चुनावी महीनों में पड़ सकती है भीषण गर्मी, खुद को रखें सावधान

punjabkesari.in Tuesday, Apr 02, 2024 - 12:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क. देश में सात चरणों में लोक सभा चुनावों की तैयारी चल रही है, लेकिन मौसम विभाग की मानें तो चुनावी महीनों में देश के कुछ भागों में भीषण गर्मी पड़ सकती है। विभाग ने आज अपने पूर्वानुमान में कहा कि अप्रैल से जूने की अवधि में देश के अधिकांश हिस्सों में अत्यधिक गर्मी पड़ेगी। इस दौरान मध्य एवं पश्चिमी भारत में गर्मी का सबसे अधिक प्रभाव महसूस होगा। इस साल अगले तीन महीनों में लू की घटनाएं भी सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है। भारत में लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून के बीच सात चरणों में होंगे। इस दौरान चुनाव प्रचार अभियान और रैलियों के साथ-साथ बाहरी गतिविधियों में कई गुना वृद्धि होने की उम्मीद है।


मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा- 'सामान्य तौर पर 4 से 8 दिनों तक लू चलती है मगर इस साल देश के अलग-अलग हिस्सों में 10 से 20 दिनों तक लू चलने की आशंका है।' मध्य और पश्चिमोत्तर भारत में सामान्यतः 1 से 3 दिनों के साल लू के प्रकोप से निपटने की तैयारियों एवं उठाए गए कदमों के बारे में चर्चा के लिए एक बैठक में महापात्र भी शामिल हुए। बैठक में उनके अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।


अधिकारियों ने कहा कि एनडीएमए ने चुनाव आयोग को लिखा है कि अगले तीन महीनों में भीषण गर्मी की आशंका देखते हुए राजनीतिक दलों के साथ-साथ सभी पक्षों को जनसभाओं एवं रैलियों के आयोजन के बारे में आवश्यक सलाह जारी की जाए। महापात्र ने कहा कि पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र, पूर्वोत्तर राज्यों और उत्तरी ओडिशा के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य अथवा सामान्य से कम रहने की संभावना है। इस दौरान मैदानी इलाकों के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक गर्म हवा चलने की आशंका है। गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तरी छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में लू का सबसे बुरा प्रभाव पड़ने की आशंका है।


गेहूं: अधिकतर उत्पादक राज्यों में गेहूं की खड़ी फसल भीषण गर्मी के प्रकोप से बच सकती है क्योंकि अगले 15 दिनों में कटाई शुरू हो जाएगी।


जल भंडारणः दक्षिणी भारत को छोड़कर देश के अधिकतर जलाशयों में जल स्तर संतोषजनक है। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के आंकड़ों के अनुसार सरकार द्वारा निरीक्षण किए गए 150 जलाशयों में जल (बीसीएम) था जो पिछले साल के स्तर का 84 फीसदी और 10 साल के औसत स्तर का 97 फीसदी है। दक्षिणी भारत में जल भंडारण का स्तर पिछले साल के स्तर का 59 फीसदी और 10 साल के औसत का 73 फीसदी है।


बिजली उत्पादनः बिजली मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि सभी बिजली उत्पादन संयंत्रों को अगले तीन महीनों के दौरान पूरी क्षमता बनाए रखने के लिए सलाह जारी की गई है। रखरखाव एवं मरम्मत का काम फिलहाल टाल दिया गया है। एनटीपीसी आदि बिजली कंपनियों को अतिरिक्त गैस आपूर्ति के लिए गठजोड़ करने और वितरण बनाए रखने का निर्देश दिया गया है। पिछले साल अप्रैल से जून के दौरान भारत में बिजली की अधिकतम मांग 240 मेगावॉट तक पहुंच गई थी, जबकि इस साल मांग करीब 270 मेगावॉट रहने की उम्मीद है।


स्वास्थ्यः स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस साल लू के मौसम को देखते हुए सभी राज्यों के स्वास्थ्य विभागों को सलाह जारी की है। इसके अलावा गर्मी के महीनों में अस्पतालों में आग लगने जैसी घटनाओं से बचने के लिए अलग से पत्र जारी किए गए हैं।


अल नीनो और मॉनसूनः महापात्र ने यह भी कहा कि इस साल अल नीनो प्रभाव के कारण लू के थपेड़े पड़ने की आशंका है। जून तक अल नीनो के तटस्थ होने और मॉनसून सीजन के मध्य तक ला नीला की स्थिति बनने का अनुमान है। भारत में मॉनसून को प्रभावित करने वाला एक अन्य कारक हिंद महासागर डाइपोल (आईओडी) जून से सकारात्मक होने की उम्मीद है। फिलहाल दोनों स्थितियां इस साल 'सामानय' मानसून का संकेत देती हैं। 


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Content Editor

Parminder Kaur

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