चरमपंथियों से डर गई है पाकिस्तान सरकार !

punjabkesari.in Wednesday, Jul 06, 2016 - 07:46 AM (IST)

पाकिस्तान के कराची में रहने वाले हिंदुओं के लिए एक अच्छी खबर है। संसदीय पैनल ने सरकार से कहा है कि वह कराची में हिंदुाओं के लिए मंदिर और श्मशान भूमि बनवाए। आश्चर्य की बात है कि कराची में एक भी मंदिर और श्मशान भूमि नहीं है। रिकार्ड के तौर पर वहां 500 हिदू परिवार रहते हैं। जब किसी हिंदू परिवार में किसी का देहांत हो जाता है तो उसके अंतिम संस्कार के लिए उनके शव को करीब 1126 किमी दूर रावलपिंडी लेकर जाना पड़ता है। 

ऐसा नहीं है कि कराची में कभी मंदिर बनाया ही नहीं गया। यहां 100 साल पुराना मंदिर था, लेकिन दिसंबर 2012 में एक बिल्डर द्वारा उसे जबरन ढहा दिया गया। जबकि मंदिर का मामला अदालत में विचाराधीन है। फैसले या अदालत द्वारा दी जाने वाली व्यवस्था का इंतजार भी नहीं किया गया। बिल्डर की इस मनमानी के खिलाफ हिंदू समुदाय ने प्रदर्शन किया था, लेकिन स्थानीय प्रशासन खामोशी ओढ़े रहा। बिल्डर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह मंदिर भारत—पाक विभाजन से पहले का बना हुआ था। सिंध हाई कोर्ट में इसके ढहने पर स्टे की याचिका दायर की गई थी।

बताया जाता है कि पाकिस्तान में सरकार मंदिरों पर कोई खास ध्यान नहीं दे रही है। वहां कई पुराने मंदिर या तो नष्ट कर दिए गए हैं, या उनकी हालत बहुत बुरी है। यही हाल अन्य अल्पसंख्यकों का भी है। मंदिर के साथ उस ब्रिल्डर ने कराची में कुछ हिंदुओं के घर भी गिरा दिए। अधिकारी सफाई देते रहे कि अदालत ने कुछ अवैध इमारतों को गिराने के आदेश दिए थे, लेकिन मंदिर गिराने की बात से उन्होंने इंकार कर दिया। पाकिस्तान हिंदू परिषद के रमेश कुमार वानकवानी इसे गलत मानते हैं। उनके मुताबिक  जमीन के अधिग्रहण को ले कर लम्बे समय से एक बिल्डर और हिंदू निवासियों के बीच विवाद चल रहा था। जमीन हिंदुओं की है और बिल्डर उस पर कब्जा करना चाहता है।
पाकिस्तान में कई गुरुद्वारे भी हैं। इनमें से ज्यादातर पंजाब में हैं। देश में हिंदू और सिख अल्पसंख्यक हैं। कुल 17.4 करोड़ की आबादी में से हिंदू केवल 2.3 फीसदी ही हैंं। इनमें से अधिकतर सिंध के इलाके में रहते हैं। अल्पसंख्यकों के लिए काम करने वाली संस्थाएं का दावा करती है कि पाकिस्तान में यह मंदिर गिराने का पहला मामला नहीं है। इस से पहले भी देश में व्यावसायिक कारणों से अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों को गिराया जा चुका है। साफ है कि अल्पसंख्यकों के साथ यहां भेदभाव किया जाता है।

पाकिस्तान के हिंदुओं में डर का माहौल है। उन्हें सरकार से किसी तरह की मदद नहीं मिल रही है। कुछ लोगों को वहम है कि हिंदुओं और मंदिरों पर हमला कर के इन्हें जन्नत नसीब होगी। पाकिस्तान में चरमपंथ बढ़ता जा रहा है। चरमपंथी ही मंदिरों और गिरिजाघरों पर हमला करते हैंं। पता चला है कि कई बार इन हमलों के पीछे आर्थिक कारण भी होते हैं।

गौरतलब है कि पाकिस्तान में सबसे पहला मंदिर 90 के दशक में गिराया गया। उस समय पाकिस्तान के लोगों में अयोध्या बाबरी मस्जिद के मामले पर नाराजगी थी। उसके जवाब में लोगों ने ना केवल मंदिर, बल्कि चर्चों पर भी हमले करने शुरू कर दिए। जाहिर है कि हमलावरों को इस बात की समझ नहीं है कि इन हमलों के कारण वे देश की सांस्कृतिक धरोहर भी नष्ट कर रहे हैं। कराची के मालीर इलाके में एक मंदिर हुआ करता था। वास्तु के लिहाज से यह एक शानदार इमारत थी। मंदिर में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियों पर बहुत ही बारीकी से काम किया गया था। हमलावरों ने सारी मूर्तियां तबाह कर दीं। इसे केवल पूजा पाठ की जगह नहीं, बल्कि पाकिस्तान की सांस्कृतिक धरोहर भी माना जाता था। 

पाकिस्तान में सैकड़ों मंदिर और चर्च हैं जो खंडहरों में तब्दील होते जा रहे हैं। सरकार का उन पर कोई ध्यान नहीं है। क्या यह मान लिया जाए कि  सरकार चरमपंथियों से डरी हुई है या वह अल्पसंख्यकों के लिए कुछ करना ही नहीं चाहती। इनमें से एक वजह तो जरूर होगी। इसीलिए पिछले कुछ सालों में हिंदुओं ने पाकिस्तान छोड़ भारत आना शुरू कर दिया है। संसदीय पैनल के सुझाव को पाक सरकार कितनी गंभीरता से लेकर क्या कार्रवाई करती है, इसका इंतजार रहेगा।

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News