बिहार चुनाव से पहले सियासी अखाड़ा तैयार, देशभर में उपचुनाव और राज्यसभा सीटों पर सियासी टक्कर तय

punjabkesari.in Tuesday, Apr 15, 2025 - 12:28 PM (IST)

नेशनल डेस्क: देश की सियासी हवा में एक बार फिर गरमाहट घुल गई है। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद अब एक और अहम सियासी मोड़ आने वाला है। चुनाव आयोग ने उपचुनावों और राज्यसभा की खाली हो रही सीटों के लिए कमर कस ली है। इन सभी चुनावों का असर न केवल राज्यों की राजनीति पर पड़ेगा बल्कि साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की दिशा भी तय करेगा। फिलहाल जिन उपचुनावों की चर्चा जोरों पर है, उनमें सात विधानसभा सीटें और एक लोकसभा सीट शामिल हैं। ये सीटें पश्चिम बंगाल, पंजाब, मणिपुर, जम्मू और कश्मीर तथा गुजरात जैसे राज्यों में फैली हुई हैं। इन चुनावों को लेकर सियासी दलों ने भी अपनी रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है और चुनाव आयोग ने भी सभी जरूरी तैयारियां शुरू कर दी हैं।

पश्चिम बंगाल में सियासी पारा हाई

कालीगंज विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने वाला है। यहां तृणमूल कांग्रेस (TMC) के विधायक नसीरुद्दीन अहमद की मृत्यु के बाद यह सीट खाली हुई थी। यह इलाका बांग्लादेश सीमा से सटा है और यहां फर्जी वोटिंग, डुप्लिकेट वोटर कार्ड और अवैध प्रवासियों की शिकायतें पहले भी सामने आ चुकी हैं। ऐसे में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची की विशेष जांच शुरू कर दी है। यह उपचुनाव 2026 के राज्य विधानसभा चुनावों का ट्रेलर माना जा रहा है। वहीं, बशीरहाट लोकसभा सीट भी उपचुनाव की राह देख रही है, लेकिन यहां मामला अदालत में होने के कारण प्रक्रिया रुकी हुई है।

पंजाब में आम आदमी पार्टी की अग्निपरीक्षा

पंजाब के लुधियाना पश्चिम सीट पर उपचुनाव होना है। यहां आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक गुरप्रीत गोगी के निधन के बाद चुनाव जरूरी हो गया है। दिल्ली से सत्ता से बाहर होने के बाद AAP पंजाब में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। चर्चा है कि राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा यहां से चुनाव लड़ सकते हैं। यह मुकाबला पंजाब में पार्टी की स्थिति को लेकर निर्णायक माना जा रहा है।

गुजरात में विसावदर बना हॉटस्पॉट

गुजरात के विसावदर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव संभावित है। लंबे समय से एक याचिका लंबित थी, जिसका निपटारा अब हुआ है। आम आदमी पार्टी ने यहां से गोपाल इटालिया को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इटालिया पहले से ही प्रचार में जुट गए हैं, जिससे मुकाबले के गर्म होने के संकेत मिल रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में प्रतिष्ठा की लड़ाई

जम्मू-कश्मीर में दो बड़े उपचुनाव की तैयारी है। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था – गंदेरबल और बडगाम। उन्होंने गंदेरबल सीट अपने पास रखी, जबकि बडगाम खाली हो गई। अब बडगाम सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है। इसके अलावा, नगरोटा विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होने वाला है। भाजपा विधायक देवेंद्र सिंह राणा के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी। यह उपचुनाव भाजपा के लिए सियासी संकेतों की कसौटी बन गया है।

केरल में बदलते राजनीतिक समीकरण

केरल के नीलांबुर में भी दिलचस्प राजनीतिक घटनाक्रम चल रहा है। एलडीएफ के विधायक पीवी अनवर ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की कथित निष्क्रियता के विरोध में इस्तीफा दे दिया था। अब खबर है कि वे कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के समर्थन में आ सकते हैं। यह उपचुनाव न केवल सीट की लड़ाई है, बल्कि राजनीतिक विचारधारा और नेतृत्व की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाता है।

राज्यसभा में भी बदलेंगे समीकरण

जून और जुलाई के बीच 12 राज्यसभा सीटें खाली हो रही हैं। ये सीटें उन राज्यों से हैं, जहां भाजपा और विपक्ष के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा। इन चुनावों से राज्यसभा में राजनीतिक शक्ति संतुलन में बदलाव आने की संभावना है। यही वजह है कि हर पार्टी अपने रणनीतिक उम्मीदवारों पर दांव लगाने की तैयारी में है।

बिहार चुनाव से पहले सियासी टक्कर

इन सभी उपचुनावों और राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनावों का सबसे बड़ा असर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर पड़ सकता है। यह उपचुनाव राजनीतिक दलों के लिए जनसमर्थन की असली परीक्षा होंगे। जो भी दल यहां अच्छा प्रदर्शन करेगा, वह बिहार में मनोवैज्ञानिक बढ़त पा सकता है।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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