दुनिया जानती है मुंबई, पठानकोट, पुलवामा में हुए आतंकवादी हमलों को अंजाम देने वाले अपराधी कहां से आते हैं: भारत

punjabkesari.in Tuesday, Feb 15, 2022 - 03:07 PM (IST)

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की कड़ी आलोचना करते हुए भारत ने कहा कि दुनिया जानती है कि 2008 में मुंबई में, 2016 में पठानकोट में और 2019 में पुलवामा में हुए आतंकवादी हमलों को अंजाम देने वाले अपराधी कहां से आते हैं और यह ‘‘दुख की बात’’ है कि इस प्रकार की ‘‘कायराना’’ करतूत करने वाले पड़ोसी देश के सहयोग एवं आतिथ्य सत्कार का आनंद ले रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के काउंसलर राजेश परिहार ने सोमवार को कहा कि ठीक 3  साल पहले 14 फरवरी, 2019 को 40 बहादुर भारतीय सुरक्षा कर्मी पुलवामा में किए गए जैश-ए-मोहम्मद के ‘‘कायराना आतंकवादी हमले’’ में शहीद हुए थे।

परिहार ने दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के सदस्य देशों के साथ आतंकवाद-रोधी समिति के कार्यकारी निदेशालय (सीटीईडी) के काम पर खुली चर्चा के दौरान भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य देते हुए कहा कि दुनिया 2008 में मुंबई आतंकवादी हमले, 2016 में पठानकोट आतंकवादी हमले और 2019 में पुलवामा आतंकवादी हमले की भयावहता की साक्षी बनी। हम सभी जानते हैं कि इन हमलों को अंजाम देने वाले हमलावर कहां से आए थे।

उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि यह ‘‘खेदजनक’’ है कि इन हमलों के पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है और इन हमलों को अंजाम देने वाले हमलावर, इसमें सहयोग करने वाले और आर्थिक मदद देने वाले लोग अब भी आजाद घूम रहे हैं तथा ‘‘देश के सहयोग एवं आतिथ्य-सत्कार का आनंद ले रहे हैं। 

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अलकायदा के मारे गए नेता ओसामा बिन लादेन को ‘शहीद’ कहा था। परिहार ने इसका जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आतंकवाद का यह केंद्र उन आतंकवादी संगठनों को पनाह देता है, जिनका संबंध संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित 150 संगठनों एवं व्यक्तियों से है और इसके नेता आतंकवादियों की अकसर प्रशंसा करते हुए उन्हें ‘शहीद’ कहते हैं। 
  
परिहार ने कहा कि हमने ईसाइयों, हिंदुओं और सिखों समेत जातीय, सांप्रदायिक और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर लगातार आतंकवादी हमले होते देखे हैं। हमारे पड़ोसी देश में अतिवादी विचारधारा के विकास को कट्टरपंथी संगठनों के संरक्षण दिए जाने से बल मिला है। देश द्वारा कट्टरपंथ और सांप्रदायिक विचारधारा को मुख्यधारा में लाने से इस क्षेत्र में आतंकवादी ढांचे के विकास के लिए एक उपयुक्त वातावरण भी उपलब्ध हुआ है।

उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक वैश्विक लड़ाई में आगे रहा है और आतंकवाद को ‘‘कतई बर्दाश्त’’ नहीं करने की नीति पर काम रहा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि तिरुमूर्ति ने आतंकवाद निरोधी समिति के अध्यक्ष के रूप में आतंकवाद निरोधी समिति के कार्यकारी निदेशालय (सीटीईडी) के काम की जानकारी देते हुए यह टिप्पणी की।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anu Malhotra

Recommended News

Related News