कांग्रेस के न्याय अभियान ने हर वर्ग को किया प्रभावित: पी. चिदंबरम

punjabkesari.in Saturday, May 18, 2019 - 09:32 AM (IST)

नई दिल्ली: आर्थिक मामलों की गहरी समझ रखने वाले, सालों की वकालत से कानून की बारीक से बारीक जानकारी रखने वाले और कांग्रेस पार्टी से राजनीति करने वाले राजनेता पी. चिदंबरम इस बार के लोकसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं कि पहले की अपेक्षा कांग्रेस बहुत अच्छा कर रही है। उनका कहना है कि भाजपा को 2014 के मुकाबले काफी नुक्सान हो रहा है और जितना अधिक यह नुक्सान होगा उतना अधिक फायदा कांग्रेस को होगा। विशेष बातचीत में उन्होंने हर पहलू पर खुलकर अपनी राय रखी। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश:

चुनाव के 6 चरण हो चुके हैं, आपका क्या अनुमान है और कांग्रेस पहले के मुकाबले कैसा कर रही है?
संख्या को लेकर अनुमान नहीं लगाऊंगा। हां, रिपोर्ट, विश्लेषण और फीडबैक के अनुसार कांग्रेस ने अच्छी बढ़़त ली है और भाजपा को नुक्सान हुआ है। जिन राज्यों में कांग्रेस-भाजपा के बीच सीधा मुकाबला रहा वे राज्य हैं गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, हरियाणा और पंजाब। जहां तक बात क्षेत्रीय दलों के असर की है तो वह आंध्र, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, यू.पी. और बिहार में ही दिखाई दिया। 

सपा, बसपा और टीएमसी ने कहा था कि मोदी को रोकने के लिए वह साथ हैं। लेकिन, ऐसा कहा जा रहा है कि मतगणना के बाद इनमें से कुछ पार्टियां भाजपा को समर्थन दे सकती हैं?
चुनाव के दौरान जिस तरह की बयानबाजी भाजपा और इन पाॢटयों के बीच हुई, उससे तो असंभव लगता है कि ये पार्टियां भाजपा को समर्थन देंगी। 


कांग्रेस कह रही है कि भारतीय जनता पार्टी इस बार 282 सीटें नहीं पाएगी। लेकिन, भाजपा के लोग कह रहे हैं कि कांग्रेस 100 से आगे नहीं जाएगी, आप क्या कहेंगे? 
भाजपा गलत साबित होगी। 

जगन रेड्डी, केसीआर, क्या ये कांग्रेस का समर्थन करेंगे, क्योंकि अगर भाजपा  की सीटें कम आती हैं तो ये उनके साथ जा सकते हैं?
रिपोर्टस तो कह रही हैं कि भाजपा को अकेले उत्तर प्रदेश में 50 सीटों का नुक्सान हो रहा है। जगन रेड्डी का लक्ष्य आंध प्रदेश के विधानसभा चुनाव हैं, जबकि केसीआर दिल्ली में जगह बनाना चाहते हैं। कहा नहीं जा सकता कि परिणाम आने के बाद किसकी क्या प्रतिक्रिया होगी। हां, यह विश्वास के साथ कह सकता हूं कि कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है और जगन रेड्डी और केसीआर समर्थन में होंगे चाहे बाहर से चाहे सरकार में रहकर।

भाजपा के मुकाबले कांग्रेस के न्याय अभियान और घोषणा पत्र का क्या प्रभाव रहा?
घोषणा पत्र की बात तो केवल कांग्रेस ने ही की है। भाजपा ने घोषणा पत्र पर बात ही नहीं की, वह कांग्रेस के घोषणा पत्र पर ही बोलती रही। कांग्रेस के वादों को उलटा-सीधा बताती रही, अपना एक भी वायदे नहीं बताया। नरेन्द्र मोदी ने भी भाजपा के घोषणा पत्र को लेकर नहीं बोला। कांग्रेस के ‘अब होगा न्याय’ अभियान ने गहराई तक असर किया है। कृषि ऋण की बात हर किसान, रोजगार की बात हर युवा तक पहुंची है। 

आपने कहा है कि देश की आर्थिक स्थिति खराब है, नई सरकार के लिए काफी मुश्किल होगी?
पिछले तीन-चार महीनों में स्थिति बहुत खराब हुई है। पी.एम. प्रचार में जुटे रहे, वित्त मंत्री ब्लॉग लिखते रहे। अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया। राजस्व वसूली में कमी आई। मार्च, 19 की रिपोर्ट के अनुसार जी.डी.पी. घटी, महंगाई बढ़ी, निवेश स्थिर है, रुपए की स्थिति ठीक नहीं। जो चीजें आॢथक स्थिति को मजबूत करती हैं, उनका ग्राफ नीचे गया। 

अरविंद केजरीवाल ने कहा है, भाजपा की सरकार बनती है तो इसके लिए राहुल गांधी जिम्मेदार होंगे, इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?
यह स्तरहीन बयान है। क्योंकि दिल्ली में कांग्रेस-आप में गठबंधन नहीं हुआ, इसके लिए कांग्रेस ‘आप’ को और ‘आप’ कांग्रेस को जिम्मेदार बता रही है। कांग्रेस दिल्ली में ही गठबंधन चाहती थी, जबकि ‘आप’ पंजाब व हरियाणा में भी गठबंधन चाह रही थी। कांग्रेस तैयार नहीं हुई तो बातचीत टूट गई।

यू.पी. में लड़ाई मुश्किल रही। लेकिन, भाजपा कह रही है कि ओडिशा, पश्चिम बंगाल में वह बढ़त पर है, यू.पी. की कमी वहां से पूरी की जाएगी। जबकि कांग्रेस यू.पी. मेें केवल दो सीट ही पा सकेगी, आप क्या कहेंगे?
मैं यह नहीं कहता कि हम यू.पी. में मजबूत हैं, लेकिन काफी समय बाद हम वहां अच्छी तरह लड़ रहे हैं। जो कुछ भी हमें मिलेगा वह हमारी बढ़त ही होगी। जबकि भाजपा को यू.पी. में भारी नुक्सान होगा और सवाल ही नहीं उठता कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल में मिलने वाली कुछ सीटों से उसकी भरपाई हो पाए।

भाजपा कह रही है कि वह उत्तर भारत की ही पार्टी नहीं रही, बल्कि दक्षिण में भी अच्छी स्थिति में हैं?
भाजपा को केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पुड्डुचेरी में लाभ नहीं हो रहा है। कर्नाटक में उनको 17 सीटें मिली थीं, इस बार इसमें कई सीटें हाथ से जाएंगी। तमिलनाडु, केरल में भाजपा को उत्तर भारत की हिन्दी बोलने वाली पार्टी कहा जाता है। 

भाजपा ने कई खिलाड़ी, गायक और अभिनेताओं को मैदान में उतारा, आप कैसे देखते हैं इसे?
भाजपा के पास पर्याप्त उम्मीदवार नहीं हैं। भाजपा नेतृत्व की विफलता है कि वह पार्टी के भीतर नेताओं-कार्यकत्र्ताओं को अच्छे प्रत्याशी के रूप में तैयार नहीं कर पाया। जहां तक बात खिलाड़ी और अभिनेता के राजनेता बनने की है तो मनोनीत करके उनको संसद में स्थान दिया जाता है। सचिन तेंदुलकर को मनोनीत किया गया। हां अगर किसी दूसरे क्षेत्र के व्यक्ति को राजनीति करनी है तो पहले उसे पार्टी ज्वाइन करके जनता के बीच काम करना चाहिए। 

जी.एस.टी. में सरकार ने कई सुधार किए हैं, क्या अब यह स्वीकार करने लायक है?
नहीं, व्यापारी जी.एस.टी. से परेशान हैं। भाजपा ने जैसा जी.एस.टी. लागू किया है वह व्यापारियों और कारोबारियों द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है। 

84 के दंगों को लेकर सैम पित्रोदा ने कहा ‘हुआ तो हुआ’, मणिशंकर अय्यर नीच वाले बयान के साथ फिर सामने आए। आखिर कांग्रेस इस तरह के बयान देने वालों को रोकती क्यों नहीं?
कांग्रेस ने बिना देर किए चौबीस घंटे के भीतर पित्रोदा और अय्यर के बयानों का खंडन किया। जबकि भाजपा ने उलटा-सीधा बोलने वाले अपने नेताओं के बयान का खंडन कभी नहीं किया। चाहे गिरिराज सिंह, साक्षी महाराज, साध्वी प्रज्ञा या अन्य किसी की बात हो। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संसद के भीतर खड़े होकर दंगों के लिए माफी मांग चुके हैं। पंजाब के लोगों को यह कभी नहीं भूलना चाहिए।  आदरणीय मनमोहन सिंह की माफी के महत्व को सैम पित्रोदा का बयान कम नहीं कर सकता। श्रीमती गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी माफी मांगी है। गृहमंत्री रहते हुए दंगों के लिए मैंने भी दिल की गहराइयों से माफी मांगी है।

राहुल गांधी मोदी को चौकीदार चोर कहते रहे, इसी बीच मोदी ने राजीव गांधी को भ्रष्टाचारी नंबर वन कहकर कांग्रेस पर हमला किया, इस पर क्या कहेंगे आप?
राहुल गांधी पी.एम. मोदी पर बोलते है तो मोदी भी पूरी तरह स्वतंत्र हैं राहुल के ऊपर बोलने के लिए। दोनों जिंदा हैं और एक-दूसरे का जवाब दे सकते हैं। लेकिन, जब मृत व्यक्ति को लेकर कुछ बोला जाता है तो यह कायरतापूर्ण हरकत कहलाती है। क्योंकि, जो दुनिया में नहीं वह जवाब देने कैसे आएगा? भारतीय संस्कृति ही नहीं दुनिया में कहीं भी किसी मृत व्यक्ति के नाम पर इस तरह से बोला नहीं जाता।

इस बार के चुनाव में राष्ट्रवाद मुद्दा बना।  कांग्रेस राष्ट्रवाद पर क्यों नहीं बात करती, आप क्या सोचते हैं?
कांगे्रस इस बात में विश्वास रखती है कि देश का हर नागरिक देशभक्त और राष्ट्रवादी है। जबकि मोदी कहते हैं कि जो उनके साथ होगा, वह राष्ट्रवादी होगा, जो उनके विरोध में होगा राष्ट्रवादी नहीं है। मतलब जो मोदी को वोट नहीं देगा वह राष्ट्रवादी नहीं है। पिछले चुनाव में मोदी के खिलाफ 69 प्रतिशत वोट पड़े थे। तो क्या मोदी के खिलाफ वोट करने वाले देश के लोग राष्ट्रभक्त नहीं हैं। मैंने भी मोदी का विरोध करने वाले प्रत्याशी को वोट किया, तो क्या मैं एंटी नैशनल हूं। 

पी.एम. मोदी ने ‘मैं चौकीदार हूं’ कैंपेन चलाया। बहुत सारे लोगों ने अपने नाम के पहले चौकीदार लगा लिया, क्या कहेंगे? 
क्या आपने किसी सामान्य और गैर भाजपाई व्यक्ति को अपने नाम के आगे चौकीदार जोड़े हुए देखा। मैंने तमिलनाडु में कहीं नहीं देखा कि किसी ने नाम के साथ चौकीदार शब्द जोड़ा हो। यह फ्लॉप कैंपेन बनकर रह गया।

आपने राजीव गांधी, सोनिया गांधी के साथ काम किया है और अब राहुल गांधी के साथ काम कर रहे हैं, क्या अंतर पाते हैं?
तीनों नेता अलग-अलग समय में रहे इसलिए आप तीनों की तुलना नहीं कर सकते हैं। हां यह जरूर है कि राजीव गांधी ने उस समय पार्टी संभाली जब वह लोकप्रियता में बहुत ऊपर थे। लेकिन, सोनिया गांधी ने बहुत मुश्किल समय में पार्टी को संभाला और कई राज्यों और केन्द्र की सत्ता में पहुंचाया। इसी तरह राहुल गांधी ने भी पार्टी को काफी मुश्किल समय में संभाला है और आक्रामक रणनीति से काफी अच्छी स्थिति में पहुंचा दिया।


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Anil dev

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