एक गलती और फिर मिनटों में खाली हो सकता है आपका बैंक अकाउंट, साइबर ठगों का नया हथकंडा... ऐसे बचें
punjabkesari.in Monday, Aug 04, 2025 - 01:45 PM (IST)

नेशनल डेस्क: आज के डिजिटल दौर में जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे साइबर अपराधी भी अपने जाल बुनने में नए-नए तरीके आजमा रहे हैं। हाल ही में कोलकाता में सिम-स्वैप स्कैम का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक शख्स के खाते से करीब 8.8 लाख रुपए गायब हो गए। यह घटना न केवल जागरूकता की कमी का संकेत देती है, बल्कि यह भी बताती है कि डिजिटल फ्रॉड से बचने के लिए केवल टेक्नोलॉजी नहीं, सतर्कता भी जरूरी है।
क्या है सिम-स्वैप स्कैम?
इस स्कैम में ठग किसी का मोबाइल नंबर फर्जी दस्तावेजों के जरिए अपने सिम पर ट्रांसफर कर लेते हैं। इसके बाद आपके बैंक खातों, ईमेल और सोशल मीडिया लॉगिन्स में OTP आने लगते हैं – वो भी ठगों के पास। इसके बाद आपके अकाउंट को खाली करना उनके लिए कुछ मिनटों का खेल रह जाता है।
इन स्कैम से कैसे बचें? कुछ जरूरी उपाय
- अनजान कॉल या मैसेज से सतर्क रहें: अगर कोई KYC अपडेट या सिम बंद होने की धमकी दे, तो सतर्क रहें।
- किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले जांचें: फिशिंग लिंक आपके मोबाइल में मालवेयर इंस्टॉल कर सकता है।
- 2FA को ऑन रखें: टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन से अतिरिक्त सुरक्षा मिलती है।
- सिम पिन सेट करें: बिना अनुमति कोई भी आपके सिम को एक्टिवेट न कर सके।
- DoT के पोर्टल पर चेक करें: tafcop.dgtelecom.gov.in पर जाकर देखें कि आपके नाम पर कितने सिम एक्टिव हैं।
- बायोमेट्रिक सत्यापन के बिना सिम स्वैप न होने दें।
कार्ड स्कैम की चालें
कार्ड स्कैम में क्रेडिट या डेबिट कार्ड की जानकारी चोरी कर ठगी की जाती है। इसके लिए स्कैमर फिशिंग ईमेल, फर्जी वेबसाइट्स या स्किमिंग डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं। कई बार लॉटरी या KYC अपडेट का बहाना बनाकर भी जानकारी हथियाई जाती है।
कार्ड फ्रॉड से भी रहें सतर्क
- ऑनलाइन खरीदारी के लिए वर्चुअल कार्ड का प्रयोग करें।
- अपने बैंक स्टेटमेंट की नियमित जांच करें और किसी भी संदिग्ध लेनदेन की तुरंत शिकायत करें।
- विश्वसनीय एंटीवायरस ऐप का इस्तेमाल करें।
DoT के नए नियम क्या कहते हैं?
दूरसंचार विभाग ने हाल ही में सख्त निर्देश जारी किए हैं। अब बिना बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन कोई सिम एक्टिव नहीं होगा और नया सिम जारी होने पर 24 घंटे तक SMS सेवा बंद रहेगी, जिससे ओटीपी का दुरुपयोग न हो।