3 बड़े मुद्दों पर चौतरफा घिरा चीन, 60 से ज्यादा देशों ने ड्रेगन के खिलाफ खोला मोर्चा

punjabkesari.in Monday, Jul 27, 2020 - 01:17 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः  दक्षिण चीन सागर को लेकर दादागिरी और कोरोना वायरस को लेकर  चीन के खिलाफ  अब अमेरिका के अलावा बाकि देशों भी विरोध बढ़ने लगा है। हालांकि अमेरिका की चीन को इस क्षेत्र में  दादागिरी न दिखाने की वार्निंग के बावजूद ड्रेगन पर इसका कोई असर नही दिखा और अमेरिकी चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) ने दक्षिणी गुआनडोंग प्रांत के लिझोऊ पेनिनसुला जिसे दक्षिण चीन सागर (SCS) की दहलीज भी कहा जाता है, में  लाइव फायर ड्रिल की शुरु कर दी। चीन की इन्हीं हरकतों के खिलाफ दुनिया के कई देश बगावत त पर उतर आए हैं और ड्रेगन के विरोध में गोलबंदी शुरू कर दी है। दक्षिण चीन सागर के अलावा  हांगकांग, कोरोना वायरस जैसे मुद्दे भी चीन के लिए परेशानी का सबसे बड़ा कारण बने हुए हैं और इन मुद्दों पर उसके खिलाफ 60 से अधिक देश मोर्चा खोल चुके हैं। 

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दक्षिण चीन सागर को लेकर गोलबंदी शुरू
दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन चौतरफा घिर चुका है।  दक्षिण चीन सागर दुनिया के सबसे व्यस्त जलमार्गों में से एक है। इतना ही दुनिया में समुद्री मार्ग से होने वाला व्‍यापार सबसे अधिक इसी मार्ग से होता है। दक्षिण चीन सागर  मुद्दे पर काफी समय से चीन का टकराव एक नहीं बल्कि कई देशों से है। चीन जहां इसको अपना बताया है वहीं अमेरिका, ब्रिटेन, भारत, आस्‍ट्रेलिया समेत अनेक देश इसको दूसरे जलमार्गों की ही तरह सामूहिक मानते हैं। सभी देश इस पर चीन के दावे को खारिज करते आए हैं। इसके बाद भी चीन हमेशा से ही इसको लेकर आक्रामक रुख अपनाता रहा है। 

दक्षिण चीन सागर में स्थित विभिन्न देशों के बीच इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित करने को लेकर तनाव चरम पर है। इसकी एक वजह यहां पर प्राकृतिक गैस का अपार भंडार भी है। दक्षिण चीन सागर पर चीन, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ताईवान और ब्रुनेई भी अपना-अपना अधिकार जताते रहे हैं। इस मुद्दे पर चीन और अमेरिका कई बार टकराव तक पहुंच चुके हैं। इतना ही नहीं यहां पर तैनात चीनी नौसेना के जहाज और लड़ाकू विमान यहां पर आने वाली अन्‍य देशों की नौकाओं या लड़ाकू विमानों पर लगातार धमकी भी देते रहते हैं। 

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यहां से गुजरने वाले आस्‍ट्रलियाई पायलटों के साथ इस तरह की घटना सामने आ चुकी है जिसमें उनके विमान पर लेजर से हमला किया गया था। हालही में अमेरिका और ब्रिटेन ने अपने जंगी जहाजी बेड़ों को यहां पर तैनात करने का ऐलान किया है। ब्रिटेन का एचएमएस एलिजाबेथ यहां पर जापान की नेवी के साथ तैनात होगा। ब्रिटेन के इस नौसना के बेड़े में करीब डेढ़ दर्जन से अधिक जहाज शामिल हैं। हाल ही में भारत-अमेरिका और आस्‍ट्रेलिया ने हिंद महासागर में सैन्‍य अभ्‍यास कर चीन को संकेत भी दिया है।

 
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हांगकांग मुद्दे पर दुनिया के कई बड़े देश चीन के खिलाफ 
हांगकांग के मुद्दे पर दुनिया के 53 से अधिक बड़े देश चीन के खिलाफ मुखर हो चुके हैं। आस्‍ट्रेलिया और ब्रिटेन खुले तौर पर हांगकांग के नागरिकों को अपने यहां की नागरिकता देने की बात कर चुके हैं। इसकी वह चीन बुरी तरह से झल्‍लाया और बौखलाया हुआ है। वहीं अमेरिका भी इस मुद्दे पर भी चीन से काफी नाराज है। उसने हांगकांग को दिया गया स्‍पेशल स्‍टेटस का दर्जा भी वापस ले लिया है। हांगकांग के मुद्दे पर अमेरिका ने चीन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। हालांकि चीन ने भी इसके जवाब में अमेरिकी सिनेटरों पर प्रतिबंध लगाया है।

 

इसके अलावा अमेरिका ने चीन की कंपनी हुआवेई और उसके कुछ कर्मचारियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। ब्रिटेन इस तरह की कार्रवाई पहले ही कर चुका है। जब से चीन ने हांगकांग में अपना राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया है तब से कई देश उसके खिलाफ हो गए हैं।  इस मुद्दे पर कनाडा समेत ताइवान, भारत और कुछ यूरोपीय देश भी चीन के खिलाफ हैं। ताइवान ने भी हांगकांग के नागरिकों की मदद करने का वादा किया है जिसकी वजह से भी चीन बौखलाया हुआ है। वहीं अमेरिका से होने वाले सैन्‍य करार से भी चीन ताइवान से चिढ़ा हुआ है।

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 कोरोना वायरस फैलाने को लेकर भी  निशाने पर चीन
  साल 2019 के अंतिम माह दिसंबर से शुरू होकर जुलाई तक इस महामारी ने आधी से ज्यादा दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था। इस मुद्दे पर चीन के खिलाफ एक या दो नहीं बल्कि 60 से अधिक देश हैं। इन देशों के एक मसौदे पर हस्‍ताक्षर करने के बाद ही विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने के लिए राजी हुआ और अपने विशेषज्ञों की टीम को चीन भेजा।

 

इस मुद्दे पर विश्‍व स्‍वास्‍थय संगठन को अमेरिका के कोप का भी भागीदार बनना पड़ा। अमेरिका ने आरोप लगाया कि ये वैश्विक संस्‍था चीन के सुर में सुर मिला रही है। अमेरिका का आरोप है कि चीन ने इससे जुड़ी कई सारी जानकारियों को छिपाया और डब्‍ल्‍यूएचओ भी उसके बहकावे में आता रहा। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने इसको चीनी वायरस का नाम तक दे चुके हैं। वहीं चीन ने भी ऐसा ही आरोप अमेरिका के ऊपर मढ़ दिया था। बहरहाल, इस मुद्दे पर लगातार चीन कई देशों के निशाने पर है।
 


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Tanuja

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