पाकिस्तान की गीदड़भक्की - अगर चीन ने ब्रह्मपुत्र का पानी रोक दिया तो? असम के सीएम बोले- कोई बड़ा नुकसान नहीं...
punjabkesari.in Tuesday, Jun 03, 2025 - 12:26 PM (IST)

नेशनल डेस्क : हाल ही में भारत ने सिंधु जल संधि को आंशिक रूप से निलंबित करने का फैसला लिया है। इस फैसले के बाद पाकिस्तान में चिंता और घबराहट देखी जा रही है। पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी कर रहा है और अब उसने चीन को भी इस मसले में घसीटा है। पाकिस्तान का दावा है कि अगर भारत सिंधु जल संधि से पीछे हटता है तो चीन ब्रह्मपुत्र नदी का जल प्रवाह रोक सकता है, जिससे भारत को नुकसान होगा।
असम के मुख्यमंत्री ने पाकिस्तान की धमकी को ठुकराया
पाकिस्तान की इस धमकी का असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ब्रह्मपुत्र नदी का जल प्रवाह चीन पर निर्भर नहीं है, बल्कि भारत की मानसूनी बारिश और सहायक नदियों पर ज्यादा निर्भर करता है। सरमा ने बताया कि चीन ब्रह्मपुत्र नदी के कुल जल प्रवाह में केवल 30 से 35 प्रतिशत योगदान देता है, जो मुख्यतः ग्लेशियर के पिघलने और थोड़ी-बहुत बारिश से आता है।
ब्रह्मपुत्र नदी भारत में और भी मजबूत होती है
सीएम सरमा ने कहा कि ब्रह्मपुत्र भारत में आने के बाद और प्रबल हो जाती है। अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड और मेघालय में भारी मानसून के कारण नदी को भरपूर पानी मिलता है। इसके अलावा कई सहायक नदियां जैसे सुबनसिरी, लोहित, कामेंग, मानस, धनसिरी, जिया-भाराली, कोपिली, कृष्णाई, दिगारू और कुलसी ब्रह्मपुत्र को जल प्रदान करती हैं। उन्होंने बताया कि चीन की सीमा पर तूतिंग में नदी का जल प्रवाह लगभग 2,000 से 3,000 घन मीटर प्रति सेकंड होता है, जबकि मानसून के समय गुवाहाटी में यह प्रवाह 15,000 से 20,000 घन मीटर प्रति सेकंड तक पहुंच जाता है।
पाकिस्तान को चेतावनी – डर फैलाने से पहले समझें सच्चाई
सरमा ने पाकिस्तान को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी पूरी तरह भारत के भूगोल, मानसून और सहायक नदियों पर निर्भर है, न कि सिर्फ चीन पर। अगर चीन जल प्रवाह को कुछ समय के लिए कम भी करता है, तो भारत को कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा। बल्कि इससे असम में होने वाली बाढ़ों की तीव्रता में कमी आ सकती है, जो हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करती है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पाकिस्तान ने 74 सालों तक सिंधु जल संधि का अनुचित फायदा उठाया, लेकिन अब भारत अपनी संप्रभुता के साथ अपने जल संसाधनों के बारे में स्वतंत्र निर्णय ले रहा है।
ब्रह्मपुत्र नदी – भारत की ताकत और संस्कृति का प्रतीक
अंत में हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी सिर्फ किसी एक देश के नियंत्रण में नहीं है, बल्कि यह भारत की प्राकृतिक ताकत और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। इसलिए पाकिस्तान की यह धमकी बेकार है। भारत अपने जल संसाधनों को लेकर पूरी तरह स्वतंत्र है और किसी की धमकी से प्रभावित नहीं होगा।