जम्मू कश्मीर में सूर्य नमस्कार को लेकर छिड़ गई है राजनीतिक जंग, कश्मीरी नेता कर रहे हैं विरोध
punjabkesari.in Saturday, Jan 15, 2022 - 11:45 AM (IST)

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को कहा कि लोगों ने एक सरकारी पहल के तहत केंद्र शासित प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में 'सूर्य नमस्कार' किया, हालांकि प्रशासन के इस कदम की कई राजनीतिक और धार्मिक समूहों ने आलोचना की तथा इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि अनंतनाग में युवा सेवा और खेल कार्यालय ने मकर संक्रांति के अवसर पर छात्रों और कर्मचारियों के सदस्यों द्वारा 'सूर्य नमस्कार' के लिए बड़े पैमाने पर डिजिटल और शारीरिक उपस्थित वाले कार्यक्रमों का आयोजन किया।
प्रवक्ता ने कहा कि यह अभ्यास जिला मुख्यालय और जिले के कुछ अन्य क्षेत्रों में कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करते हुए किया गया। उन्होंने दावा किया कि प्रतिभागियों ने इसमें बहुत रुचि दिखायी क्योंकि वे सभी मानते हैं कि इस तरह के कार्यक्रमों से शारीरिक तंदुरूस्ती बढ़ती है, खासकर जब वे कोविड पाबंदियों के कारण घर में पृथकवास में होते हैं। उन्होंने कहा कि यह पहल 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के तहत की गई।
जम्मू कश्मीर प्रशासन के उस आदेश की विभिन्न राजनीतिक एवं धार्मिक समूहों ने शुक्रवार को आलोचना की, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश के कॉलेज प्रमुखों को मकर संक्रांति के अवसर पर बड़े पैमाने पर 'सूर्य नमस्कार' आयोजित करने का निर्देश दिया गया था।
व्यापक आलोचना किये जाने पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के सलाहकार फारुक खान ने कहा कि इस कार्यक्रम में शामिल होना अनिवार्य नहीं था।
खान ने कहा, "जो लोग इसे करना चाहते हैं वे इसे कर सकते हैं और जो नहीं करना चाहते हैं, वे ऐसा नहीं करने के लिए स्वतंत्र हैं। आदेश में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया है कि अगर कोई इसे करने से इनकार करता है तो इसके प्रभाव होंगे। यह योग का सिर्फ एक हिस्सा है, इसे नमस्कार नाम दिया गया है, जिसने इसे धार्मिक अर्थ दिया होगा। इसलिए कोई नया रूप देने की आवश्यकता नहीं है।"
इससे संबंधित घटनाक्रम में, एक आतंकवादी समूह, 'रीजिस्टेंस फ्रंट' ने उस अधिकारी को धमकी दी है जिसने आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। यह आतंकी समूह पिछले साल के अंत में कश्मीर में अल्पसंख्यकों सहित नागरिकों की हत्या के लिए जिम्मेदार था।
कई धार्मिक संगठनों के समूह, मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा (एमएमयू) ने आदेश पर कड़ी आपत्ति जतायी और कहा कि अधिकारियों को अच्छी तरह से पता था कि जम्मू कश्मीर मुस्लिम बहुल है और मुस्लिम इसमें हिस्सा नहीं लेंगे।
इसने कहा, "आदेश जारी करके जानबूझकर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करना शरारतपूर्ण है।"
उसने एक बयान में कहा, "जम्मू कश्मीर के मुसलमान सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करते हैं, लेकिन यदि उनकी आस्था से जुड़े मामलों में कोई हस्तक्षेप होता है तो कभी भी किसी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे।"
उसने आरोप लगाया, " हरिद्वार में एक धर्म संसद में भारत के मुसलमानों के नरसंहार का खुला आह्वान और इस संबंध में राज्य की चुप्पी मुसलमानों के खिलाफ कट्टरता और भेदभाव का एक चौंकाने वाला मामला है, जो आज की प्रचलित बात हो गई है।"
समूह ने प्रशासन से भविष्य में इस तरह के आदेश जारी करने से परहेज करने के लिए कहा।
पूर्व मुख्यमंत्रियों - उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती - और विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी आदेश की आलोचना की।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, "मुसलमान छात्रों को योग सहित कुछ भी करने, मकर संक्रांति मनाने के लिए क्यों मजबूर किया जाना चाहिए? मकर संक्रांति एक त्योहार है और इसे मनाना एक व्यक्तिगत पसंद होनी चाहिए। क्या भाजपा खुश होगी यदि ऐसा ही एक आदेश गैर-मुस्लिमों छात्रों को ईद मनाने के लिए जारी किया जाए?&
Why should Muslim students be forced to do anything, including yoga, to celebrate Makar Sankranti?Makar Sankranti is a festival & to celebrate it or not must be a personal choice. Would the BJP be happy if a similar order was issued to order non-Muslim students to celebrate Eid? https://t.co/n6luhwSm1J
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) January 13, 2022
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि केंद्र के "दुस्साहसों" का उद्देश्य कश्मीरियों को सामूहिक रूप से "अपमानित" करना है।
महबूबा ने ट्वीट किया,"सरकार के दुस्साहसों का उद्देश्य कश्मीरियों को नीचा दिखाना और सामूहिक रूप से अपमानित करना है। छात्रों और कर्मचारियों को आदेश जारी करके सूर्य नमस्कार करने के लिए मजबूर करना, उनकी सांप्रदायिक मानसिकता को दर्शाता है।
Why should Muslim students be forced to do anything, including yoga, to celebrate Makar Sankranti?Makar Sankranti is a festival & to celebrate it or not must be a personal choice. Would the BJP be happy if a similar order was issued to order non-Muslim students to celebrate Eid? https://t.co/n6luhwSm1J
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पीपुल्स कांफ्रेंस (पीसी) के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने भी इस निर्देश की आलोचना करते हुए कहा कि उदार मुसलमानों ने जो अर्जित किया था, उसे प्रशासन खत्म कर रहा है।
लोन ने ट्वीट करके कहा कि सरकार सफल नहीं होगी और लोगों की इच्छा अंतत: प्रबल होगी।
लोन ने ट्वीट किया, "सरकार इतनी असंवेदनशील क्यों है। अब सूर्य नमस्कार प्रकरण आ गया । काश, इस समय की सरकार यह समझती कि कश्मीर में लड़ी गई कई खूनी लड़ाइयों के साथ-साथ उदार और कट्टरपंथियों के बीच संघर्ष बहुत महत्वपूर्ण था।" लोन ने कहा कि 'सूर्य नमस्कार' निर्देश के साथ प्रशासन 'कट्टरपंथियों का अनुकरण' कर रहा है। उन्होंने कहा, " नब्बे के दशक में कट्टरपंथियों की क्रूर शक्ति देखी है। आप सफल नहीं होंगे। लोगों की इच्छा अंतत: प्रबल होगी।
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— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) January 13, 2022
अपनी पार्टी के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने भी आदेश का कड़ा विरोध किया और कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को "राजनीतिक पैंतरेबाज़ी" से अलग रखा जाना चाहिए और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, "त्योहार मनाना एक व्यक्तिगत पसंद है और राज्य को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर के कॉलेजों में सूर्य नमस्कार करने का यह हालिया आदेश निस्संदेह एक खतरनाक कृत्य है जिसके गंभीर निहितार्थ हैं। प्रशासन को शैक्षणिक माहौल का सांप्रदायीकरण करना बंद करना चाहिए और इन शैक्षिक सुविधाओं के उन्नयन पर ध्यान देना चाहिए।"
उन्होंने प्रशासन को विवादास्पद आदेश को वापस लेने और भविष्य में इस तरह के मनमाने फरमान जारी करने से दूर रहने कहा।