तालिबान के साथ ''शांति वार्ता'' करने पर बढ़ा बवाल, सरकार ने दी सफाई

punjabkesari.in Saturday, Nov 10, 2018 - 01:29 AM (IST)

नेशनल डेस्कः अफगानिस्तान में शांति बहाली की कोशिशों के तहत भारत और आतंकी संगठन तालिबान के साथ बातचीत ने सियासी रूप ले लिया है। इस वार्ता का सियासी हलकों में जमकर विरोध हो रहा है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने तालिबान के साथ वार्ता पर सवाल खड़े किए हैं, जिसके बाद शुक्रवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि तालिबान के साथ वार्ता ‘गैर आधिकारिक’ है।

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि भारत अफगानिस्तान में शांति और सुलह की सभी कोशिशों का समर्थन करता है, जो एकता और बहुलता को बनाए रखेगा, साथ ही देश में स्थिरता और समृद्धि लाएगा। विदेश मंत्रालय के अनुसार, अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए जो भी कदम उठाए जा रहे हैं, वो वदेश नीतियों के तहत हैं और भारत शांति प्रक्रिया में शामिल होता रहेगा।

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विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत सरकार ने फैसला किया है, कि शांति वार्ता में वह गैर आधिकारिक तौर पर शामिल होगा। यह पहले से विचार किया गया निर्णय है। अब देखना होगा कि बैठक में क्या होता है। हमने कब कहा कि तालिबान के साथ बात होगी? भारत सरकार का केवल यह कहना है कि अफगानिस्तान मुद्दे पर रूस में जो बैठक हो रही है। उसमें सिर्फ शामिल होगा। विदेश मंत्रालय ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए जो कुछ भी प्रयास होंगे, भारत उसका समर्थन करेगा और उसमें शामिल होगा।

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बता दें कि रूसी विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह कहा था कि अफगानिस्तान पर मास्को प्रारूप बैठक 9 नवंबर को होगी और अफगान तालिबान के प्रतिनिधि उसमें भाग लेंगे। बैठक में भारत की भागीदारी के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि हम अवगत हैं कि रूस 9 नवंबर को मॉस्को में अफगानिस्तान पर एक बैठक की मेजबानी कर रहा है।

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रवीश ने जोर देकर कहा कि भारत की यह नीति रही है कि इस तरह के प्रयास अफगान नेतृत्व में, अफगान स्वामित्व वाले और अफगान नियंत्रित और अफगानिस्तान सरकार की भागीदारी के साथ होने चाहिए। रूसी समाचार एजेंसी तास के मुताबिक, यह दूसरा मौका है, जब रूस युद्ध से प्रभावित अफगानिस्तान में शांति बहाल करने के लिए क्षेत्रीय शक्तियों को एक साथ लाने का प्रयास कर रहा है।

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रूसी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अफगानिस्तान, भारत, ईरान, चीन, पाकिस्तान, अमेरिका और कुछ अन्य देशों को नियंत्रण भेजा गया है। बता दें कि कुछ दिन पहले रूसी राष्ट्रपति पुतिन भारत दौरे पर आए थे। इस दौरान पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कई वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की थी। उसके बाद ही यह बैठक आयोजित की जा रही है।


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Yaspal

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