अलविदा 2017: कर्नाटक में रही राजनीतिक उथल-पुथल

punjabkesari.in Monday, Dec 25, 2017 - 03:34 PM (IST)

बंगलुरू: पत्रकार-कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या और आईटी कंपनी इंफोसिस का बोर्डरूम विवाद जैसे मुद्दे वर्ष 2017 में कर्नाटक में छाए रहे। इस वर्ष राजनीतिक पाॢटयों ने भी अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं। यह वर्ष कर्नाटक के लिए राजनीतिक उथल-पुथल से भरा रहा। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के राजनीतिक सहयोगी की डायरी से कांग्रेस नेतृत्व को कथित तौर पर भुगतान करने की खबर सामने आई, ऊर्जा मंत्री डीके शिवकुमार के यहां आयकर के छापे और प्रदेश भाजपा प्रमुख बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ भाजपा के भीतर विरोधी धड़े बन जाने जैसी खबरें छाई रहीं।
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सिद्धरमैया सरकार ने की अलग झंडे की मांग 
सिद्धरमैया की सरकार ने राज्य के लिए अलग झंडे और इसे कानूनी मान्यता देने के लिए अभियान चलाकर समस्याओं को न्यौता दे दिया। इसकी खासी आलोचना हुई और इसकी तुलना जम्मू-कश्मीर से की गई जिसे संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा प्राप्त है। वीराशैवा-लिंगायत समुदाय को अलग धर्म के तौर पर मान्यता देने की मांग भी सामने आई। इस समुदाय का संख्याबल यहां अच्छा खासा है। यह समुदाय राजनीतिक रूप से भी प्रभावशाली है। 
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अधिक संपत्ति मामले में शशिकला को भेजा गया जेल 
अन्नाद्रमुक की पद से हटा दी गई नेता वीके शशिकला को उच्चतम न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी करार दिया जिसके बाद उन्हें वापस केंद्रीय जेल में भेजा गया। जेल में उन्हें विशेष सुविधाएं देने की खबरें भी सामने आई। इसे सामने लाने का श्रेय वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डी रूपा को गया। लंबे समय से सफलता का स्वाद चखते रहे इसरो को इस साल असफलता हाथ लगी जब पीएसएलवी एक नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस-1एच को तकनीकी खामी की वजह से कक्षा में स्थापित करने में विफल रहा। वर्ष की शुरुआत में बंगलुरू में महिलाओं के साथ कथित सामूहिक छेड़छाड़ की भयावह घटना हुई।
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पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से दहला कर्नाटक 
पत्रकार 55 वर्षीय गौरी लंकेश की पांच सितंबर को मोटरसाइकिल सवार अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी। वह हिंदूवादी राजनीति के खिलाफ काफी मुखर थी। इस घटना को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया गया। उनकी हत्या के जिम्मेदार लोग अभी तक पकड़े नहीं गए हैं।  राजनीतिक मोर्चे पर कांग्रेस, भाजपा और जेडीएस ने अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले विस चुनावों की तैयारी प्रारंभ कर दी। येदियुरप्पा के कामकाज के तरीके को लेकर वरिष्ठ नेता केएस ईश्वरप्पा समेत कई नेताओं ने मोर्चा खोल दिया। 
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सुर्खियों में रहा इंफोसिस विवाद 
मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव के गोविंदराजू के आवास से आयकर विभाग ने कथित तौर पर एक डायरी बरामद की थी। इसमें कथित तौर पर जो लिखा गया था वह कांग्रेस के कुछ नेताओं के नाम से मिलता जुलता था, जिसमें बताया गया था कि उन्हें कथित तौर पर भुगतान किया गया है। कर चोरी के एक कथित मामले में कर्नाटक के ऊर्जा मंत्री डीके शिवकुमार की संपत्तियों पर आयकर विभाग की छापेमारी को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा। कारोबार के मोर्चे पर इंफोसिस के पहले गैर संस्थापक सीईओ विशाल सिक्का ने इस्तीफा दे दिया और बोर्ड तथा एनआर नारायण मूर्ति के नेतृत्व में संस्थापकों के बीच बड़ी खाई को उजागर किया।  


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