बूस्टर डोज पर “पैसे दो और टीका लगवाओ” की नीति पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, कहा- यह जनता के साथ छल
punjabkesari.in Friday, Apr 08, 2022 - 08:27 PM (IST)
नेशनल डेस्क: कांग्रेस ने 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए कोविड-19 टीके की एहतियाती खुराक की उपलब्धता की घोषणा के बाद शुक्रवार को आरोप लगाया कि “पैसे दो और टीका लगवाओ” की नीति जनता के साथ छल हैं क्योंकि लोग पहले से ही महंगाई के बोझ से परेशान हैं। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि सरकार की यह नीति गरीबों और अमीरों तथा गांवों एवं शहरों के बीच भेदभाव करने वाली है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 10 अप्रैल से निजी टीकाकरण केंद्रों में 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों के लिए कोविड-19 टीके की एहतियाती खुराक उपलब्ध कराए जाने की शुक्रवार को घोषणा की।
Modi Govt must answer to India’s Young, the Poor, the Deprived, the Middle Class, the Salaried Class on its “pay & get” booster dose policy for #COVID19 Vaccine for those in age groups of 18 to 60 years.
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 8, 2022
Our Statement 👇🏼 pic.twitter.com/FxPNmvXqbp
सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘‘केविड 19 के खिलाफ हमारे नागरिकों की सुरक्षा करने में सुनियोजित भेदभाव और अकल्पनीय मूर्खता जारी है। बूस्टर खुराक की नीति असमानता और गरीबों एवं अमीरों तथा शहर एवं गांव के बीच की असमानता एवं अलगाव पर आधारित है। यह विशुद्ध रूप से छल है।'' उन्होंने कहा, ‘‘देश के युवा, गरीब, वंचित, मध्यमवर्ग, नौकरीपेशा लोगों को कोरोना के बूस्टर डोज लगवाने के लिए “पैसे दो और टीका लगवाओ” की भेदभावपूर्ण नीति के बारे में मोदी सरकार को सवालों का जबाब भी देना होगा और इस नीति में बदलाव भी करना होगा।''
सुरजेवाला ने किए ये सवाल
उन्होंने सवाल किया, ‘‘18 से 60 साल के उम्र के भारतीय नागरिकों को बूस्टर खुराक लेने के लिए पैसे का भुगतान क्यों करना चाहिए, जबकि यह हर देश में मुफ्त है?'' कांग्रेस नेता ने यह भी पूछा, ‘‘गरीब, वंचित और कर्म वेतन पाने वाला वर्ग कैसे 800-600 रुपये का बूस्टर डोज और 200 रुपये के इंजेक्शन का खर्च कैसे वहन कर पाएगा। क्या आप दो वर्ग बना रहे हैं- एक जो किसी भी तरह खर्च उठा ले और दूसरा यह नहीं कर सके?''
सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘‘आम लोगों, मध्य वर्ग और वेतनभोगी वर्ग्र पर अतिरिक्त बोझ क्यों डाला जाए जब वे पहले से ही पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, सीएनजी, दवाओं और सब्जियों के दाम बढ़ने से परेशान हैं?'' उन्होंने यह भी प्रश्न किया, ‘‘सिर्फ निजी अस्पतालों के माध्यम से बूस्टर खुराक क्यों दी जाएगी, सरकारी अस्पतालों को इससे अलग क्यों रखा गया? क्या यह सही नहीं है कि ग्रामीण इलाकों और देश के कुछ अन्य हिस्सों में बहुत कम निजी अस्पताल हैं? क्या आप यह कहना चाहते हैं कि ग्रामीण आबादी को बूस्टर खुराक देने के बारे में आपको कोई परवाह नहीं है?''