भारत ने पाक से छीना MNF का दर्जा, सब्जी और दवाइयों के लिए तरसेंगे पाकिस्तानी

punjabkesari.in Friday, Feb 15, 2019 - 05:43 PM (IST)

नेशनल डेस्क: आर्थिक मोर्च पर चुनौतियों का सामना कर रहे पाकिस्तान अब सब्जी और दवाईयां के लिए भी तरस सकता है। पाक रोजमर्रा की जिन चीजों के लिए भारत पर निर्भर था अब वह महंगी हो सकती है। दरअसल भारत सरकार ने पाकिस्तान से ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ यानी ‘सर्वाधिक तरजीही देश’ का दर्जा छीन लिया है। जिससे पाक में फल और सब्जी जैसी आम चीजों पर असर पड़ सकता है, यही नहीं पेरासिटामोल जैसी दवाईयां भी यहां महंगी हो सकती है।

मौजूदा आंकड़ो के आधार पर भारत और पाकिस्तान के बीच करीब 2.67 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है। भारत-पाकिस्तान का कुल व्यापार 2016-17 में 2.27 अरब डॉलर से मामूली बढ़कर 2017-18 में 2.41 अरब डॉलर हो गया है। भारत ने 2017-18 में 48.8 करोड़ डॉलर का आयात किया था और 1.92 अरब डॉलर का निर्यात किया था। इस दर्जे को वापस लेने का अर्थ है कि भारत अब पाकिस्तान से आने वाली वस्तुओं पर किसी भी स्तर तक सीमा शुल्क को बढ़ा सकता है।
 

  • पाकिस्तान से आयात किया जाता है- फल, सीमेंट, पेट्रोलियम उत्पाद, खनिज संसाधन, लौह अयस्क और तैयार चमड़ा। 
  • पाकिस्तान को निर्यात किया जाता है- टमाटर, गोबी, आलू, प्याज, चीनी, चाय, पेरासिटामोलए टूथपेस्ट, ऑयल केक, पेट्रोलियम ऑयल, कॉटन, टायर, रबड, परफ्यूम, अखबारी कागज आदि। 
  • पाकिस्तान उरी, पुंछ और मुज्जफराबाद तीन रास्तों से 264 वस्तुएं भारत से आयात करता है। 
  • अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए 137 वस्तुएं पाकिस्तान को निर्यात की जाती हैं। 

 

भारत ने क्यों उठाया सख्त कदम?
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत ने सख्त कदम उठाते हुए पाकिस्तान से व्यापार में सबसे तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) का दर्जा वापस ले लिया है। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमिटी और सिक्योरिटी की बैठक में पाकिस्तान से मोस्टर फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लेने का फैसला लिया गया। इस कदम से पाकिस्तान द्वारा भारत को किए जाने वाले 48.8 करोड़ डॉलर के सामान के निर्यात पर असर पड़ सकता है।
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पाकिस्तान को कब मिला था दर्जा?
भारत ने पाकिस्तान को 1996 में यह दर्जा दिया था, लेकिन पाकिस्तान की ओर से भारत को ऐसा कोई दर्जा नहीं दिया गया। पार एवं शुल्क पर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के आम समझौते (जीएटीटी) के तहत एमएफएन का दर्जा दिया गया था। भारत और पाकिस्तान दोनों ने इस पर हस्ताक्षर किए थे और दोनों डब्ल्यूटीओ के सदस्य हैं। तरजीही राष्ट्र समझौते के तहत, डब्लयूटीओ के सदस्य देश अन्य व्यापारिक देशों के साथ गैर-भेदभावपूर्ण तरीके का व्यापार करने के लिए बाध्य है। खासकर सीमाशुल्क और अन्य शुल्कों के मामले में।  
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क्या कहना है विशेषज्ञों का
व्यापार विशेषज्ञों ने कहा कि इस फैसले का देश के द्विपक्षीय व्यापार पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि दोनों देशों के बीच का कारोबार सालाना तीन अरब डॉलर से भी कम का है। निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने बताया कि इस फैसले का असर पाकिस्तान के उन उद्योगों पर पड़ेगा, जो कि भारत में निर्यात कर रहे हैं।  भारतीय विदेश व्‍यापार संस्‍थान (आईआईएफटी) के अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ राकेश मोहन जोशी ने कहा कि सरकार को सावधानीपूर्वक कदम उठाना चाहिए क्योंकि भारत का निर्यात, आयात की तुलना में अधिक है। यदि पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करेगा तो इसका भारत पर ज्यादा असर होगा। 
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vasudha

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