PM मोदी का भारत में ''सिंगापुर'' बनने का सपना! जानें कैसे एक सेमीकंडक्टर हब बनेंगे हम
punjabkesari.in Friday, Sep 06, 2024 - 09:37 AM (IST)
नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में सिंगापुर के दो दिवसीय दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेन्स वॉन्ग के साथ मुलाकात की और दोनों देशों के बीच चार महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इस दौरे के दौरान, पीएम मोदी ने सिंगापुर की प्रमुख सेमीकंडक्टर कंपनी, AEM होल्डिंग्स लिमिटेड के सेंटर का भी दौरा किया। मोदी ने वहां भारतीय कंपनियों को आगामी सेमीकॉन इंडिया एग्ज़ीबिशन में शामिल होने का निमंत्रण दिया, जो 11 से 13 सितंबर तक ग्रेटर नोएडा में आयोजित की जाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कहा कि वह भारत में भी सिंगापुर की तरह सेमीकंडक्टर उद्योग को विकसित करना चाहते हैं। उन्होंने अपने विचारों को साझा करते हुए कहा, "हम भारत में भी कई सिंगापुर बनाना चाहते हैं और हमें खुशी है कि हम इस दिशा में मिलकर प्रयास कर रहे हैं।" मोदी का यह बयान भारत को सिंगापुर की तरह एक सेमीकंडक्टर हब के रूप में स्थापित करने की योजना का संकेत है।
सिंगापुर का सेमीकंडक्टर उद्योग: सफलता की कहानी
सिंगापुर, जो कि 60 से अधिक छोटे द्वीपों से मिलकर बना है, कुल 735 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह भारत की तुलना में लगभग चार हजार गुना छोटा है। इसके बावजूद, सिंगापुर की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री विश्व की प्रमुख कंपनियों में से एक है। सिंगापुर की जीडीपी में सेमीकंडक्टर उद्योग का योगदान 7% है, और विश्व के सेमीकंडक्टर मार्केट में इसका हिस्सा 10% है। इसके अलावा, सिंगापुर की सेमीकंडक्टर से जुड़ी उपकरण निर्माण में 20% हिस्सेदारी है, और दुनिया के 5% सेमीकंडक्टर इंडस्ट्रियल पार्क भी यहीं स्थित हैं।
सिंगापुर में सेमीकंडक्टर उद्योग की सफलता की कहानी का मुख्य कारण इसकी सक्रिय नीतियां और निरंतर निवेश है। 1960 के दशक में, जब अमेरिकी चिप कंपनियों ने सस्ते और कुशल श्रमिकों की तलाश की, तो सिंगापुर ने इसे एक अवसर के रूप में देखा। सिंगापुर ने मैनुफैक्चरिंग सेक्टर को अपनी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार बनाया और इस क्षेत्र में अत्यधिक निवेश किया। सिंगापुर ने सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित किया और स्थानीय कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स और आईसी डिजाइनिंग की पढ़ाई शुरू की। इसके साथ ही, सिंगापुर की सरकार ने रिसर्च और डेवलपमेंट पर भी भारी निवेश किया है, जिससे अगले पांच वर्षों में 28 अरब डॉलर का खर्च करने की योजना है।
PM @narendramodi and PM @LawrenceWongST visited AEM Holdings Ltd. today, engaging with stakeholders to discuss potential India-Singapore collaborations in the semiconductor sector. pic.twitter.com/ZRY59c2Z4p
— PMO India (@PMOIndia) September 5, 2024
भारत में सिंगापुर जैसे हब बनाने की संभावनाएं
प्रधानमंत्री मोदी का सपना है कि भारत भी सिंगापुर की तरह एक बड़ा सेमीकंडक्टर हब बने। 2023 तक, दुनियाभर में सेमीकंडक्टर मार्केट का आकार 600 अरब डॉलर था और 2024 तक यह 680 अरब डॉलर से भी अधिक होने की उम्मीद है। वहीं, 2032 तक, सेमीकंडक्टर मार्केट के 2000 अरब डॉलर को पार करने का अनुमान है। भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग की वृद्धि को देखते हुए, 2023 तक भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 35 अरब डॉलर का था, जो 2023 तक 190 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। भारत में कई शीर्ष कंपनियों ने पहले ही मैनुफैक्चरिंग प्लांट स्थापित किए हैं और यहां के युवाओं की बड़ी आबादी और संसाधनों के कारण, भारत एक महत्वपूर्ण स्थान बन सकता है।
सिंगापुर में एआई चिप्स में निवेश करने वाली कंपनियों की रुचि कम होने के कारण, भारत के पास एक सुनहरा अवसर है कि वह इन कंपनियों को अपने देश में मैनुफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने के लिए आकर्षित कर सके। सिंगापुर में मौजूद कंपनियों में से कई कंपनियां जैसे टीएमसी, सैमसंग और इंटेल भारत में संभावित निवेश के अवसर देख रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी का यह दृष्टिकोण भारत को सेमीकंडक्टर उद्योग में सिंगापुर की तरह महत्वपूर्ण बनाना है। सिंगापुर के अनुभव से सीख लेते हुए, भारत को अपने सेमीकंडक्टर सेक्टर में सुधार और निवेश करने की जरूरत है। इससे न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा, बल्कि यह वैश्विक सेमीकंडक्टर मार्केट में भी एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभर सकता है।