सिंगापुर में बोले PM मोदी- 17 सालों से नहीं ली एक भी छुट्टी

Saturday, Jun 02, 2018 - 05:33 AM (IST)

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि हर व्यवधान को विनाश के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने सामाजिक असमानता को दूर करने के लिए प्रौद्योगिकी संचालित समाज की अहमियत का भी जिक्र किया। पीएम ने सिंगापुर के प्रतिष्ठित नान्यांग टेक्नोलॉजिकल यूनिर्विसटी (एनटीयू) में ‘नवाचार के जरिए एशिया में बदलाव’ विषय पर एक चर्चा में भाग लेते हुए दुनिया के समक्ष मौजूद सबसे बड़ी चुनौतियों का जिक्र किया। 

पॉलिटिकल प्रेशर को लेकर की चर्चा 
पीएम ने यूनिवर्सिटी में छात्रों से कई मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने पॉलिटिकल प्रेशर का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने पिछले 17 सालों से एक भी छुट्टी नहीं ली है, 15 मिनट की भी नहीं। मोदी ने कहा कि साल 2001 से पहले वो सीएम नहीं थे लेकिन तब उनका जीवन जैसा था, आज भी वैसा ही है। इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा कि जब हम सेना को सीमा पर लड़ते देखते हैं और जब हमारी माएं संघर्ष करती दिखती हैं, तो मुझे भी लगता है कि आराम नहीं करना चाहिए। इसी से मैं प्रेरित होते रहता हूं। मुझे लगता है कि छुट्टी नहीं लेनी चाहिए।

चीन के साथ रिश्तों को सुधारेगा भारत
मोदी ने कहा कि चीन और भारत दुनिया के 2 सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश हैं, हम आपस में मुद्दों को सुलझा रहे हैं। बॉर्डर पर शांति के लिए दोनों देश काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें हर व्यवधान को विनाश के रूप में नहीं देखना चाहिए। लोग कंप्यूटर के बारे में सशंकित थे लेकिन देखिए कंप्यूटर ने किस तरह से मानव इतिहास को बदल कर रख दिया। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी दुनिया भर में करोड़ों लोगों को आवाज दे रही है और सामाजिक अवरोधों को तोडऩे में मदद कर रही है। उन्होंने 21वीं सदी की चुनौतियों का हल करने के लिए नवाचार को मानव मूल्यों से जोडऩे की जरूरत पर जोर दिया उन्होंने कहा कि हमारे समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यह है कि 21वीं सदी एशिया की है।

मानव कई चुनौतियों का कर रहा सामना 
प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल युग में कौशल, रोजगार के पर्याप्त अवसर का सृजन, कृषि उत्पादकता, जल, प्रदूषण, त्वरित एवं तेजी से हो रहा शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन, सतत बुनियादी ढांचे का निर्माण और ब्लू इकोनॉमी (आर्थिक वृद्धि के लिए महासागरीय संसाधनों का सतत उपयोग) का संरक्षण, कुछ ऐसी सांझा चुनौतियां हैं जिनका मानव सामना कर रहा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकारों, विश्वविद्यालयों और प्रयोगशालाओं के बीच सहयोग की जरूरत है। उन्होंने 2000 साल के आर्थिक विकास पर एक अमेरिकी विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट का हवाला दिया जिसके मुताबिक भारत और चीन ने 1600 साल तक दुनिया की 50 फीसदी जीडीपी का योगदान किया।      
 

vasudha

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