शुरूआत हुई है। मतदाता सोचता था कि कौन गरीबों की मदद करेगा। देश के अर्थतंत्र को कौन अच्छे से इंप्रूव कर सकता है और कौन सबसे अच्छा सुरक्षित कर सकता है। किस पार्टी की सरकार भ्रष्टाचार नहीं करेगी। किसकी सरकार दुनिया में देश का सम्मान बढ़ाएगी। ये सारी चीजें कंसिड्रेशन में हैं और इसी आधार पर इस बार मतदान हो रहा है।

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2014 से 2019 के बीच भाजपा का अच्छा विस्तार हुआ है?

  • जहां-जहां बूथ बना है, वहां सफलता मिली है। 10 हजार से ज्यादा फुलटाइमर 2 साल से बूथ बनाने का काम किए। वेतन भी नहीं लेते, पार्टी के लिए निकले हैं। पार्टी ऐसे नहीं बढ़ी है। कठोर परिश्रम वर्करों ने किया है। मोदी जी की प्रचंड लोकप्रियता को मत में परिवर्तित करने में सफल होंगे।


कई पार्टियों के नेताओं ने भाजपा ज्वाइन की है, जबकि कई राज्यों में ज्यादा आपकी सरकारें हैं?

  • 16 में से 13 सरकारें भाजपा की ही हैं। तीन गठबंधन की सरकारें हैं। देखिए, जितने भी लोगों ने भाजपा को ज्वाइन किया है, वह चुनाव के पहले किया है। इस्तीफा देकर किया है, बाद में चुनाव में गए हैं। पब्लिक के मैंडेट के साथ छल नहीं किया। फिर से वो मैंडेट लेने के लिए गए और लिया मगर राजनीतिक समीकरण इस तरह का हो जिसमें एक आइडियोलॉजी नई उभरकर आए। जैसे नॉर्थ- ईस्ट में हमारी आइडियोलॉजी अब नई उभर कर आ रही है। किसी राजनीतिक कार्यकत्र्ता को लगता है कि यह आइडियोलॉजी मेरी से बेहतर है तो उसको डैमोक्रेसी में नई आइडियोलॉजी ज्वाइन करने का अधिकार है। मैं मानता हूं कि चुनाव से पहले राइट है। हमने ये सारे जुड़ाव जो कराए हैं, चुनाव से पहले कराए हैं।

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भाजपा में जो नए लोग आ रहे हैं, उससे कल्चरल बदलाव होगा या नहीं?

  • भाजपा का हाजमा बहुत मजबूत है। वह भाजपा को नहीं बदल सकते, बल्कि भाजपा के साथ रहकर उनकी सोच को बदलने में हम कामयाब होंगे, ऐसा हमें लगता है।


2019 में राजनीतिक माहौल पूरा नकारात्मक हो गया है, असली मुद्दे गायब हो गए हैं?

  • मैं मानता हूं कि यह मीडिया तक सीमित है। वोटर मुद्दों के आधार पर ही वोट डाल रहा है। कोई वक्ता 40 मिनट का भाषण देता है, उसमें से 2 मिनट कुछ बोलेगा तो मीडिया सुर्खियां बनाता है और बार-बार टी.आर.पी. के कारण दिखाता है। 39 मिनट का भाषण कोई मायने नहीं रखता मगर वोटर के लिए अपने मुद्दे हैं और मुद्दों पर चुनाव हो रहा है। मुद्दों पर ही भाजपा बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है।

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जी.एस.टी. और नोटबंदी को लेकर लोगों में नाराजगी है, क्या असर पड़ेगा?

  • नहीं...ऐसा नहीं है। जी.एस.टी. दुनिया का सबसे बड़ा बिक्रीकर सुधार है। 16 टैक्सों को मिलकर एक बनाया गया है। जब इतना बड़ा रिफॉर्म होगा तो शुरूआती दिक्कतें तो आएंगी ही मगर व्यापारियों व ग्राहकों के साथ संवाद किया है, ट्रेडर्स, होलसेलर्स और मैन्युफैक्चर्स के साथ भी किया। जबसे जी.एस. टी. लगा है, तब से अब तक प्रॉसीजर में सुधार किए हैं, सिस्टम में भी सुधार किया है, कानून भी बदला है और टैक्स की दरें भी धीरे-धीरे कम की हैं। एक भी फैसला विपक्ष की सहमति के बगैर नहीं लिया है। एक भी फैसले में वोटिंग तक नहीं हुई। विपक्ष बाहर गब्बर सिंह टैक्स कहता है और अंदर समर्थन देता है। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष से पूछना चाहता हूं कि अगर जी.एस.टी. ठीक नहीं है तो आपके वित्तमंत्री अंदर क्या कर रहे थे।


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रोजगार के आंकड़ों को सरकार छिपाती है, ऐसा आरोप लगता है?

  • देश को रोजगार को देखने का नजरिया बदलना होगा। 125 करोड़ आबादी के देश में स्थायी नौकरी नहीं दे सकते हैं। अब कोई 3 करोड़, 5 करोड़ एवं 8 करोड़ के यूरोपियन देशों का आंकड़ा लेकर नापना चाहेगा तो संभव नहीं है। मेरा मानना है कि भारत को जो समझते हैं, उन्हें रोजगार के क्षेत्र में नए विजन की जरूरत है, जो नरेंद्र मोदी ने दिया है। हमने मुद्रा बैंक योजना, स्किल डिवैल्पमैंट और स्टार्टअप के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दिया। इस देश की रोजगार की समस्या को अलग तरीके से सोचकर ही हल किया जा सकता है।


प्रियंका गांधी के उतरने से क्या फर्क पड़ेगा?

  • पहले आप इस भ्रांति से निकल जाओ कि वह पहली बार गई हैं। वह पिछले तीन लोकसभा चुनावों से जाती रही हैं। कांग्रेस हर बार इनकी नई एंट्री कराती है। 2024 के अगले लोकसभा चुनाव में भी वह इनकी रि-एंट्री कराएगी।

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गांधी परिवार और मोदी जी के बीच निजी स्तर पर हमले शुरू हो गए हैं?

  • देखिए, हमने गांधी परिवार पर कोई आरोप नहीं लगाए हैं, मगर उनकी सरकार के समय में करप्शन हुआ है तो क्या उसका इश्यू भी हम न उठाएं। वो किस प्रकार की डैमोक्रेसी चाहते हैं और क्या काऊ-काऊ कर रहे हैं मीडिया में। कौन हैं ये जी, क्यों उनके खिलाफ सवाल नहीं खड़े करने चाहिए। आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को दुर्योधन कहते हैं, यह पर्सनल अटैक है।

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वोट बैंक को देखकर योजना नहीं बनाई
स्वास्थ्य योजना के लिए जो हम आयुष्मान भारत योजना लाए हैं, इसके माध्यम से भी पूरे देश के हैल्थ सैक्टर के अंदर आमूल-चूल परिवर्तन लाने का काम किया है। इससे सरकारी अस्पताल भी खुद से मजबूत होंगे और तहसील स्तर पर भी प्राइवेट अस्पताल पहुंचने लगेंगे, क्योंकि अब मार्कीट पोटैंशियल बढ़ी है। देश के 50 करोड़ लोगों के पास 5 लाख रुपए अपने स्वास्थ्य पर खर्च करने के लिए हैं। हमने हर योजना जो बनाई है, वह वोट बैंक को देखकर नहीं बनाई। खैरात नहीं दी है। लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए योजनाएं दी हैं। उसी तरह से किसान सम्मान निधि है। देश के 12 करोड़ किसान ऐसे हैं जिनको लोन ही नहीं मिलता है, वह साहूकार के पास से, प्राइवेट वैंडर के पास से बहुत ऊंची ब्याज पर लोन लेते हैं। उनकी 75 प्रतिशत कमाई असल एवं ब्याज देने में चली जाती है। किसान सम्मान निधि कोई ऋण माफ कर देना या इस प्रकार की योजना नहीं है। हम एजैंडे में लेकर आए कि पूरे देश के किसानों के लोन पर से ब्याज माफ कर दिया। उसका मूल माफ नहीं करके उस पर ब्याज का बोझ हम हटा देंगे। जो बड़े किसान हैं, उनके लिए भी एक बड़ी राहत की बात होगी।
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Sunil Pandey

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